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फ्लाइट के अंदर क्यों जरुरी है केबिन प्रेशर, क्या हो अगर ये कम हो जाएं?
हाल ही में जेट एयरवेज की फ्लाइट में केबिन प्रेशर कम होने की वजह से फ्लाइट में सवार यात्रियों को नाक और कान से खून बहने के साथ भारी सिर दर्द शिकायत होने लगी, जिसके चलते पायलट को इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी।
फ्लाइट में सवार एक यात्री ने इस पूरी घटना का एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में भी शेयर किया था, जिसमें केबिन प्रेशन कम होने पर यात्री ऑक्सीजन मास्क का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं। आइए जानते है कि आखिर फ्लाइट में केबिन प्रेशर होता क्या है और इसके कम होने की वजह से सिर दर्द, नाक और कान से खून निकलने जैसी समस्याएं क्यों होती है?
चलिए जानते है इस बारे में ताकि अगली बार प्लेन से यात्रा करते समय आपको भी केबिन प्रेशर के बारे में भी मालूम होना चाहिए।
ऊंचाई में मिल सकें ऑक्सीजन
दरअसल, वायुमंडल में जैसे-जैसे हम ऊपर जाते हैं, ऑक्सीजन की मात्रा उतनी ही कम होती जाती है। जिस ऊंचाई पर विमान उड़ते हैं, वहां ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम हो जाती है। इस वजह से अगर शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिले तो कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। ऊंचाई बढ़ने से वायुमंडलीय दबाव भी कम होने लगता है जिससे सांस लेने में और भी दिक्कत होने लगती है। इसलिए विमानों में अंदर के प्रेशर को नियंत्रित रखा जाता है ताकि लोग आराम से सांस ले सकें। विमान के अंदर प्रेशर नियंत्रित करने की प्रक्रिया तभी शुरू कर दी जाती है, जब विमान उड़ान भरने को होता है। इस प्रक्रिया को 'ब्लीड स्विच ऑन' करना कहते हैं।
ऑक्सीजन सप्लाई हो जाती है बाधित
विमान में ऑक्सीजन की टंकी नहीं ले जा सकते इसलिए वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन विमान के अंदर इकट्ठा किया जाता है। विमान के इंजन से जुड़े टरबाइन बाहर की ऑक्सीजन को कंप्रेस कर फ्लाइट के अंदर ऑक्सीजन सप्लाई का काम करते है। इंजन से गुजरने की वजह से ये ऑक्सीजन या हवा का तापमान काफी गर्म होता है। ऐसे में प्लेन में कूलिंग तकनीक से इस हवा को ठंडा किया जाता है, इस वजह से इसमें नमी कम होती है। विमान के अंदर जब केबिन का प्रेशर कम होता है तो यह प्रक्रिया बिगड़ जाती है और विमान के अंदर ऑक्सीजन सप्लाई नहीं हो पाती है। ऐसे में यात्रियों को सीट के ऊपर लगे इमरजेंसी ऑक्सीजन मास्क का इस्तेमाल करना पड़ता है।
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क्या होता है प्रेशर कम होने पर?
अधिक ऊंचाई पर उड़ान भरने पर न सिर्फ़ हमें सांस लेने में परेशानी होती है बल्कि हमारा दिमाग और शरीर ठीक से काम करना बंद कर देता है. हमारी स्वाद लेने और सूंघने की क्षमता 30 प्रतिशत तक घट जाती है। यही वजह होती है कि मनपसंद खाना भी विमान में स्वादिष्ट नहीं लगता, नमी कम होने की वजह से आपको प्यास ज़्यादा लगती है।
खून में बढ़ने लगती है नाइट्रोजन की मात्रा
सबसे बड़ी बात केबिन प्रेशर कम होने और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलने के वजह से रक्त के बहाव में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ सकती है जोकि जोड़ों में दर्द, लकवा, यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकती है।
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ध्यान रखें
अक्सर आपने देखा होगा कि उड़ान भरने से पहले केबिन क्रू हवाई यात्रा के दौरान सुरक्षा नियमों के बारे में बताते है। अगर सांस लेने में दिक्कत हो तो सीट के ऊपर लगे ऑक्सीजन बैग का इस्तेमाल करें। केबिन प्रेशर कम होने की समस्या से बचाने के लिए ऑक्सीजन मास्क लगाया जाता है जोकि यात्री के सीट के ऊपर ही होता है। हवा का दबाव कम होने व ऑक्सीजन आपूर्ति होने पर अपने आप खुल जाता है। ऐसी स्थिति में ऑक्सीजन मास्क के जरिए खुद का बचाव किया जा सकता है।