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Ganesh Chaturthi: क्यों गणेश स्थापना के समय किया जाता है अक्षत का इस्तेमाल, जरुर जानें इससे जुड़ा नियम
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम देव के रूप में पूजा जाता है। किसी भी शुभ कार्य से पहले उनका स्मरण किया जाता है। ऐसा करने से न सिर्फ गणपति महाराज का आशीर्वाद मिलता है बल्कि उस कार्य में सफलता भी मिलती है। भाद्रपद महीने की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान गणपति का जन्म हुआ था। गणेश भगवान के जन्म का यह उत्सव दस दिनों तक चलता है। गणेश चतुर्थी के मौके पर भक्त अपने घरों में भगवान गणपति को बड़ी ही धूमधाम से लेकर आते है और उनकी स्थापना करते हैं। गणेश आगमन व स्थापना के समय में अक्षत का इस्तेमाल बहुत जरूरी माना गया है। जानते हैं गणेश पूजा में अक्षत का क्या महत्व है।
गणेश उत्सव
गणेश उत्सव की धूम पूरे देश में रहती है। चतुर्थी तिथि के दिन भक्त गणपति बप्पा की मूर्ति अपने घर लेकर आते हैं। घर में मूर्ति की स्थापना की जाती है और उनकी खूब सेवा की जाती है। दस दिनों तक चलने वाला ये उत्सव अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ समाप्त होता है। कई लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार 5, 7 या 9 दिनों तक गणपति को घर में रखकर उनका विसर्जन कर देते हैं। गणेश भगवान के भक्तों के लिए ये पर्व विशेष महत्व रखता है। वो पूरे साल इस त्योहार का इंतजार करते हैं। इस उत्सव के लिए कई राज्यों में विशेष इंतजाम किए जाते हैं।
चावल के इस्तेमाल के पीछे की वजह
गणपति पूजा में अक्षत/चावल का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि चावल पांच मुख्य देवी-देवता भोलेनाथ, शक्ति, कृष्ण भगवान, श्रीराम और गणपति भगवान से सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में सक्षम है। लोगों की आस्था है कि देवी-देवताओं को साबुत चावल चढ़ाने से घर-परिवार और जीवन में सकारात्मकता का वास होता है।
गणेश पूजा में अक्षत का उपयोग
गणपति भगवान को शुभकर्ता व दुखहर्ता माना जाता है। गणेश चतुर्थी के दौरान उनके आगमन के समय यदि अक्षत चढ़ाएं जाये तो जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। घर से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। कामयाबी मिलती है और इस राह में आने वाली बाधाओं का हल मिलता है। भगवान गणेश की पूजा में अक्षत अर्पित करने से जीवन में शुक समृद्धि का वास होता है। साथ ही अन्य देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी मिलता है।
अक्षत चढ़ाते समय याद रखें ये नियम
यदि आप भी गणपति भगवान को घर ला रहे हैं तो उन्हें अक्षत जरुर चढ़ाएं। मगर इस बात का ध्यान रखें कि आप सादे अक्षत उन्हें अर्पित न करें। आप पूजा के लिए जो चावल लें उसमें हल्दी या कुमकुम अवश्य मिला लें। हल्के हाथों से चावल को मिक्स करें ताकि उसके दाने टूटे नहीं। आप किसी भी देवी-देवता को सादे चावल न चढ़ाएं। अक्षत में हल्दी या कुमकुम मिला देने से इनकी पवित्रता बढ़ जाती है।
- 2021 में गणेश चतुर्थी कब है?
भाद्रपद महीने की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान गणपति का जन्म हुआ था। साल 2021 में गणेश चतुर्थी 10 सितंबर, शुक्रवार को है।