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ठहरिये! कहीं आप सैंडल खरीदने तो नहीं जा रहीं...
एक रिसर्च के अनुसार हील की प्रत्येक इंच के अनुसार शरीर का 25 प्रतिशत भार पैर के अलगे भाग पर बढ़ जाता है। यानी की सैंडल की हील 2 इंच होने पर 50 प्रतिशत और 3 इंच होने पर 75 प्रतिशत शरीर का भार पैर की उंगलियों पर पड़ता है, जब कि फ्लैट सैंडिलों से शरीर का समान भार पैर पर पड़ता है।
हमेशा हाई हील पहनने से पिंडलियों की कुछ मांसपेशियों के छोटे होने का डर तो रहता है, साथ ही साथ पांव में छाले पड़ने का भी डर रहता है। उंगलियों के ऊपर तथा नीचे त्वचा बिल्कुल सख्त हो जाती है। इन समस्याओं से बचने के लिये आप ये उपाय गौर फरमा सकती हैं।
सैंडल खरीदने से पहले ध्यान दें-
1.सबसे पहले तो हाई हील के सैंडल का चुनाव हर समय के लिये ना करके किसी खास अवसरों के लिये ही करें।
2. हाई हील की सैंडल वा जूते में पंजे के नीचे मुलायम फोम और चमड़ा डलवाएं, ताकि पैर की उंगलियों पर ज्यादा जोर ना पड़े।
3. बैठते समय पैरों को नीचे की ओर लटका कर बैठने के बजाय थोड़ा ऊंचा कर के रखें, ताकि इससे पैरों में रक्त का बहाव ठीक रहे।
4. अचानक ही हाई हील सैंडल या जूते उतार कर सपाट चप्पलें ना पहनें। पहले थोड़ा कम सपाट और फिर उसके बाद फ्लैट चप्पल पहनें। नहीं तो इससे पिंडली की मांसपेशियों पर बुरा असर पड़ता है।
5. बारिश में चमड़े के बने सैंडल को एवॉइड करें तथा बाहर से आने के बाद पांव की सफाई करें। नहीं तो पांवों में फंगल का फैलते देर नहीं लगेगी ।
6. सैंडल खरीदते समय कभी भी बैठकर सैंडल नहीं नापें। हमेशा खड़े होकर सैंडल नापें, क्योंकि खड़े होने पर पैर का पंजा चौड़ा हो जाता है।
7. सैंडल व जूते हमेशा दोपहर के बाद ही खरीदें, क्योंकि तब तक चलने-फिरने से पांव में भारीपन आ चुका होता है।
8. दोनों पैरों को अलग अलग नापें, जो पैर बड़ा हो, उसी के साइज का चुनाव करें।
9. हाई हील खरीदते समय पहले इस बात की जांच कर लें कि उसकी ढलान आपके लिये सही है या नहीं। इसकी जांच करने के लिये हाई हील को वहीं पर पहन कर 2-4 कदम चलकर देख लें।
10. कभी भी सैंडल ना तो अपने साइज से बड़ा लें और ना ही छोटा। दोनों की स्थिति तकलीफदेह हो सकती है।