For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

कोरोना के कप्‍पा प्लस वेरिएंट को क्यों कहा जा रहा है "वेरिएंट ऑफ इंट्रस्‍ट"? जान‍िए क्‍या होता है इसका मतलब

|

विश्वभर में कोरोना पिछले करीब डेढ़ साल से तबाही मचा रहा है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर भी काफी घातक साबित हुई। डेल्‍टा के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोनावायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट को "वेरिएंट ऑफ कंसर्न" की श्रेणी में रखा है। इसके बाद हाल ही में उत्तरप्रदेश में 2 कप्‍पा वेरिएंट के मामले भी मिले है। जिसे "वेरिएंट ऑफ इंट्रस्ट" की श्रेणी में रखा गया है। आइए जानते है क‍ि आखिर ' वेरिएंट ऑफ इंट्रस्‍ट' और 'वेरिएंट ऑफ कंर्सन' का क्‍या मतलब होता है और इन वेरिएंट की लिस्टिंग कौन करता है?

तीन केटेगरी के है वेरिएंट

तीन केटेगरी के है वेरिएंट

सेंटर्स ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने कोरोना के वेरिएंट्स का वर्गीकरण करने के लिए तीन श्रेणियां बनाई हैं-

- वेरिएंट ऑफ इंट्रस्ट

- वेरिएंट ऑफ कंसर्न

- वेरिएंट ऑफ हाई कॉनजिक्वेंस

'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' का मतलब

'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' का मतलब

सीडीसी के अनुसार वेरिएंट ऑफ कंसर्न वह वेरिएंट है जिसके एक से दूसरे व्यक्ति में ज्यादा फैलाने के प्रमाण मिले हों, ज्यादा घातक बीमारी जिसमें अस्पताल दाखिल करने की नौबत आए या फिर मृत्यु तक हो सकती है, पिछली ​बार इंफेक्शन होने या वैक्सीन लगने से शरीर में बनी एंटी बॉडीज को तेजी से निष्क्रिय करने में सक्षम, ट्रीटमेंट या वैक्सीन के असर को कम करने सझम है।

क्‍या होता है 'वेरिएंट ऑफ इंट्रस्ट'

क्‍या होता है 'वेरिएंट ऑफ इंट्रस्ट'

इसी तरह वेरिएंट ऑफ इंट्रस्ट में ऐसे वेरिएंट्स को रखा गया है जिनमें विशेष जेनेटिक मार्कर्स हैं जिनका संबंध रिसेप्टर ​बाइंडिंग में बदलाव से है,यह पिछले संक्रमण या वैक्सीन से बनी एंटीबॉडीज के असर को कम करने में सक्षम है, इसे अलावा ट्रीटमेंट के असर को कम करने, डायग्नॉस्टिक के असर को कम करने में सक्षम है, या इसके तेजी से फैलने के अनुमान लगाए गए हों।

वेरिएंट ऑफ हाई कॉनजिक्वेंस

वेरिएंट ऑफ हाई कॉनजिक्वेंस

वेरिएंट ऑफ हाई कॉनजिक्वेंस में ऐसे वेरिएंट्स को शामिल किया गया है जिसमें बचाव के लिए अपनाए गए तरीके या मेडिकल काउंटरमेजर्स के असर कम होने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं।

डेल्‍टा वेरिएंट को इसल‍िए कहा गया है 'वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न'

डेल्‍टा वेरिएंट को इसल‍िए कहा गया है 'वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न'

स्वास्थ्य मंत्रालय ने डेल्टा प्लस वेरिएंट में तीन विशेषताएं पाई हैं- यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ज्यादा तेजी से फैलता है, फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेपटर्स को बांधने वाला है और शरीर में एंटीबॉडी के असर को कम करता है।

"वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न" में अब तक सबसे पहले यूके में पाए गए एल्फा या B.1.1.7 वेरिएंट, दक्षिण अफ्रीका में सबसे पहले पाया गया बीटा या B.1.351 वेरिएंट, यूएस में सबसे पहले पाया गया इपसिलन या B.1.427 वेरिएंट को शामिल किया गया है। इससे पहले वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भारत में सबसे पहले पाए गए डेल्टा या B.1.617.2 वेरिएंट को "वेरिएंट ऑफ कंसर्न" में रखा था।

"वेरिएंट ऑफ कंसर्न" को कैसे कंट्रोल किया जा सकता है?

सीडीसी के अनुसार वेरिएंट ऑफ कंसर्न से निपटने के लिए सही हेल्थ एक्शंस जैसे कि ज्यादा टेस्टिंग या इस वेरिएंट के खिलाफ इलाज या वैक्सीन के असर का पता लगाने के लिए रिसर्च किए जाने की जरूरत है। वेरिएंट की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए नए डायग्नॉस्टिक डेवलप किए जा सकते हैं या फिर वेक्सीन या इसके इलाज में बदलाव किया जा सकता है।

English summary

COVID-19: variant of interest vs. variant of concern: What does it mean in hindi

COVID-19: variant of interest vs. variant of concern: Here we explained what does it mean in hindi. Read on.
Desktop Bottom Promotion