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क्या अश्वत्थामा अभी भी ज़िंदा हैं? जानें चौंका देने वाले रहस्य
हमने अश्वत्थामा के बारे में बहुत सारी कहानियां सुनी हैं जिसमें यह बताया गया है कि वह अभी भी ज़िंदा हैं। हालांकि अश्वत्थामा को कोई वरदान नहीं मिला था अमर होने का बल्कि वह श्राप था जो उन्हें श्री कृष्ण ने दिया था।
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कौन
है
अश्वत्थामा?
अश्वत्थामा
द्रोणाचार्य
के
पुत्र
थे।
इनकी
माता
का
नाम
कृपा
था
जो
शरद्वान
की
लड़की
थी।
जन्म
के
समय
इनके
कण्ठ
से
हिनहिनाने
की
सी
ध्वनि
हुई
जिससे
इनका
नाम
अश्वत्थामा
पड़ा।
अश्वत्थामा
को
रुद्र
के
ग्यारवें
अवतार
में
से
एक
माना
जाता
है।
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महाभारत युद्ध में अश्वत्थामा कौरव-पक्ष के सेनापति थे। एक बार रात में ये पाण्डवों के शिविर में गये और सोते में अपने पिता के हनन करने वाले धृष्टद्युम्न और शिखंडी तथा पाण्डवों के पाँचों लड़कों को मार डाला।
कृष्णा का श्राप
कृष्णा ने अश्वत्थामा को 3000 साल के लिए कुष्ठ रोग का श्राप दया था, और वह इतना भयंकर था कि कोई चाह कर भी अश्वत्थामा की मदद नहीं कर सकता था। यही नहीं अश्वत्थामा का पूरा शरीर घाव से भर जाएगा, जिनसे खून और पस बहेगा और यह कभी ठीक नहीं होगा।
ऐसा क्यों हुआ?
यह सब क्यों हुआ यह जाने के लिए हमे महाभारत के युद्ध में जाना पड़ेगा। युद्ध के दौरान अश्वत्थामा के पिता द्रोणाचर्या को धृष्टद्युम्न ने धोखे से मारा था। जिसका बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने मरते हुए दुर्योधन से आज्ञा ली कि वह युद्ध होने के बाद धृष्टद्युम्न के साथ पांचों पांडवों को को मार डालेगा। युद्ध खत्म होने के बाद अश्वत्थामा, दुर्योधन से वादा करके आधी रात में पांडवों को मारने के लिए चला गया। लेकिन गलती से रात के अँधेरे में वह द्रौपदी के पांच पुत्रों को मार देता है।
उसके बाद
अश्वत्थामा की इस हरकत से पांडव बहुत क्रोधित हुए और उसे पकड़ने के लिए भागे, जिसमें अर्जुन ने उन्हें युद्ध के लिए ललकारा। युद्ध के दौरान अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र का आवाहन किया और अर्जुन ने पशुपतस्त्र का। इन दोनो ही शस्त्रों से दुनिया का अंत होजाता इसलिए ऋषिओं ने दोनों से कहा कि वे अपने शस्त्र को वापस लें लें। यह सुन कर अर्जुन ने अपना शस्त्र वापस ले लिया लेकिन अश्वत्थामा ऐसा नहीं कर सकते थे। और गुस्से में अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र अर्जुन की बहु के गर्भ पर चला दिया।
शस्त्र जिसने सब कुछ नष्ट कर दिया
उस वक़्त उत्तरा के गर्भ में अभिमन्यु का पुत्र परीक्षित था जो आगे चल कर पांडव का उत्तराधिकारी बनता। लेकिन ब्रह्मास्त्र की वजह से बच्चा गर्भ में ही मर जाता है। तब कृष्णा अपनी शक्तियों से बच्चे को पुनर्जीवित करते हैं, और अश्वत्थामा को 3000 साल के लिए कुष्ठ रोग का श्राप देते हैं।
अमरता का अभिशाप
इसका दूसरा विवरण है कि अश्वत्थामा को कलियुग के अंत तक जीवित रहने का अभिशाप मिला था। और यह माना जाता है कि अश्वत्थामा अरब प्रायद्वीप में है।
निरंतर कष्ट
ऐसा माना है कि अश्वत्थामा को अपना कीमती मणि देना पड़ा था जिसकी वजह से उन्हें किसी भी हथियार, बीमारी, और भूख का भये नहीं था। साथ ही देवता, दानव और नागाओं से भी कोई भय नही होता था।
क्या वह जीवित है?
अगर ऊपर की कहानी को सच माना जाए तो अश्वत्थामा अभी भी जिंदा हो सकता है और इसके सबूत भी हैं।
उसके जिंदा होने का सबूत
मध्य प्रदेश में एक डॉक्टर ने यह दावा किया कि उसके पास एक मरीज़ आया था जिसके माथे पर कुष्ठ रोग था। जिसका इलाज कई सारे औषधि लगा कर किया गया लेकिन वह उतना ही ताज़ा था। डॉक्टर ने यह भी कहा कि वह घाव पुराना था जिसका इलाज नहीं हो सकता है। यही नहीं जब डॉक्टर ने यह कहा कि क्या वह अश्वत्थामा है तो वह ज़ोर से हंसने लगा। फिर वह डॉक्टर जब दूसरी बार दवा लगाने के लिए मुड़ा तो वहां कुर्सी पर कोई नहीं था। वह मरीज वहां से जा चूका था। कहा जाता है कि यह कहानी सच्ची है।
दूसरी कहानी
कुछ योगियों के अनुसार यह दावा किया गया है कि अश्वत्थामा हिमालय की तलहटी में कुछ आदिवसयों के साथ रहता है। और वह शिवलिंग पर रोज़ सुबह फूल चढ़ता है।
एक वर्ष में एक बार दिखता है
वहां के लोगों का कहना है कि वह साल में एक बार आता है अपनी प्यास और क्रोध शांत कर वापस जंगलों में चला जाता है।
बिंदु से बिंदु जोड़ना
ऐसा कहा जाता है कि द्वापर युग में एक आदमी की औसत ऊंचाई 12-14 फुट की थी और ऐसे आदमी एक बार में खूब खाना खाते थे जिससे एक साल तक उन्हें भूख नहीं लगती थी। यह सब इस युग में संभव नहीं है।
हर किसी को दिखाई नहीं देते
हालांकि, इन सब कहानियों के बाद भी अश्वत्थामा कुछ ही लोगों को दिखाई देता था क्योंकि उसके पास इस तरह की शक्ति थी कि वह कुछ को दिखाई देगा और कुछ को नहीं।