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मोक्षदा एकादशी: जानें साल की आखिरी एकादशी कब है और इससे जुड़ी पौराणिक कथा

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हिंदू धर्म में एकादशी तिथियों का बड़ा महत्व है। साल में 24 एकादशी तिथियां पड़ती हैं, मगर अधिकमास या मलमास होने की स्थिति में इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में भी एकादशी तिथि पड़ने वाली है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी व्रत करने से पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने वाले जातक के साथ साथ उसके पितरों के लिए भी मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। जानते हैं इस साल पड़ने वाले मोक्षदा एकादशी के बारे में।

मोक्षदा एकादशी व्रत की तिथि एवं मुहूर्त

मोक्षदा एकादशी व्रत की तिथि एवं मुहूर्त

इस साल मोक्षदा एकादशी 25 दिसंबर, शुक्रवार को मनाया जायेगा।

एकादशी तिथि प्रारंभ: 24 दिसंबर की रात 11 बजकर 17 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त: 25 दिसंबर को देर रात 1 बजकर 54 मिनट तक

मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व

मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व

पुराणों की मानें तो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को मोक्षदायिनी एकादशी का महत्व समझाया था। भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि यह एकादशी बहुत ही पुण्य फल देने वाली होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से अराधना करने वाले जातकों को सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस वजह से यह तिथि गीता जयंती के रूप में भी मनाई जाती है।

मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि

मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके निवृत्त हो जाएं। साफ़ वस्त्र धारण करके मंदिर की साफ़ सफाई करें। पूरे घर को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें। अब भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें रोली, चंदन, अक्षत आदि अर्पित करें। भगवान का फूलों से श्रृंगार करें। उन्हें भोग लगायन। मोक्षदा एकादशी के दिन जातक को सबसे पहले गणपति भगवान की आरती करनी चाहिए। इसके बाद श्री हरी और लक्ष्मी माता की आरती करें।

मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा

मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा

मोक्षदा एकादशी से जुड़ी प्रचलित व्रत कथा के अनुसार चंपा नगरी में एक प्रतापी राजा वैखानस रहते थे। वे ज्ञानी, प्रतापी एवं धार्मिक राजा थे। उनके राज में प्रजा भी खुशहाल थी। कई प्रकंड ब्राह्मण उस राज्य में निवास करते थे। एक दिन राजा ने एक सपना देखा, जिसमें उनके पिता नरक की यातनाएं झेलते दिखाई दिए। ऐसा सपना देखकर राजा बैचेन हो उठे। सुबह उन्होंने अपने सपने की बात अपनी पत्नी को बताई। इस दुःख के कारण राजा का चित्त कहीं नहीं लग रहा था क्योंकि वे इस धरती पर संपूर्ण ऐशो आराम से हैं और उनके पिता कष्ट भोग रहे हैं। पत्नी की सलाह के बाद राजा आश्रम गए। वहां कई सिद्ध गुरु थे, सभी अपनी तपस्या में लीन थे। राजा पर्वत मुनि के पास गए और उन्हें प्रणाम कर उनके समीप बैठ गए। पर्वत मुनि ने मुस्कुराकर आने का कारण पूछा। राजा इतने दुखी थे कि उनके आंखों से अश्रु की धार बहने लगी। तब पर्वत मुनि ने अपनी दिव्य दृष्टी से सम्पूर्ण सत्य देखा और राजा के सर पर हाथ रखा और यह भी कहा तुम एक पुण्य आत्मा हो, जो अपने पिता के दुःख से इतने दुखी हो। तुम्हारे पिता को उनके कर्मों का फल मिल रहा है। उन्होंने तुम्हारी माता को तुम्हारी सौतेली माता के कारण बहुत यातनाएं दी। इसी वजह से वे इस पाप के भागी बने और नरक भोग रहे हैं। राजा ने पर्वत मुनि से इस दुविधा का हल पूछा, इस पर मुनि ने उन्हें मोक्षदा एकादशी व्रत पालन करने तथा इसका पुण्य फल अपने पिता को देने के लिए कहा। राजा ने विधि पूर्वक अपने कुटुंब के साथ व्रत का पालन किया और इस व्रत का फल अपने पिता के नाम से छोड़ दिया। इसके फलस्वरूप उनके पिता के कष्ट दूर हुये और उन्होंने अपने पुत्र को आशीर्वाद दिया। इस तरह से इस व्रत के पालन से पितरो के कष्टों का निवारण होता है एयर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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English summary

Mokshada Ekadashi 2020: Date, Muhurat, Puja Vidhi, Significance, Katha in Hindi

Mokshada Ekadashi 2020: This year, Mokshada Ekadashi will be observed on Friday, December 25, 2020. Check out the details.
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