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आइये दर्शन करते हैं भारत के प्रसिद्ध शिव मंदिरों के
भारत उन कई देशों में से एक है जहां पूजा-पाठ और मंदिर-मस्जिद की बहुत महत्वता है। हिमालय की चोटी से ले कर साउथ के कन्याकुमारी तक मंदिर ही मंदिर बसे हुए हैं। हिंदू धर्म में तीन भगवानों ब्रह्ममा, विष्णू और शिव की अत्यधिक महत्वता होने की वजह से लोग लोग इनके दर्शन के लिये जाने कहां कहां से आते हैं। भगवान शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। श्वि भक्ति की कृपा हर कोई पाना चाहता है।
भारत में हमें शिव भगवान के कई मंदिर देखने को मिलेगें। केदारनाथ, सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, अमरनाथ, लिंगराज आदि शिव मंदिरों पर वैसे तो रोजाना ही भींड़ होती है, मगर शिवरात्री पर यहां अत्यधिक भींड देखी जाती है। हर शिव मंदिर के पीछे एक न एक कहानी छुपी हुई है। अगर आप भी किसी छुट्टी शिव मंदिर घूमने या फिर अपने बूढे मां-बाप को शिव दर्शन करवाने के लिये प्लान बना रहे हैं, तो हम आपको कुछ शिव मंदिरों की जानकारी देगें, जो कि पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है।
काशी विश्वनाथ मंदिर वारानसी, उत्तर प्रदेश
काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
केदारनाथ मंदिर, उत्तराखडं
केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहां पर मौजूद शिवलिंग काफी प्राचीन है।
अमरनाथ गुफा, जम्मू कशमीर
अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्यों कि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात
सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जिसकी गिनती १२ ज्योतिर्लिंगों में होती है । कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था । इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है । इसे अब तक १७ बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया ।
लिंगराज मंदिर, ओडीसा
लिंगराज मंदिर भारत के ओडिशा प्रांत की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित है। यह इस शहर के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। धार्मिक कथा है कि लिट्टी तथा वसा नाम के दो भयंकर राक्षसों का वध देवी पार्वती ने यहीं पर किया था। संग्राम के बाद उन्हें प्यास लगी, तो शिवजी ने कूप बनाकर सभी पवित्र नदियों को योगदान के लिए बुलाया। यहीं पर बिन्दूसागर सरोवर है तथा उसके निकट ही लिंगराज का विशालकाय मन्दिर है।
मुरुदेश्वर शिव मंदिर, कर्नाटक
यह हिन्दू भगवान शिव के एक नाम पर पड़ा है। यहां विश्व में भगवान की दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति स्थित है। यह मंदिर अरब सागर के तट पर स्थित है और मेंगलोर से १६५ किलो मीटर दूर अरब सागर के बहुत ही सुन्दर एवं शांत तट के किनारे बना हुआ है।
मल्लिकार्जुन, आंद्र प्रदेश
यह मंदिर कुर्रनूल, आंद्र प्रदेश पर स्थित है। इस मंदिर पर तरह तरह कि नक्काशी की हुई है।
महाकालेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश
भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है।ऐसी मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
बैद्यनाथ धाम, देवघर झारखंड
देवघर भारत के झारखंड प्रान्त का एक शहर है। यह शहर हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ-स्थल है। इस शहर को बाबाधाम नाम से भी जाना जाता है क्योंकि शैव पुराण में देवघर को बारह जोतिर्लिंगों में से एक माना गया है। यहाँ भगवान शिव का एक अत्यंत प्राचीन मंदिर स्थित है। हर सावन में यहाँ लाखों शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है जो देश के विभिन्न हिस्सों सहित विदेशों से भी यहाँ आते हैं।
रामेश्वरम , तमिल नाडु
रामेश्वरम हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ है। यह तमिल नाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह तीर्थ हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। इसके अलावा यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। भारत के उत्तर मे काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है।