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जन्माष्टमी 2018: इन तीन वर्णों से बना था श्री कृष्ण का रूप, जानिए ऐसे ही अनसुने राज़

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जब जब धरती पर पाप बढ़ा है तब तब भगवान ने किसी न किसी रूप में जन्म लेकर बुराई का अंत किया है और संसार को पापियों से मुक्त कराया है। ठीक इसी प्रकार श्री हरी विष्णु ने अलग अलग अवतार लेकर संसार का उद्धार किया है।

आज हम अपने इस लेख में विष्णु जी के ही अवतार श्री कृष्ण को और भी करीब से जानने की कोशिश करेंगे। यूं तो हमने कन्हैया से जुड़ी कई रोचक कथाएं और बातें सुनी या पढ़ी होंगी। श्री कृष्ण अपनी रास लीलाओं के लिए भी खासे चर्चित हैं।

Janmashtami 2018

जन्माष्टमी यानी श्री कृष्ण का जन्मोत्सव आने ही वाला है, इस शुभ मौके पर हम भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी कुछ अन्य बातों पर चर्चा करेंगे।

आपको बता दें इस बार जन्माष्टमी 2 सितंबर, 2018 को मनायी जाएगी। हर बार जन्माष्टमी का जश्न दो दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन यह पर्व संतों के लिए होता है जबकि दूसरे दिन सभी भक्तजन इसे बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।

आठ अंक का रहस्य

भ्रादपद की रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। श्री कृष्ण ने द्वापर युग में देवकी के गर्भ से जन्म लिया था। वे देवकी और वसुदेव की आठवीं संतान थे। कहते हैं भगवान के जन्म से पहले आकाशवाणी हुई थी कि देवकी और वसुदेव का आठवां पुत्र ही कंस की मृत्यु का कारण बनेगा इसलिए एक एक कर कंस ने देवी की सात संतानों का वध कर दिया था।

किन्तु श्री कृष्ण को मारने में वह असफल रहा। श्री कृष्ण के जीवन में आठ अंक का बड़ा ही महत्व है जैसा कि हमने आपको बताया कि वे देवकी और वसुदेव की आठवी संतान थे। उनका जन्म भी रात्रि में सातवें मुहूर्त के बीतने के बाद आठवें मुहूर्त में रात के 12 बजे हुआ था।

तीन रंगों को मिलाकर बना है श्री कृष्ण का रूप

श्री कृष्ण के रंग रूप को लेकर भी लोगों के कई मत हैं। कोई कहता है वे काले रंग के थे तो कोई उन्हें सावंला कहता है लेकिन वास्तव में वे न तो काले हैं और न ही सांवले उनका रंग तो काला, सफ़ेद और नीले रंग का मिश्रण है। इतना ही नहीं, श्री कृष्ण का शरीर लड़कियों के समान कोमल व सुन्दर था किन्तु जब युद्ध की बारी आती तो उनके जैसा बलवान कोई नहीं होता।

कहा जाता है कि श्री कृष्ण खुद को योग्य बनाए रखने के लिए कलारीपयटू और योग विद्या का सहारा लेते थे। वे इन दोनों में ही पारंगत थे। भगवान के शरीर से एक सुंदर महक आती थी जो रात रानी के फूल और चन्दन का मिश्रण थी।

Krishna Janmashtami: जानें जन्माष्टमी की सही तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त | Boldsky

119 वर्ष की आयु में भी थे युवा

श्री कृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया था लेकिन उनका जीवन वृन्दावन, गोकुल बरसाना आदि जैसे स्थानों में बीता। जैसा कि हमने बताया भगवान बहुत ही सुन्दर काया के थे और वे अपने पूरे जीवन में ऐसे ही आकर्षक और जवान रहे। जी हां, श्री कृष्ण की मृत्यु 119 वर्ष की आयु में हुई थी लेकिन तब भी वे एक युवा पुरुष के समान दिखाई देते थे।

श्री कृष्ण की सिर्फ 8 पत्नियां थीं

कहते हैं श्री कृष्ण की 16 हज़ार से भी अधिक पत्नियां थी लेकिन उनकी केवल 8 ही पटरानियां थी जिनके नाम हैं रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती, मित्रवन्दा, सत्या, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी। इन सभी रानियों से उन्हें कई पुत्र और पुत्रियों की प्राप्ति हुई थी।

इसके अलावा उनकी कई प्रेमिकाएं भी थीं जिनमें राधा और ललिता सबसे प्रमुख थीं। कहते हैं ललिता को मोक्ष नहीं मिल पाया था जिसके कारण उन्होंने अगला जन्म मीरा के रूप में लिया था।

जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त

2 सितंबर 2018 को शाम 20:47 बजे के बाद अष्टमी तिथि शुरू होगी। यह 3 सितंबर 2018 को शाम 19:19 बजे तक रहेगी।

पूजा का समय - 23:58 से 24:44 बजे तक।

English summary

Janmashtami 2018: puja muhurat and unknown facts of shri krishna

This year, Krishna Janmashtami is slated to be celebrated on 2nd and 3rd September 2018. Here we have the auspicious Muhurat timings and unknown facts of Shri Krishna.
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