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गर्मियों में कूलर में रहने हेल्दी है या एसी में, जानें इनमें से एक के नुकसान
गर्मियां शुरु होते ही तपिश और चुंभन महसूस होने लगती है। इसलिए हम लोग सुकून के लिए कूलर या एसी का सहारा लेने लगते हैं। दोपहर की पॉवरनैप हो या फिर रात की लम्बी सुकून वाली नींद, हम अच्छी नींद के लिए ठंडी हवा में सोते हैं ताकि नींद सुकून भरी और गहरी आए।
पर यहां सवाल यह उठता है कि हमारी सेहत के लिए बेहतर क्या है एसी या कूलर? कई मायनों में देखा जाए तो एसी भी सही लगती है क्योंकि ठंडी हवाओं के साथ ही खाने की बनी हुई चीजें ताजा रहती है और अगर बात इलेक्ट्रिसिटी बिल की करें तो कूलर बढ़िया विकल्प है। आइए जानते है कि एसी या कूलर क्या होता है ज्यादा हेल्दी।
कूलर से मलेरिया होने का डर
कूलर के पानी को अगर समय रहते बदला नहीं जाएं तो डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मच्छर पनप जाते हैं तो वह आपके लिए हानिकारक हो सकता है। वहीं, एसी में मच्छर होने की संभावना बिलकुल नहीं होती। हालांकि, एसी में भी लगातार रहना सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। अगर आप लगातर एसी में रहते हैं तो आप एसी के आदि हो जाते हैं। जिसका असर आपके इम्यूनिटी पर भी पड़ता है। क्योंकि एसी में बैठने से बॉडी से जो पसीना निकलना चाहिए, वह एक साथ बिना एसी के ज्यादा निकलता है जिससे आप गर्मी में चिड़चिड़ा महसूस करते हैं।
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सांस से संबंधित समस्याओं का खतरा
एसी में ज्यादा समय बिताने वालों को सांस संबंधित समस्याएं भी होने लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोग एसी ले तो लेते हैं लेकिन उसका रख-रखाव अच्छे से नहीं करते हैं, जिससे उसकी जाली में धूल जमा हो जाती है। इससे सांस से संबंधित समस्याएं आती हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जब भी हम एसी चलाते हैं तो सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर लेते हैं, जिससे बाहर की हवा भी अंदर नहीं आ पाती। जितनी हवा कमरे के अंदर होती है, वह एसी की जाली ना साफ होने से उस हवा को प्रदूषित कर देती है, जिससे सांस से संबंधित समस्याएं आती हैं। यह उनके लिए खतरनाक हो सकता है, जिन्हें अस्थमा है।
साइनस और सिरदर्द
वे लोग जो AC में 4 घंटे से अधिक देर तक बैठते हैं, उन्हें साइनस होने का खतरा
वजन बढ़ाता है एसी
कुछ ऐसे मामले में भी सामने आए है, जिसमें माना गया है कि जो लोग ज्यादा एसी में बैठते हैं, उनका वजन बढ़ जाता है। एसी में रहने वाले लोगों का वजन इसलिए बढ़ता है, क्योंकि जब आप एसी में रहते हैं तो आपका मेटाबॉलिज्म कम होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम दिनभर तो एसी में बैठकर काम करते हैं, जिससे पसीना ना निकल पाने के कारण शरीर का फैट बर्न नहीं होता है। इससे लोगों में वजन बढ़ने की शिकायत आती है। वहीं, कूलर में रहने वाले लोगों को इस तरह की कोई भी परेशानी नहीं होती।
स्किन होती है ड्राय
कूलर ह्यूमिडिटी को कम करने की बजाय बढ़ाता है, इसलिए लोग एसी का इस्तेमाल अधिक करते हैं। पर अधिक एसी का यूज त्वचा को ड्राई बनाता है। बेहतर है कि एसी और कूलर का यूज सोच-समझकर करें। एसी 20 से 22 डिग्री पर चलाते हैं तो उमस से बचा जा सकता है, लेकिन ज्यादा एसी में रहने से बॉडी ड्राई हो जाती है। ऐसे में हमें ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए ताकि बॉडी में पानी की कमी ना हो।
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ताजा हवा नहीं मिल पाती है
जब भी आप एसी रुम में सोते है या लम्बा बैठते हैं तो आपको ताजा हवा नहीं मिल पाती है। फ्रीन गैस आपके कमरे के वातावरण से गर्मी को अवशोषित करके रुम को ठंडा कर देता है। जब आप सांस लेते हैं तो ठंडी हवा नहीं एक ठंडक भरा वातावरण का अहसास होता है। गर्म हवा और वातावरण भी स्वास्थय के लिए आवश्यक होता है। दरअसल शरीर का तापमान मैंटेन करने के लिए हमें ठंडी हवा के साथ गर्म हवा की भी जरुरत होती है। फेफड़ों को स्वस्थ रहने के लिए हल्की गर्मी की आवश्यकता होती है जो कि एसी में संभंव नहीं हैं।