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World lupus day: क्या है ल्यूपस? सेलेना गोमेज भी गुजर चुकी है इस बीमारी से
"सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमैटोसस" जिसे ल्यूपस के नाम से भी जाना जाता है, यह बीमारी तब होती है जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यधिक सक्रिय हो जाती है और वह स्वस्थ व्यक्ति के टिश्यूज और अंगों को नुकसान पहुंचाने लग जाती है।
कोई को भी Lupus (ल्यूपस) हो सकता है, लेकिन यह अक्सर महिलाओं को प्रभावित करता है। ल्यूपस की बीमारी की वजह से हॉलिवुड सिंगर सेलेना गोमेज की किडनी खराब हो गई और ट्रांसप्लांट कराना पड़ा था। दुनियाभर में ऐसे कई लोग है जो इस बीमारी के बारे में नहीं जानते है। इस बीमारी को आप जल्द से पहचान भी नहीं सकतेहै क्योंकि इसके लक्षण अलग-अलग होते हैं, और वे आते हैं और जाते हैं ऐसे समय जब किसी व्यक्ति के लक्षण होते हैं तो उसे flares कहा जाता है, जो कि हल्के से गंभीर तक हो सकता है नए लक्षण किसी भी समय दिखाई दे सकते हैं। आइए जानते है इस बीमारी के बारे में।
क्या
है
ल्यूपस
?
यह
एक
ऑटो-इम्यून
गंभीर
इंफ्लेमेटरी
डिसीज
है
जिसके
कारण
शरीर
का
रोग-प्रतिरोधक
तंत्र,
शरीर
के
ही
ऊतकों
और
अंगों
पर
हमला
कर
देता
है।
इसके
वजह
से
जोड़ों
से
लेकर
त्वचा,
किडनी,
रक्त
कोशिकाओं,
दिमाग,
हृदय
और
फेफड़ों
तक
पर
असर
पड़ता
है।
ल्यूपस
के
लक्षण
थकान
जिन लोगों में यह बीमारी उभरने लगती है वो 90 प्रतिशत थकान से परेशान रहने लगते है। इस वजह से ज्यादा नींद आने लगती है। ल्यूपस के वजह से ज्यादा देर तक इंसान एक्टिव नहीं रह पाता है। इस वजह से एनर्जी का स्तर गिरने लगता है।
बुखार
यह
शुरुआती
संकेतों
में
से
एक
होता
है।
बुखार
आना
कोई
स्पष्ट
कारण
नहीं
है,
लेकिन
इसमें
शरीर
का
तापमान
98.5F
से
101F
तक
आ
जाता
है।
इस
वजह
से
बुखार
और
थकान
बनी
रहती
है।
जोड़ों में सूजन
लाल, गर्म, संवेदनशील और सूजे हुए जोड़ ल्यूपस का इशारा हो सकते हैं। केवल खुजली और कठोरता होना ही काफी नहीं है। जोड़ों में अर्थराइटिस के साथ इन सभी लक्षणों का होना भी आवश्यक है। विशेषज्ञ मानते हैं कि शरीर के कम से कम दो छोटे जोड़ों का कम से कम छह सप्ताह तक प्रभावित रहने को ही ल्यूपस का संभावित लक्षण माना जाना चाहिए।
सीने
में
जलन
दिल
के
करीब
की
लाइनिंग
(पेरिकार्डिटिस)
अथवा
फेफड़े
(प्लेयूरिटिस)
में
जलन
होना
ल्यूपस
का
एक
लक्षण
हो
सकता
है।
लेकिन,
ये
दोनों
ही
परिस्थितियां
वायरल
संक्रमण
के
कारण
भी
हो
सकती
हैं।
हालांकि,
यह
जलन
बहुत
दुर्लभ
अवसरों
पर
ही
हृदय
अथवा
फेफड़े
की
कार्यक्षमता
को
प्रभावित
करती
है,
लेकिन
इससे
छाती
में
तेज
दर्द
की
शिकायत
हो
सकती
है।
खासतौर
पर
तेजी
से
सांस
लेते
अथवा
खांसते
समय।
व्यक्ति
को
कभी-कभार
सांसों
के
उखड़ने
की
भी
शिकायत
हो
सकती
है।
मुंह
अथवा
नाक
में
छाले
मुंह
में
छाले
होना
ल्यूपस
का
एक
सामान्य
लक्षण
है।
लेकिन,
ल्यूपस
के
दौरान
मुंह
में
होने
वाले
छालों
में
आमतौर
पर
दर्द
नहीं
होता,
जो
इसे
अलग
बनाता
है।
इसके
साथ
ही
यह
मसूड़ों
और
मुंह
के
कोनों
में
होने
के
बजाय
ऊपरी
जबड़े
पर
होता
है।
ल्यूपस
से
जुड़े
छाले
नाक
में
भी
हो
सकते
हैं
।
मूत्र
संबंधी
असामान्यताएं
माइक्रोस्कोपिक
ब्लड
सेल्स
और
प्रोटीन,
जो
आमतौर
पर
मूत्र
में
नहीं
पाए
जाते,
ल्यूपस
के
मरीजों
के
मूत्र
में
इनके
कण
होने
की
आशंका
होती
है।
लेकिन,
हां,
इस
बात
का
ध्यान
रखें
कि
ये
लक्षण
कई
अन्य
बीमारियों
के
कारण
भी
हो
सकते
हैं।
जैसे,
यूरीनेरी
ट्रेक्ट
इंफेक्शन
और
किडनी
की
पथरी
आदि।
किडनी
प्रॉब्लम
ल्यूपस
की
बीमारी
जिन
लोगों
को
होने
लगती
है,
उनमें
गुर्दे
की
समस्याएं
विकसित
होने
लगती
है।
जैसे
गुर्दे
में
सूजन
आ
जाती
है
और
रक्त
से
टॉक्सिन
को
फिल्टर
करके
बाहर
निकालना
मुश्किल
हो
जाता
है।
गुर्दे
की
समस्याओं
के
चलते
निचले
पैरों
और
पैरों
में
सूजन,
उच्च
रक्तचाप,
गहरा
मूत्र,
मूत्र
में
रक्त,
और
रात
में
अधिक
बार
पेशाब
करना,
और
एक
तरफ
दर्द
होना
जैसी
दिक्कतें
शुरु
हो
जाती
है।
इस बीमारी से जुड़े कुछ फैक्ट
- दुनिया भर में करीब 5 मिलियन लोग है जो इस बीमारी से पीडि़त है।
- ल्यूपस संक्रामक बीमारी नहीं है, लेकिन अक्सर यह पहचान में नहीं आती है।
- पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ये बीमारी ज्यादा पाई जाती है।
- ल्यूपस पर्यावरणीय कारकों और आनुवंशिक कारकों की वजह से हो सकती है। सकता है।
- ल्यूपस की बीमारी ज्यादा देर तक सूरज की रोशनी, दवाओं और कुछ रसायनों के संपर्क में आने के वजह से भी हो सकते हैं।
- ल्यूपस एक ऐसी स्थिति है जिसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन दवाओं के माध्यम से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
- इसके वजह से जोड़ों से लेकर त्वचा, किडनी, रक्त कोशिकाओं, दिमाग, हृदय और फेफड़ों तक पर असर पड़ता है।
डाइट में सुधार की जरूरत
- डाइट में सुधार करके ल्यूपस की संभावना को समाप्त किया जा सकता है। इसलिए अपने डाइट में हेल्दी पोषक तत्वों को जोड़े।
- एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर सब्जियों और फलों का सेवन।
- अलसी, कैनोला ऑइल, ऑलिव ऑइल, मछली, अलसी, मूंगफली आदि का सेवन।
- बेक्ड और तले हुए भोजन से दूरी बनाएं। साथ ही क्रीम से भरपूर खाद्य और हाई फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट का भी कम सेवन करें।
- पैकेज्ड और फ्रोजन सब्जियों का सेवन कम करें।
- हड्डियों और मसल्स को मजबूत बनाने के लिए लो फैट मिल्क, दही या योगर्ट, चीज, पालक और ब्रॉकली जैसी चीजें खाएं।
- बैंगन, आलू और टमाटर जैसी चीजें इस बीमारी में कुछ लोगों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इनका प्रयोग सही सलाह से करें।
- शराब से बचें और नमक का सेवन सीमित करें।
सूर्य
की
पराबैगनी
किरणों
से
बचें
सूर्य
की
पराबैगनी
किरणों
की
वजह
से
भी
ल्यूपस
हो
सकता
है।
इसलिए
सूर्य
की
पराबैंगनी
किरणों
के
संपर्क
में
आने
से
बचिये।
यदि
बाहर
जा
रहे
हैं
तो
कपड़ों
से
ज्यादा
से
ज्यादा
ढ़क
कर
जाएं
इसके
अलावा
आप
सनस्क्रीन
लोशन
का
भी
इस्तेमाल
कर
सकती
हैं।
ल्यूपस
का
ट्रीटमेंट
ल्यूपस
का
निदान
जरा
मुश्किल
है,
क्योंकि
हर
व्यक्ति
में
इसके
लक्षण
अलग
प्रकार
से
नजर
आते
हैं।
लेकिन
इसके
लक्षणों
को
पहचानकर
शुरुआती
स्तर
पर
इसका
इलाज
करवाकर
हम
इस
बीमारी
को
बढ़ने
से
रोक
सकते
है।
सिर्फ
एक
टेस्ट
से
ल्यूपस
का
निदान
नहीं
किया
जा
सकता।
रक्त
और
यूरीन
दोनों
की
मिश्रित
जांच,
लक्षण
और
इशारे
तथा
शारीरिक
जांच
के
निष्कर्षों
के
बाद
ही
ल्यूपस
का
निदान
किया
जा
सकता
है।