For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

Mahalaya 2021: ब्रह्मा-विष्णु-महेश से लेकर प्रभु श्री राम भी कर चुके हैं महालया के दिन देवी दुर्गा की आराधना

|

दुर्गा पूजा में महालया की महत्ता बहुत अधिक है। धार्मिक दृष्टि से भी ये दिन महत्वपूर्ण है। महालया के दिन ही पितृ पक्ष का समापन हो जाता है और इसी के साथ ही दुर्गा पूजा का शुभारंभ होता है। माना जाता है कि महालया से लेकर अगले दस दिनों तक दुर्गा माता कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर विराजती हैं। महालया के दिन भक्त दुर्गा माता को धरती पर आने और उन्हें आशीर्वाद देने की प्रार्थना करते हैं। जानते हैं महालया से जुड़ी कौन कौन सी परम्पराएं हैं और इस दिन से जुड़ी पौराणिक कहानी क्या कहती है।

महालया के दिन चक्षु दान

महालया के दिन चक्षु दान

नौ दिवसीय उत्सव की धूम कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। नवरात्रि के समय में जगह जगह खूबसूरत और विशाल पंडाल बनाये जाते हैं और इनमें मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। महालया ही वो दिन होता है जब देवी दुर्गा की उन सुंदर प्रतिमाओं को चक्षु दान दिया जाता है। इस दिन उन मूर्तियों के नेत्र बनाने का कार्य किया जाता है।

श्रीराम ने भी किया था दुर्गा की आराधना

श्रीराम ने भी किया था दुर्गा की आराधना

पौराणिक कथा की मानें तो लंका पर आक्रमण करने और रावण के चंगुल से माता सीता को बचाने से पहले प्रभु श्री राम ने महालया के दिन ही दुर्गा माता की आराधना की थी। देवी दुर्गा की पूजन के बाद ही उन्होंने लंका पर धावा बोला और रावण का वध कर विजयी प्राप्त की।

महालया के दिन किया जाता है पितरों का स्मरण

महालया के दिन किया जाता है पितरों का स्मरण

महालया पितृ पक्ष के समापन का संकेत देता है। इस दिन अपने पूर्वजों का स्मरण किया जाता है। इस दिन तर्पण तथा पिंडदान करने का भी विधान है। इस दिन ज्ञात के आलावा अज्ञात तिथि में गुजर चुके पितरों का भी श्राद्ध किया जाता है।

महालया से जुड़ी कहानी

महालया से जुड़ी कहानी

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, महिषासुर के पास वरदान था कि कोई भी देव अथवा मनुष्य उसका वध नहीं कर सकता है। महिषासुर को इस बात का घमंड हो गया और उसका अत्याचार बढ़ता गया। उसे देवताओं को पराजित कर देवलोक पर अधिकार जमा लिया। ऐसी स्थिति में वो सहायता के लिए भगवान विष्णु के पास गए और मदद की गुहार लगाई।

ब्रह्मा-विष्णु-महेश ने महिषासुर राक्षस का संहार करने के लिए ही मां दुर्गा के रूप में एक शक्ति का सृजन किया। सभी देवताओं के शरीर से निकली शक्ति से मां दुर्गा अस्त्र-शस्त्र से सुस्सजित रूप में सामने आईं। उन्होंने ही दस दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और अंत में उसका वध कर सभी को उसके आतंक से मुक्त कराया।

मां दुर्गा के इस रूप का अवतरण महालया के दिन ही हुआ था। यही वजह है कि महालया की सुबह पितरों का स्मरण कर उन्हें विदाई दी जाती है और शाम में दुर्गा माता का कैलाश से पृथ्वी पर आने के लिए आह्वाहन किया जाता है।

English summary

Mahalaya 2021: Rituals, History and Significance in Hindi

Know about the history of Mahalaya and rituals and significance of this day in Hindi.
Desktop Bottom Promotion