Just In
- 36 min ago घर, गाड़ी, पैसा, लोकसभा चुनाव लड़ने से मना करने वाली निर्मला सीतारमणके पास कितना हैं धन दौलत?
- 2 hrs ago Chicken Malai Cutlet Recipe: इफ्तार के लिए बनाएं चिकन मलाई कटलेट, यहां जानें रेसिपी
- 11 hrs ago क्या नारियल पानी पीने से कम हो जाता है यूरिक एसिड, जानें पीना चाहिए या नहीं?
- 11 hrs ago क्या आप भी ऊंचा ताकिया लगाकर सोते हैं? आपकी ये आदत पड़ सकती है सेहत पर भारी
Don't Miss
- Automobiles बीजेपी नेता ने बेटी को गिफ्ट की 2.44 करोड़ की Mercedes-Benz SL55 AMG, VIDEO वायरल
- News उधमसिंह नगर के गुरुद्वारे में कार सेवा डेरा प्रमुख नानकमत्ता बाबा की गोली मारकर हत्या,बाइक से आए थे दो हमलावर
- Movies Swatantra Veer Savarkar BO Collection: कछुए से भी धीमी हुई रणदीप हुड्डा की फिल्म की कमाई, बस इतना हुआ कलेक्शन
- Education JEE Main 2024 Admit Card: दूसरे सत्र के लिए जेईई मेन 2024 परीक्षा सिटी स्लिप जारी, जानिए कब आयेगा एडमिट कार्ड
- Technology Poco के इस धांसू 5G फोन पर बंपर डिस्काउंट, जल्दी करें ऑर्डर, जानें कीमत, मॉडल और ऑफर्स डिटेल
- Finance Share Bazar News: Sensex 221 अंक की तेजी के साथ खुला, जानिए टॉप 5 गेनर शेयर
- Travel क्या है मदुरै का फेमस फेस्टिवल चिथिरई, इस साल कब मनाया जाएगा?
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
आषाढ़ी एकादशी पर निकलती है पंढरपुर की दिंडी यात्रा, जानें इससे जुड़े दिलचस्प तथ्य
हर साल आषाढ़ माह की एकादशी पूरे भारत में देवशयनी या आषाढ़ी एकादशी के नाम से मनाई जाती है। आषाढ़ी एकादशी के मौके पर महाराष्ट्र में एक अलग ही धूम देखने को मिलती है। इस त्योहार पर महारष्ट्र के हर कोने से भक्त दिंडी जात्रा का हिस्सा बनते हैं और पंढरपुर में विट्ठल के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस यात्रा में शामिल होने वाले हर वारकरी (भक्त) की यही इच्छा होती है की उन्हें मुक्ति ना मिले और फिर उन्हें मानव जीवन में इस धरती में आना पड़े ताकि वो विट्ठल की भक्ति कर सकें। आषाढ़ी एकादशी पर पंढरपुर यात्रा से जुड़ी और दिलचस्प बातें जानते हैं।
800 वर्षों से किया जा रहा है यात्रा का आयोजन
पंढरपुर में भगवान विष्णु के अवतार विठोबा और उनकी पत्नी रुक्मणि के सम्मान में श्रद्धालु हर साल यहां पहुंचते हैं। भक्तों का जमावड़ा साल में चार बार लगता है। सबसे ज्यादा अकीदतमंद आषाढ़ महीने में और फिर क्रमशः कार्तिक, माघ और श्रावण महीने में एकत्रित होते हैं। ऐसी मान्यता है कि शोलापुर नगर में भीमा नदी के तट पर मौजूद विठोबा मंदिर में इस उत्स्व का आयोजन 800 सालों से होता आ रहा है।
भक्त के दिए ईंट को श्रीकृष्ण ने बनाया था अपना आसन
पुंडलिक अपने माता पिता के परम सेवक थे और भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त। प्रचलित कथा के अनुसार, एक दिन पुंडलिक अपने माता पिता की सेवा कर रहे थे और तभी कृष्ण भगवान उन्हें दर्शन देने पहुंच गए। मगर भक्त पुंडलिक अपने पिता के चरण दबाते रहे। पुंडलिक खड़े नहीं हुए और भगवान को खड़े होने के लिए उन्होंने ईंट सरका दी। वहीं प्रभु कृष्ण अपने भक्त पुंडलिक की पितृभक्ति से प्रसन्न हुए और उसके दिए ईंट को स्वीकार किया तथा अपनी कमर पर हाथ रखकर उस पर ही खड़े हो गए। इस वजह से यहां निज मंदिर में भगवान की मूर्ति कमर पर हाथ रखकर खड़े हुए है। कृष्ण ने पत्थर (विठ या ईंट) को खुशी से अपना आसन बनाया इस वजह से ये विठोबा के नाम से मशहूर हुए।
विठोबा की मूर्ति को ले गए थे कृष्णदेव
ऐसा कहा जाता है कि विजयनगर साम्राज्य के महशूर राजा कृष्णदेव पंढरपुर में मौजूद विठोबा की मूर्ति को अपने राज्य में ले गए थे मगर बाद में प्रभु का एक भक्त उनकी मूर्ति को वापस इस स्थान पर ले आया और इसे पुनः स्थापित कर दिया।
Most Read:शुक्रनीतिः जीवनसाथी और इन 2 चीजों को कभी ना छोड़े दूसरों के भरोसे, श्रीराम भी थे पछताए
हर साल वारकरी करते हैं पंढरपुर की दिंडी जात्रा का इंतजार
पंढरपुर की वारी अर्थात तीर्थयात्रा करने वाला व्यक्ति वारकरी कहलाता है, जो विठू का भक्त है। महाराष्ट्र ना जाने कितने महान संतों की कर्मभूमि रही है और हर साल देवशयनी एकादशी पर इन संतों के जन्म या समाधि स्थलों से पालकियां और दिंडियां निकलती हैं। ये ना जाने कितने ही किलोमीटर का लंबा सफर तय करके पंढरपुर दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
आज भी लोगों को एक दूसरे पर है विश्वास
इस यात्रा में शामिल होने वाले हर दिंडी का एक मुखिया होता है और उनके पास खर्च के लिए वारकरी धन जमा करते हैं। सामान लाने ले-जाने के लिए किराए के वाहन का भी इंतजाम किया जाता है। मुखिया इस बात का ख्याल रखता है कि एक पड़ाव से पहले ही वो पहुंच कर अपने समूह के खाने पीने का बंदोबस्त करे। वो उन पैसों को कभी भी स्वयं पर खर्च नहीं करता है और ना ही उस धन को लेकर उसकी नीयत बिगड़ती है। इस यात्रा ने लोगों को एकदूसरे पर विश्वास करना सिखाया है।
Most Read:इस तारीख से लगने वाला है सावन, जानें सावन के सभी सोमवार की तारीखें
|
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया इस यात्रा का जिक्र
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को आषाढ़ी एकादशी और चातुर्मास की बधाई दी। साथ ही उन्होंने आषाढ़ी एकादशी का पंढरपुर से खास रिश्ते का जिक्र भी अपने ट्वीट में किया।