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रिसर्च में हुआ खुलासा शराब की वजह से किशोरों बढ़ रहा है फैटी लीवर डिजीज
एक अध्ययन के अनुसार, समय से पहले फार्मूला मिल्क शुरू करने वाले शिशुओं को किशोरों की तुलना में लीवर डिजीज का खतरा अधिक रहता है।
एक अध्ययन के अनुसार, समय से पहले फार्मूला मिल्क शुरू करने वाले शिशुओं को किशोरों की तुलना में लीवर डिजीज का खतरा अधिक रहता है।
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज (एनएफ़एडीडी) एक ऐसी बीमारी है, जिसने हर चार में से एक युवा को अपनी चपेट में लिया हुआ है।
ऐसा तब होता है, जब उन लोगों की लीवर सेल्स में फैट जमा हो जाता है, जो अत्यधिक शराब का सेवन नहीं करते हैं और इसे आमतौर पर मोटापे व इंसुलिन रेसिस्टेंट से जोड़ा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जो बच्चे छह महीनों तक ब्रेस्टफीडिंग नहीं करते और इस समय से पहले फार्मूला मिल्क लेना शुरू कर देते हैं उनके इस बीमारी से पीड़ित होने की 40 फीसदी संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा गर्भावस्था के प्रारंभ में मोटापे से ग्रस्त बच्चों को इस रोग का खतरा अधिक होता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख शोधकर्ता ओयोकॉआ टी अयोनरिन्डे के अनुसार, मां का स्वस्थ वजन और ब्रेस्टफीडिंग कराने के साथ देखभाल से बच्चे के लीवर को लाभ होता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, कम से कम छह महीने तक ब्रेस्टफीड कराने से बच्चे को अधिक सपोर्ट मिलता है और इस तरह के रोगों का खतरा कम रहता है।
इस अध्ययन की दिलचस्प बात यह है कि, गर्भावस्था के शुरू होने पर जो महिलाएं स्मोकिंग करती थी, उनके बच्चे में एनएफ़एडीडी के काफी अधिक जोखिम देखे गए थे।
हेपेटोलॉजी के जर्नल में दिए गए इस अध्ययन के लिए, टीम ने 17 वर्ष से अधिक आयु के 1,100 से अधिक किशोरों पर लीवर अल्ट्रासाउंड किया।
अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया कि महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में हेल्दी लाइफस्टाइल जरूरी है। इसके अलावा ब्रेस्टफीडिंग कराने के कई स्वास्थ्य फायदे हैं।