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Navratri Day 5: मां स्कंदमाता की इस विधि से करें पूजा-अर्चना, असंभव काम भी होंगे पूरे
हिंदू धर्म में मां दुर्गा के भक्तों के लिए नवरात्रि का समय बहुत खास माना जाता है। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। 30 अक्टूबर को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप यानि मां स्कंदमाता की पूजा करते हैं। शास्त्रों के मुताबिक स्कंदमाता नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है, और आपके जीवन में सुख समृद्धि और खुशी देती हैं। मां स्कंदमाता अपने भक्तों पर से बहुत प्यार करती हैं। मां दुर्गा के पाचंवें स्वरूप का स्मरण करने से भक्तों के सभी असंभव काम संभव हो जाते हैं। स्कंदमाता पार्वती मां का ही रूप हैं। आइए जानते हैं किस तरह मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती हैं, साथ ही मां के मंत्र, कथा, आरती के बारे में भी जानते हैं।
मां स्कंदमाता की कथा
शास्त्रों के मुताबिक तारकासुर नाम के असूर ने भगवान ब्रह्मा को खुश करने के लिए तपस्या की। असूर की कठोर तपस्या से खुश होकर ब्रह्मा जी उसके सामने आए। जिसके बाद रक्षस ने उनसे अमृता का वरदान मांगा। जिसके बाद ब्रह्मा जी ने असूर तारकासुर को समझाया कि जन्म लेने वाले को मरना भी होता है। इसके बाद असूर ने सोचा की शिवजी कभी शादी नहीं करेंगे। ऐसे में उसने ब्रह्मा जी से शिवजी के बेटे के हाथों मरने का वारदान मांगा। ब्रह्मा जी ने असूर को वरदान दे दिया। वरदान मिलने के बाद असूर ने आम लोगों पर अपना प्रकोप बरसाना शरू कर दिया। असूर के अत्याचार से परेशान होकर लोगों से शिवजी से असूर के प्रकोप से उन्हें बचाने की प्रार्थना की। जिसके बाद भगवान शिवजी ने मां पार्वती से शादी की, और कार्तिकेय का जन्म हुआ। भगवान शिव के बेटे कार्तिकेय ने बड़ा होने के बाद राक्षस तारकासुर का वध कर लोगों को उसके प्रकोप से बचाया। जिसके बाद भगवान स्कंद यानि कार्तिकेय की माता होने के कारण उन्हें स्कंदमाता कहकर बुलाया जाता है।
मां स्कंदमाता का स्वरूप
मां स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। जिसकी वजह से मां को पद्मासना देवी नाम से भी जाना जाता है। मां स्कंदमाता को पार्वती और उमा नाम से भी पुकारा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक मां की पूजा करने से भक्तों को संतान की प्राप्ति की मान्यता है।
पूजा विधि
रोज की तरह सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहन लें। माता की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करके स्थापित करें। अब मां के सामने धूप और दिया प्रज्वलित करें। मां स्कंदमाता को लाल रंग का फूल, अक्षत, रोली अर्पित करें। इसके बाद मां को 5 तरह की मिठाई का भोग चढ़ाएं। इसके बाद माता के मंत्रों का जप कर मां की व्रत कथा का पाठ करें और स्कंदमाता की आरती करें। आपनी गलती की मां से माफी मांगे।
मां का भोग
मां स्कंदमाता को फल में केला बहुत प्रिय है। मां को केले का भोग लगाएं। स्कंदमाता को खीर का प्रसाद चढ़ाना भी शुभ माना जाता है।
मां स्कंदमाता का मंत्र
या
देवी
सर्वभूतेषु
माँ
स्कंदमाता
रूपेण
संस्थिता।
नमस्तस्यै
नमस्तस्यै
नमस्तस्यै
नमो
नम:।।
मां
स्कंदमाता
का
बीज
मंत्र
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
मां स्कंदमाता का महामंत्र
सिंहासन
नित्यं
पद्माश्रितकतद्वया।
शुभदास्तु
सदा
देवी
स्कन्दमाता
यशस्विनी।।
ओम
देवी
स्कन्दमातायै
नम:
मां स्कंदमाता की आरती
जय
तेरी
हो
स्कंद
माता,
पांचवा
नाम
तुम्हारा
आता.
सब
के
मन
की
जानन
हारी,
जग
जननी
सब
की
महतारी.
तेरी
ज्योत
जलाता
रहूं
मैं,
हरदम
तुम्हे
ध्याता
रहूं
मैं.
कई
नामो
से
तुझे
पुकारा,
मुझे
एक
है
तेरा
सहारा.
कहीं
पहाड़ों
पर
है
डेरा,
कई
शहरों
में
तेरा
बसेरा.
हर
मंदिर
में
तेरे
नजारे
गुण
गाये,
तेरे
भगत
प्यारे
भगति.
अपनी
मुझे
दिला
दो
शक्ति,
मेरी
बिगड़ी
बना
दो.
इन्दर
आदी
देवता
मिल
सारे,
करे
पुकार
तुम्हारे
द्वारे.
दुष्ट
दत्य
जब
चढ़
कर
आये,
तुम
ही
खंडा
हाथ
उठाये
दासो
को
सदा
बचाने
आई,
चमन
की
आस
पुजाने
आई।
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