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नागपंचमी 2017: जानिये इस पर्व में पूजा का महत्व
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि में यह पर्व पूरे देश में पूर्ण श्रद्धा से मनाया जाता है। इस वर्ष 2017 में नाग पंचमी 27 जुलाई गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।
श्रावण के महीने में बरसात होने के कारण अक्सर साप अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं और दूसरा अस्थायी बसेरा ढूंढते हैं।
ये कहीं मनुष्यों को हानि ना पहुंचाए, इसलिए नागपंचमी पर इनकी पूजा की जाती है और इन्हें दूध भी पिलाया जाता है। कहते हैं श्रावण मास में यदि नागराज की पूजा की जाए तो शिव प्रसन्न हो जाते हैं। शिव प्रसन्न हों तो फिर किसी भी संकट का भय नहीं रहता।
मान्यता है कि सावन में नागराज की पूजा दरिद्रता को दूर करती है। युवतियों को मनचाहा वर मिलता है और नि:संतान महिलाओं को पुत्र की प्राप्ति होती है।
इसके साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि किसी भी जीवित साप की पूजा करने से सांपों के देवता प्रसन्न हो जाते हैं। इसीलिए इस दिन सापों की पूजा और उन्हें दूध मिलाने का विधान है। और उनके नाम इस प्रकार हैं।
- अनंत
- वासुकी
- शेषा
- पद्मा
- कम्बल
- कर्कोटक
- अश्वतरा
- धृतराष्ट्र
- शंखपा
- कालिया
- तक्षक
- पिंगला
नाग
पंचमी
पूजा
मंत्र
सर्वे
नागा:
प्रियंतें
मे
ये
केचित्
पृथ्वीरेले
ये
च
हेलमिरीचिते
ये
नृटेरे
दिवि
संस्था:
..
ये
नदीशु
महानागा
ये
सरस्वतीगिन:।
ये
च
वापीतद्गेषु
तेषु
सर्वेशु
वै
नम:
..
'
अर्थात- संपूर्ण आकाश, पृथ्वी, स्वर्ग, सरोवर-तालाबों, नल-कूप, सूर्य किरणें आदि जहां-जहां भी नाग देवता विराजमान है। वे सभी हमारे दुखों को दूर करके हमें सुख-शांतिपूर्वक जीवन दें। उन सभी को हमारी ओर से बारम्बार प्रणाम हो।
अनंतं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम् शंखपालं धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा एतानि नवनामानि नागानां च महात्मनाम्। सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातः काले विशेषतः तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
अर्थात - अनंत, वासुकी, शीशा, पद्मनाभ, कंबला, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षशक और कालिया इन नौ नाग देवताओं के नाम को हर दिन नियमित रूप से जाप करने से व्यक्ति सारी बाधाओं से मुक्त हो जाता है और जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
नाग
चतुर्थी
नाग
पंचमी
से
एक
दिन
पहले
नाग
चतुर्थी
मनाई
जाती
है।
इस
दिन
कुछ
लोग
उपवास
रखते
हैं
इसे
नागुल
चावीथी
भी
कहा
जाता
है।
आंध्रप्रदेश
में
नाग
चतुर्थी
या
नागुल
चाविथि
को
दीवाली
के
बाद
मनाया
जाता
है
यह
तमिलनाडु
के
सोरासमारम
में
छह
दिन
तक
मनाये
जाने
वाला
उत्सव
है।
नाग
पंचम
कृष्ण
पक्ष
की
पंचमी
को
मनाये
जाने
वाली
असल
नाग
पंचमी
के
15
दिन
बाद
गुजरात
में
मनाई
जाती
है।
यह
चंद्र
कैलेंडर
के
अनुसार
श्रवण
महीने
की
कृष्ण
पक्ष
पंचमी
को
होती
है।
इसे
गुजरात
में
नाग
पंचम
के
रूप
में
मनाया
जाता
है
यह
कृष्ण
जन्माष्टमी
से
तीन
दिन
पहले
मनाई
जाती
है।
गुजरात
की
बोला
चौथ
गुजरात
में
नाग
पंचम
से
एक
दिन
पहले
बोला
चौथ
मनाई
जाती
है,
इसे
बहुला
चौथ
के
नाम
से
भी
जाना
जाता
है।
बोल
चौथ
के
दिन
गायों
की
पूजा
की
जाती
है।