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Angarki Sankashti Chaturthi :अंगारकी संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त हो गया है प्रारंभ, जान लें चंद्रोदय का समय
इस साल फाल्गुन महीने की संकष्टी चतुर्थी 2 मार्च को है। मंगलवार के दिन यह तिथि पड़ने के कारण इस संकष्टी चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है। अंगारकी चतुर्थी का संबंध मंगल ग्रह से हैं और यह मनुष्य के जीवन को प्रभावित भी करता है। यह दिन भगवान गणपति को समर्पित माना गया है। इस दिन पूरे विधि विधान से गणेश भगवान की पूजा की जाती है। भगवा गणेश का आशीर्वाद मिलने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इस लेख में जानते है अंगारकी चतुर्थी की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और महत्व।
संकष्टी चतुर्थी की तिथि और शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि आरंभ: 02 मार्च 2021 (मंगलवार) सुबह 05 बजकर 46 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 03 मार्च 2021 (बुधवार) रात 02 बजकर 59 मिनट तक।
चंद्रोदय का समय: 09:41 बजे
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नानादि के पश्चात् साफ़ वस्त्र धारण करें। इस दिन पूजा में लाल रंग के वस्त्र पहनकर बैठना शुभ माना जाता है। पूजा के लिए बैठते समय ध्यान रखें कि आपका मुख उत्तर अथवा पूर्व दिशा में हो। भगवान गणपति को साफ़ आसन अथवा चौकी पर विराजित करें। गणेश भगवान की धूप-दीपक से पूजा करें। पूजा के समय में आप 'इस ॐ गणेशाय नमः' या 'ॐ गं गणपते नमः' मंत्रों का जाप करें। आप भगवान को भोग लगाने के लिए गणपति के प्रिय मोदक, लड्डू या तिल से बनें मिष्ठान चढ़ाएं। शाम के समय में व्रत कथा पढ़ें और चंद्र देव को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल लें। व्रत के पूरा होने के बाद आप अपनी इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों को दान दें।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है। ऐसी मान्यता हे कि संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने से जातक के जीवन की सभी कठिनाईयां दूर हो जाती हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र देव के दर्शन करना शुभ माना गया है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत पूरा माना जाता है। इस दिन व्यक्ति को सच्चे मन से गणेश भगवान की आराधना करनी चाहिए। श्रीगणेश के आशीर्वाद से सुख, समृद्धि, धन, धान्य की जीवन में कभी कमी नहीं होगी।