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रहना चाहती हैं हर वक्त जवान, तो करें बच्चे पैदा
बच्चे को जन्म देने के बाद हर स्त्री की हालत खस्ता हो जाती है। उस पर बच्चे को लेकर इतनी जिम्मेदारी आ जाती है कि वह अपने ऊपर ध्यान नहीं दे पाती है लेकिन फिर भी जैविक प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होती है कि उसकी बढ़ती उम्र रूक सी जाती है। इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण होते हैं जोकि निम्न प्रकार हैं:
1. एस्ट्रोजन के स्तर में वृद्धि -
- गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में एस्ट्रोजन नामक हारमोन की काफी अधिकता हो जाती है।
- यह हारमोन, शरीर के उपापचय और ऊतकों की वृद्धि को नियमित करता है।
- एस्ट्रोजन से बाल और त्वचा, काफी यूथफुल रहते हैं।
- त्वचा में कोलेजन के उत्पादन में एस्ट्रोजन सहायक होता है जो त्वचा पर झुर्रियां आदि पड़ने से रोकता है।
- हद्य रोग होने से भी बचाता है।
- एस्ट्रोजन, एक प्रकार का शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होता है जो टेलोमेर छोटा करने के खिलाफ कोशिकाओं की रक्षा करता है।
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2. टेलोमेर की बढ़त, बढ़ती उम्र को थाम दे -
- टेलोमेर, क्रोमोसोम्स कहे जाने वाले डीएनए के सिरों पर सुरक्षात्मक टोपी होती है।
- हर कोशिका विभाजन के साथ ये छोटी होती जाती है जो सेलुलर एजिंग को इंगित करती है।
- सेलुलर एजिंग, सेलुलर सेनेसिन्से का नेतृत्व करती हैं (एक स्थिति, जहां कोशिकाएं जीवित रहती हैं लेकिन स्वस्थ और विभाजन करने में सक्षम नहीं होती हैं।)
- छोटे टेलीमेर, कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से सम्बंधित होते हैं जिसमें हाइपरटेंशन, अवसाद, मोटापा और हद्य के रोग आदि शामिल होते हैं।
- एस्ट्रोजन की बढ़ी हुई मात्रा, टेलोमेर की लम्बाई को बढ़ा देते हैं और सेलुलर एजिंग की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं।
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3.
खान-पान
और
जीवनशैली
सम्बंधी
कारक
गर्भावस्था
के
दौरान
एस्ट्रोजन
का
बढ़ा
हुआ
स्तर,
कोलेस्ट्रॉल
स्तर
और
हड्डियों
के
विकास
में
सहायक
होता
है।
गर्भावस्था
के
दिनों
में
फल,
सब्जी,
फाइबर्स,
अंसतृप्त
वसा
और
उच्च
गुणवत्ता
वाली
सब्जियों
के
प्रोटीन
के
सेवन
से
तनाव
नहीं
होता
है
और
टेलोमेर
भी
कम
गति
से
छोटे
होते
हैं।
इस
अवस्था
में
8
घंटे
की
पूरी
नींद
लेना
भी
अति
आवश्यक
होता
है।
जानिये क्यों है एस्ट्रोजन एक औरत का सबसे अच्छा साथी
4. सामाजिक कारक:
एस्ट्रोजन का बढ़ा हुआ स्तर महिला को खुश रखता है लेकिन कई बार मूड स्विंग हो जाता है। ऐसे में सही माहौल का होना बेहद जरूरी था।