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आज शाम से प्रतिपदा तिथि शुरु.. कल से शुरु होंगे चैत्र नवरात्र
कल
18
मार्च
रविवार
से
मां
शक्ति
की
आराधना
का
पर्व
चैत्र
नवरात्र
का
आरंभ
हो
जाएंगे।
चैत्र
नवरात्रि
के
लिए
घटस्थापना
चैत्र
प्रतिपदा
को
होती
है
जो
कि
हिन्दु
कैलेण्डर
का
पहला
दिन
होता
है।
इस
बार
चैत्र
नवरात्र
18
मार्च
से
26
मार्च
तक
रहेंगे।
इन
दिनों
मां
शैलपुत्री,
ब्रह्मचारिणी,
चंद्रघंटा,
कुष्मांडा,
स्कंदमाता,
कात्यायनी,
कालरात्रि,
महागौरी
और
सिद्धिदात्रि
मां
के
नौ
अलग-अलग
रुपों
की
पूजा
की
जाती
हैं।
अबकी बार चैत्र नवरात्र में विशेष यह है कि लगातार चौथे वर्ष चैत्र नवरात्र 8 दिन की होगी, क्योंकि अष्टमी-नवमी तिथि एक साथ है। नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा को सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी। इस साल उतरा-भाद्रपद नक्षत्र और मीन राशि में नया साल विक्रम संवत 2075 व नवरात्र शुरू हो रहे हैं।
घट स्थापना मूहूर्त
नवरात्रि मूहूर्त घट स्थापना वैसे प्रतिपदा तिथि में होता हैं। प्रतिपदा तिथि 17 मार्च 2018, शनिवार 18:41 से आरम्भ होकर 18 मार्च 2018, रविवार 18:31 पर समाप्त होगी। नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त इस बार सुबह 06:31 से 07:46 बजे तक हैं। इसके अलावा अभिजित मूहूर्त दोपहर 12.07 से 12. 35 तक हैं। अभिजित मूहूर्त में घटस्थापना करना बेहद शुभ माना जाता हैं। इसके अलावा एक दोपहर 2:10 से 3:30 तक भी मूहूर्त हैं।
चैत्र और शरद नवरात्रि में अंतर
चैत्र नवरात्रि के लिये घटस्थापना चैत्र प्रतिपदा को होती है जो कि हिन्दु कैलेण्डर का पहला दिवस होता है। अतः भक्त लोग साल के प्रथम दिन से अगले नौ दिनों तक माता की पूजा कर वर्ष का शुभारम्भ करते हैं।
महाराष्ट्र में इसे गुड़ीपढ़वा के नाम से मानाते हैं जबकि कश्मीरी हिंदू इसे नवरे कहते हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में उगादी के रूप में मनाते हैं।
चैत्र नवरात्रि को वसन्त नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। भगवान राम का जन्मदिवस चैत्र नवरात्रि के अन्तिम दिन पड़ता है और इस कारण से चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।
वहीं शरद नवरात्रि जिसे महाविरत्री भी कहा जाता है, आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन पूरे भारत में दुर्गा पूजा के नाम से मनाया जाता है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
- ज्योतिषीय दृष्टि से चैत्र नवरात्रि में सूर्य का राशि परिवर्तन होता है।
- सूर्य 12 राशियों का चक्र पूरा कर दोबारा मेष राशि में प्रवेश करते हैं और एक नये चक्र की शुरुआत करते हैं।
- ऐसे में चैत्र नवरात्रि से ही हिन्दु नव वर्ष की शुरुआत होती है।फाइनेंशियल ईयर भी चैत्र नवरात्रि के दौरान ही शुरू होता है।
- माता को जो भी भोग लगाएं वो घर में बना होना चाहिए
- नवरात्रि के दिनों में बाल और नाखून ना काटें
- मांसाहारी खाना ना खाएं
- खाने में प्याज और लहसुन का प्रयोग ना करें
- नवरात्रि को दौरान अपना घर और मंदिर बिल्कुल साफ रखें
व्रत करने का महत्व
चैत्र नवरात्रि के वैज्ञानिक महत्व की बात करें तो यह समय मौसम परिवर्तन का होता है, इसलिए मानसिक सेहत पर इसका खासा प्रभाव देखने को मिलता है। इस समय में अक्सर लोगों के बीमार पड़ने की आशंका रहती है ऐसे में का व्रत करना शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए लाभकारी हो सकता है।
घटस्थापना का महत्व
धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। धारणा है की कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित होती हैं। साथ ही ये भी मान्यता है कि कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं। इसलिए नवरात्र के शुभ दिनों में घटस्थापना की जाती है।
इन चीजों का रखे ध्यान
कलश स्थापना विधि
नवरात्रि की शुरुआत घरों में साफ सफाई से होती है। घर के जिस स्थान पर आप कलश स्थापना करना चाहते हैं उस स्थान को अच्छी तरह साफ कर लें। मिट्टी के घरों में इसे गाय के गोबर से लीपकर या कलश स्थापना के स्थान को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर सकते हैं। कलश स्थापना और पूजा के उपयोग में आने वाले बर्तन को साफ कर दें। एक लकड़ी का चौक रखकर उस पर नया लाल कपड़ा बिछाएं। इसके साथ एक मिट्टी के बर्तन में जौ बो दें। इसी बर्तन के बीच में जल से भरा हुआ कलश रखें।
कलश का मुख खुला ना छोड़ें,उस पर नारियल रखें। इसके बाद कलश के पास दीपक जलाएं। आपका कलश मिट्टी या किसी धातु का बना हो सकता है। लौहे या स्टील का कलश का उपयोग घटस्थापना में न करें।