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जानिए, क्‍यूं अघोरी साधु मोह माया छोड़ श्‍मशान में रहते है?

अघोरियों को डरावना या खतरनाक साधु भी समझा जाता है लेकिन अघोर का अर्थ होता है जो सरल हो, जिसमें कोई भेदभाव नहीं हो। आइए जानते है कि अघोरियों के बारे में आखिर कौन और कैसे होते है ये लोग

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आपने कुंभ के मेले या श्‍मशान और दुर्गम स्‍थानों में साधुओं को तपस्‍या करते हुए या ध्‍यान में मग्‍न रहते हुए देखा होगा। कई बार तो आप इनके लम्‍बे बाल अजीबो गरीब पहनावे और राख से सने हुए इनके शरीर को को देखकर डर जाते होंगे। इन्‍हें अघोरी कहा जाता हैं।

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अघोरपंथ साधना की एक शाखा है। शमशान में तंत्र क्रिया करने वाले साधुओं को अघोरी बाबा कहते हैं। यूं तो अघोरियों का इतिहास करीब 1000 वर्ष पुराना है। उस समय वाराणसी में अघोरियों का जन्म हुआ था। लेकिन आज इनकी संख्या काफी कम हो गई है। अघोरियों की सबसे पहली पहचान यही है कि वे किसी से कुछ नहीं मांगते। दूसरा यह कि वे जल्दी से दिखाई नहीं देते। शमशान में रहने वाले अघोरी साधुओं को कुंभ में देखा जा सकता है।

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अघोरियों को डरावना या खतरनाक साधु भी समझा जाता है लेकिन अघोर का अर्थ है अ+घोर यानी जो घोर नहीं हो, डरावना नहीं हो, जो सरल हो, जिसमें कोई भेदभाव नहीं हो। अघोरियों का वास्तविक रूप देखकर एक बार के लिए आप डर सकते हैं। आइए जानते है दुनिया और समाज से दूर, एकांत और श्‍मसान में रहने वाले इन अघोरी साधुओं से जुड़ी कुछ बातों के बारे में

शिव का रुप कहा जाता है अघोरियों को

शिव का रुप कहा जाता है अघोरियों को

अघोरी साधुओं का शिव का रूप कहा जाता है। इसलिए यह भी मान्यता है कि अघोरी कलयुग में पृथ्वी पर भगवान शिव का जीवित रूप हैं। शिवजी के पांच रूपों में से अघोर एक रूप है। अघोरियों के बारे में हमेशा से ही लोगों की जिज्ञासा रहती है। आम इंसानों से दूरी बनाकर रहने वाले ये साधु भांग-धतूरे के नशे में रहते हैं। इन्हें जीवन यापन करने के लिए किसी सुख-सुविधा की जरूरत नहीं होती।

यौन क्रियाओं से मिलती है शक्तियां

यौन क्रियाओं से मिलती है शक्तियां

अघोरी बाबाओं का मानना होता है कि वो अगर मृत शरीर के बीच में किसी के साथ यौन संबंध बनाते हैं तो उससे अलौकिक शक्तियां पैदा होती हैं। सेक्‍स करने के दौरान अगर तीव्र ध्‍वनि में किसी वाद्य यंत्र को बजाया जाएं और जोर जोर से मंत्रों का उच्‍चारण किया जाएं तो इन्‍हें असीम शक्तियां प्राप्‍त होती हैं। इसके अलावा वो इस बात का भी ध्‍यान रखते है कि किसी महिला से बलपूर्वक यौन संबंध न बनाया जाएं और साथ ही महिला यौन संबंध बनाते हुए मासिक धर्म की स्थिति में होनी चाहिए। इससे इनकी शक्तियों में इजाफा होता हैं। सुनकर थोड़ा अजीब जरुर लग रहा होगा।

नर मांस खाने के लिए जाने जाते हैं

नर मांस खाने के लिए जाने जाते हैं

ये लोग अपने खाने की आदतों की वजह से काफी जाने जाते हैं, ये लोग कुछ भी खा लेते हैं। सिर्फ गाय के मांस का परहेज करते हैं, बाकी ये लोग कुछ भी खा लेते हैं। रुखी सूखी मिले तो रुखी सूखी वरना ये लोग मानव शव भी खा लेते हें। ये लोग जलाकर या कच्‍चा मांस भी खा लेते हैं। माना जाता है कि कच्‍चा मांस खाने से इन्‍हें अलोकिक शक्तियां मिलती हैं जो इन्‍हें भगवान शिव के समीप ले जाती हैं।

मृत लोगों से भी कर सकते हैं बात

मृत लोगों से भी कर सकते हैं बात

अघोरियों के पास भूतों से बचने के लिए एक खास मंत्र रहता है। साधना के पूर्व अघोरी अगरबत्ती, धूप लगाकर दीपदान करता है और फिर उस मंत्र को जपते हुए वह चिता के और अपने चारों ओर लकीर खींच देता है। कहा जाता है कि इनके पास काली शक्तियां होती हैं और ये लोग मृत लोगों से बात सकते हैं।

इनका आर्शीवाद होता है वरदान

इनका आर्शीवाद होता है वरदान

ऐसी मान्यता है कि अघोरी साधु हर किसी को जल्दी से आशीर्वाद नहीं देते। यदि ये किसी को आशीर्वाद दे दें तो उसका जीवन सुखमय हो जाता है। यह भी कहा जाता है कि पहले तो अघोरी किसी को कोई वचन नहीं देते। अघोरियों के बारे में कहा जाता है कि ये बड़ें ही जिद्दी स्वभाव के होते हैं। यदि ये किसी से कुछ मांगेंगे तो लेकर ही जाएंगे। क्रोधित होने पर ये अपना तांडव दिखा देते हैं।

तीन तरह की साधना करते है

तीन तरह की साधना करते है

अघोरी साधना तीन प्रकार की होती है। यानी अघोरी साधु श्मशान में तीन तरह की साधना करते हैं। पहली श्मशान साधना, शव साधना और तीसरी शिव साधना। ऐसी मान्यता है कि शव साधना के बाद बाद मुर्दा भी बोल उठता है और आपकी इच्छाएं पूरी करता है। शिव साधना में शव के ऊपर खड़े रहकर साधना की जाती है। शमशान साधना में परिजनों को भी शामिल किया जा सकता है।

समाज की घृणा को अपनाते हैं

समाज की घृणा को अपनाते हैं

जिनसे समाज घृणा करता है अघोरी उन्हें अपनाता है। लोग श्मशान, लाश, मुर्दे के मांस व कफन आदि से घृणा करते हैं लेकिन अघोर इन्हें अपनाता है। साधना के पूर्व मोह-माया का त्याग जरूरी है। सभी तरह के वैराग्य को प्राप्त करने के लिए ये साधु श्मशान में कुछ दिन गुजारने के बाद जंगल या हिमालय की तरफ पलायन कर लेते हैं।

ये पांच 'म' नियम है जरुरी

ये पांच 'म' नियम है जरुरी

अघोरी जीवन सरल नहीं होता हैं, हर अघोरी को अपने जीवन में पांच कड़े नियमों का पालन करना जरुरी होता हैं। ये पांच नियम म शब्‍द से संबंधित होते हैं। म से मोक्ष होता है इसलिए इनका जीवन इस शब्‍द के इर्द गिर्द ही घूमता रहता हैं।

मध्‍या: शराब या ऐसा द्रवीय पद्धार्थ जो मस्तिष्‍क की ग्रंथियों में घुल जाता है।

मम्‍सा: मांस

मत्‍सय: जुड़वा मछलियों की संरचना जो मिलकर 8 का अंक बनाती हो यह रीढ़ की हड्डी से जुड़ी हुई होती हैं।

मुद्रा: योग से जुड़ी अलग अलग तरह के आसान, कुंडलिनी योगा जो कि प्राचीन काल से अघोरी मानते हुए आ रहे हैं।

मैथुना: संभोग की क्रिया(जो किसी गुरु से सीखनी जरुरी होती हैं। )

निर्वाण के लिए मरिजुआना

निर्वाण के लिए मरिजुआना

अघोरी निर्वाण पाने के लिए काफी मात्रा में मरिजुआना का ग्रहण करते हैं। यह एक प्रकार की नशीली औषधि होती हैं। ये इसको खाकर भगवान को प्रसन्‍न करने के लिए मंत्रों का उच्‍चारण करते है। ऐसा करके उन्‍हें आध्‍यात्मिक संतोष मिलता हैं।

English summary

How Aghori Sadhus And Their Black Magic Works!

Aghori Sadhus are popular all over the world for their bizarre and weird nature and way of living. Find out what exactly do these sadhus do.
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