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घर में पूजास्थल बनाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखें
जहां एक ओर अन्य धर्मों में मूर्ति पूजा पर इतना ज्यादा विश्वास नहीं किया जाता है, वहीं हमारे धर्म में देवी-देवताओं की आराधना के लिए मूर्ति पूजा ही सबसे प्रमुख माध्यम है। हर मंदिर के गर्भगृह में मंदिर के इष्ट देव की मूर्ति की स्थापना अवश्य की जाती है, ताकि भक्त अपने ईश्वर से जुड़ पाये।
हिंदू
धर्म
के
अनुयायी,
मूर्ति
पूजा
में
विश्वास
क्यों
करते
हैं?
हिदू
धर्म
के
अनुयायियों
के
लिए,
मंदिर
में
ईश्वर
के
दर्शन
करना
महत्वपूर्ण
होता
है।
उनके
लिए,
भगवान
अनंत
शक्ति
और
ताकत
का
स्त्रोत
हैं,
उनकी
आराधना
और
वंदना
के
माध्यम
से
लोगों
को
प्रेरणा
मिलती
है
और
वो
मुश्किलों
से
उभरना
सीख
लेते
हैं।
मूर्ति
के
सामने
रहने
से
उन्हें
बुरे
काम
न
करने
की
शिक्षा
मिलती
है
और
सदैव
अच्छे
व
नेक
पथ
पर
चलने
की
प्रेरणा
मिलती
है।
साथ
ही
लोगों
का
मन
साफ
रहता
है।
शास्त्रों
इस
बारे
में
क्या
कहते
हैं?
अगर
हिंदू
धर्म
के
शास्त्रों
की
बात
करें
तो
हर
घर
में
एक
मंदिर
होना
चाहिए
और
घर
में
स्थापित
मंदिर
के
लिए
कुछ
नियमों
का
पालन
भी
अवश्य
करना
चाहिए।
ध्यान रखने योग्य बातें: अगर आपके घर में मंदिर या पूजा कक्ष है तो हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार आपको निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
1. अलग पूजा कक्ष बनवाएं-
घर में यदि स्थान की कमी न हो, तो अलग से पूजा कक्ष का निर्माण करें। पूजा कक्ष के द्वार का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। दम्पत्तियों के कक्ष में पूजा कक्ष नहीं बनाना चाहिए, ऐसा माना जाता है कि अगर आप शारीरिक सम्बंधों को घर के बाकी लोगों के समक्ष नहीं बनाते हैं तो ईश्वर के सामने भी ऐसा न करें। यही कारण है कि पूजा स्थलों में भी परिसर के अंदर सराय नहीं होते हैं।
2. रसोई के अंदर या ठीक विपरीत मंदिर न रखें:
पूजा स्थल को कई लोग रसोई में बना लेते हैं, ऐसा न करें। न ही रसोई के ठीक विपरीत पूजा स्थल बनाएं। कई घरों में किचेन में ही डस्टबीन और बाकी का कूडा रखा रहने दिया जाता है, ऐसे में भगवान रखना सही नहीं होता है। साथ ही खाना बनाने के दौरान धुआं भी मंदिर तक पहुँचेगा।
3. मंदिर की स्थिति सबसे ज्यादा मायने रखती है
अगर आप दो मंजिला इमारत पर रहते हैं तो अपने पूजा कक्ष को इस प्रकार बनाएं कि ऊपरी मंजिल में उसके ऊपर बाथरूम या लैट्रिन न हों। मंदिर एक पवित्र स्थान होता है, इसका पूरा ख्याल रखें।
4. मंदिर में कभी ताला न लगाएं
कई लोग ऐसे मंदिर रखते हैं कि पूजा करने के बाद उसे लॉक कर दें। ऐसा कतई न करें। मंदिर, पूता के लिए होता है न कि भगवान को अंदर बंद रखने के लिए। मंदिर को खुला रहने दें, इससे घर व उस स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
5. मंदिर की नियमित सफाई करें
आप प्रतिदिन स्नान करते हैं तो मंदिर हर दिन क्यों साफ नहीं कर सकते। घर के अन्य हिस्सों की तरह मंदिर की सफाई भी प्रतिदिन कीजिए। हर मूर्ति व तस्वीर को साफ करें, इससे आपको ही अच्छा महसूस होगा।
6. घर पर कितनी मूर्तियां रखें?
मंदिर में सिर्फ भगवान होते हैं वहां भौतिकवादिता की कोई जगह नहीं होती है। लेकिन घरों में हम पारिवारिक जीवन जीते हैं इसलिए बहुत ज्यादा मूर्ति या तस्वीरें रखने की आवश्यकता नहीं होती है। घर पर कुछ सीमित ही मूर्तियों व तस्वीरों को रखना चाहिए, जोकि निम्न प्रकार हैं:
7. लक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती:
कई लोगों का मानना है कि तीनों की मूर्ति आप रख सकते हैं लेकिन कई बार, पुजारियों व विद्वानों के द्वारा इन तीनों देवियों की मूर्ति एक साथ रखने को मना किया जाता है। मानते हैं कि इससे घर में बुरा होता है और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। गणेश जी के साथ लक्ष्मी जी का पूजन, दीपावली पर होता है तो इस प्रकार लक्ष्मी जी हर घर में प्रवेश करती हैं। हां, गणेश जी की मूर्ति को आप घर में किसी भी स्थान पर आराम से रख सकते हैं।
8. दो शिवलिंग :
घर के मंदिर में शिवलिंग रखना निषिद्ध होता है। कई लोग एक ही शिवलिंग रखना सही मानते हैं, जबकि कायदानुसार एक भी शिवलिंग को नहीं रखना चाहिए। शिवलिंग को सिर्फ धार्मिक स्थलों पर ही रखना चाहिए।
9. मूर्तियां व चित्रों को लेकर नियम :
घर में कभी भी कृष्ण या राधा / रूक्मिणी या मीरा की तस्वीर को नहीं लगाना चाहिए। भगवान कार्तिकेय की उनकी दोनों पत्नियों वाल्ली और देवासेना के साथ भी कोई फोटो न लगाएं। गणेश भगवान की रिद्धि और सिद्धि के साथ भी मूर्ति या तस्वीर लगाना, शास्त्रों में मना किया गया है। माना जाता है इससे शादी में समस्या आती है।
10. मूर्तियों को क्रम से लगाएं:
ब्रहृमा, विष्णु और महेश की मूर्तियों को सही क्रम में लगाएं।