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भगवत गीता में छिपा है डिप्रेशन दूर करने का हल, इन श्लोकों को पढ़ने से मूड होगा फ्रेश
प्रतिदिन की भागदौड़ भरी दिनचर्या में काम और घर परिवार से जुड़ी कई बाते आपको मानसिक रूप से थका देती है और तनाव का कारण बनती हैं। अगर आप मानसिक तनाव के शिकार है तो आपको श्रीमद भगवत के श्लोक पढ़ने चाहिए। अज्ञात भय या असुरक्षा की भावना होने पर श्रीमद भगवत अंधकार में ज्योति की तरह काम करती हैं। गीता में जिंदगी का सार छिपा हुआ है। इसमें जीवन से जुड़ी हर समस्या का समाधान है। जब कभी भी आप अवसाद की भावना से घिर जाए तो श्रीमद भगवत के ये श्लोक जरुर पढ़े आपको हर सवाल का जवाब मिल जाएगा।
1. वर्तमान का आनंद लो
बीते कल और आने वाले कल की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि जो होना है वही होगा। जो होता है, अच्छा ही होता है, इसलिए वर्तमान का आनंद लो।
2. आत्मभाव में रहना ही मुक्ति
नाम, पद, प्रतिष्ठा, संप्रदाय, धर्म, स्त्री या पुरुष हम नहीं हैं और न यह शरीर हम हैं। ये शरीर अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जाएगा। लेकिन आत्मा स्थिर है और हम आत्मा हैं। आत्मा कभी न मरती है, न इसका जन्म है और न मृत्यु! आत्मभाव में रहना ही मुक्ति है।
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3. यहां सब बदलता है
परिवर्तन संसार का नियम है। यहां सब बदलता रहता है। इसलिए सुख-दुःख, लाभ-हानि, जय-पराजय, मान-अपमान आदि में भेदों में एक भाव में स्थित रहकर हम जीवन का आनंद ले सकते हैं।
4. क्रोध शत्रु है
अपने क्रोध पर काबू रखें। क्रोध से भ्रम पैदा होता है और भ्रम से बुद्धि विचलित होती है। इससे स्मृति का नाश होता है और इस प्रकार व्यक्ति का पतन होने लगता है। क्रोध, कामवासना और भय ये हमारे शत्रु हैं।
5. ईश्वर के प्रति समर्पण
अपने को भगवान के लिए अर्पित कर दो। फिर वो हमारी रक्षा करेगा और हम दुःख, भय, चिन्ता, शोक और बंधन से मुक्त हो जाएंगे।
6. नजरिए को शुद्ध करें
हमें अपने देखने के नजरिए को शुद्ध करना होगा और ज्ञान व कर्म को एक रूप में देखना होगा, जिससे हमारा नजरिया बदल जाएगा।
7. मन को शांत रखें
अशांत मन को शांत करने के लिए अभ्यास और वैराग्य को पक्का करते जाओ, अन्यथा अनियंत्रित मन हमारा शत्रु बन जाएगा।
8. कर्म से पहले विचार करें
हम जो भी कर्म करते हैं उसका फल हमें ही भोगना पड़ता है। इसलिए कर्म करने से पहले विचार कर लेना चाहिए।
9. अपना काम करें
कोई और काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि हम अपना ही काम करें। भले वह अपूर्ण क्यों न हो।
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10. समता का भाव रखें
सभी के प्रति समता का भाव, सभी कर्मों में कुशलता और दुःख रूपी संसार से वियोग का नाम योग है।