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ब्रम्हा की वजह से श्रीकृष्ण ने किए थे खुद के टुकड़े
श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी कई छोटी बड़ी कहानियां हमें प्रेरित करती हैं। हर कहानी के पीछे कोई न कोई महत्वपूर्ण अर्थ छुपा होता है जो मनुष्य को कोई संदेश दे जाता है। जैसे राधा कृष्ण की प्रेम कहानी आज भी कई प्रेम करने वालों के लिए प्रेरणा है या फिर उनकी शरारतें जैसे गोपियों को परेशान करना, माखन चुराना और मैय्या यशोदा के लिए चीज़ों को संभालना मुश्किल कर देना यह सब श्री कृष्ण की लीलाएं थी।
इसी तरह की कई लीलाएं करके भगवान अपने भक्तों का उद्धार भी कर देते थे। उदाहरण के तौर पर जब उन्होंने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया था तब गोकुलवासियों को इस बात का विश्वास हो गया था कि यह पृथ्वी पर कोई दिव्य अवतार है। जिस प्रकार उन्होंने हमेशा अपने भक्तों को मुसीबतों से बचाया है सभी के दिलों में उनके प्रति आस्था में इज़ाफ़ा ही हुआ है।
आज अपने इस लेख के माध्यम से श्री कृष्ण से जुड़ी एक और कहानी प्रस्तुत करेंगे। इस कहानी में हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार श्री कृष्ण ने अपने अगवा हुए मित्रों की सहायता की थी।
श्री कृष्ण अपने मित्रों के साथ थे बगीचे में
एक बार श्री कृष्ण अपने सभी मित्रों के साथ गोकुल के बाग़ में खेल रहे थे। श्री कृष्ण को अपने दोस्तों और कई सारी गायों के साथ इतना प्रसन्न देख ब्रह्मा जी स्वयं को रोक नहीं पाए और उन्होंने सभी के प्रति भगवान कृष्ण के प्रेम की परीक्षा लेने का निर्णय लिया।
थोड़ी देर के लिए जब कान्हा इधर उधर हुए तो ब्रह्मा जी ने मौके का फायदा उठाया और उनके सभी मित्रों और गायों का अपहरण कर लिया। ताकि वो ये जान सकें कि श्री कृष्ण को इन सब से कितना मोह है।
लेकिन ब्रह्मा जी यह भूल गए कि श्री कृष्ण तो अंतर्यामी हैं उन्हें ना सिर्फ वर्तमान का बल्कि भविष्य में होने वाली सभी घटनाओं के विषय में ना उनसे कभी कुछ छिपा है और न ही कुछ छिप पाएगा।
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ब्रह्मा जी ने सभी को भेजा योगनिद्रा में
अपहरण के बाद ब्रह्मा जी ने सभी को योगनिद्रा में भेज दिया। इस अवस्था में किसी को कुछ भी याद नहीं रहता, यहां तक कि उनके आस पास क्या हो रहा है यह भी पता नहीं चलता।
हालांकि श्री कृष्ण को ब्रह्मा जी की मंशा का पता लग गया था। उन्होंने देवलोक से बैठे बैठे ही सब कुछ जान लिया था किंतु उन्हें अपने मित्रों से ज़्यादा उनके माता पिता की चिंता हो रही थी कि जब उन्हें अपने बच्चों के खोने की सूचना मिलेगी तो उन पर क्या बीतेगी। तब श्री कृष्ण ने अपने मित्रों के माता पिता की खातिर स्वयं को कई हिस्सों में बांट लिया और अपने दोस्तों और सभी गायों का रूप धारण कर लिया।
ब्रह्मदेव वापस श्री कृष्ण को देखने आएं
कुछ दिनों तक प्रतीक्षा करने के बाद जब श्री कृष्ण की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो ब्रह्मा जी ने वापस धरती पर आकर श्री कृष्ण की खोज खबर लेने का निर्णय लिया। लेकिन वो तो इस बात से अंजान थे कि गोकुल के घरों में एक नहीं बल्कि कई सारे कृष्ण निवास कर रहे हैं।
ब्रह्मा जी ने कुछ और दिन इंतज़ार किया लेकिन फिर भी श्री कृष्ण की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो उन्होंने देवलोक से ही सत्य का पता लगाने की कोशिश की। जब उन्होंने सभी बालकों को सुरक्षित उनके घरों में देखा तो एक पल के लिए तो वो भी हैरान रह गए लेकिन फिर उन्हें एहसास हुआ कि यह तो श्री कृष्ण की ही एक लीला है।
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श्री कृष्ण करते हैं सभी से प्रेम
जैसे ही ब्रह्मा जी को सत्य का पता चला उन्हें अपनी इस हरकत पर हंसी आने लगी। वे सोचने लगे आखिर श्री कृष्ण है तो विष्णु जी का ही रूप। वह विष्णु जो इस जगत के पालनहार हैं जो सदैव अपने भक्तों की रक्षा हेतु उपस्तिथ रहते हैं। इसके पश्चात ब्रह्मदेव ने सभी बालकों और गायों को मुक्त कर दिया और उन्हें योगनिद्रा से भी वापस ले आएं।
जिस प्रकार श्री कृष्ण अपने मित्रों के माता पिता के लिए चिंतित हो रहे थे वो इस बात का सबूत है कि वे सभी से कितना प्रेम करते हैं। ब्रह्मा जी यह बात समझ गए थे कि श्री कृष्ण परमात्मा हैं, उनसे कुछ भी नहीं छिप सकता और वे हमेशा अपने भक्तों को संकट से बचाते हैं।