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रमजान 2019: जानें कब से रखे जाएंगे रोजे और इस पाक महीने का महत्व
इस्लाम धर्म को मानने वाले अनुयायियों के लिए रमजान का महीना सबसे पाक महीना है। ऐसा माना जाता है कि इस माह जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। इस ख़ास महीने में इबादत करने और अल्लाह को याद करने का फल बाकि महीनों के मुकाबले ज्यादा मिलता है।
ऐसी मान्यता है कि इस खास महीने में ऊपर वाला अपने अकीदतमंदों पर बहुत मेहरबान रहता है। यही वजह है कि हर मुसलमान को पूरे साल रमजान महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस साल यानी 2019 में रमजान का पाक महीना 5 मई, रविवार से शुरू होगा, जो एक महीने तक चलेगा।
चांद दिखने के साथ ही रोजे रखने का दौर आरंभ हो जाता है। इस माह में मुस्लिम धर्म के लोग रोजे रखने के अलावा अल्लाह की इबादत करते हैं और कुरआन पढ़ते हैं।
रोजे रखने का भी है तरीका
रोजे रखने वाला व्यक्ति रोजेदार कहलाता है। रोजेदार रोजा रखने के लिए सूरज निकलने से पहले खा सकता है जिसे सेहरी कहते हैं। सेहरी करने के बाद रोजेदार सूरज डूबने तक ना कुछ खा सकता है और ना ही पी सकता है। सूरज ढलने के बाद मगरिब की अजान होती है और इसके बाद ही रोजेदार अपना रोजा खोल सकता है। रोजा खोलने की इस प्रक्रिया को इफ्तार कहा जाता है।
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कौन से लोग रख सकते हैं रोजे
इस्लाम धर्म के मुताबिक बच्चा जब सात साल की उम्र को पूरा कर लेता है तब से ही उस पर रमजान के रोजे रखना फर्ज माना जाता है। मगर सात से छोटी उम्र के बच्चे, यात्रा कर करने वाले लोग, बूढ़े-बुजुर्ग, किसी बीमारी से ग्रसित लोग और गर्भवती औरतों को रोजे ना रखने की छूट होती है। वे खुद ही निर्णय ले सकते हैं कि क्या वो रोजे रख पाने की स्थिति में हैं या नहीं।
रोजा रखने के साथ और भी चीजों का रखना पड़ता है ख्याल
रोजा रखने का मतलब दिन भर बिना कुछ खाए पिए, सिर्फ भूखे प्यासे रहना नहीं है। रोजे में खाने पीने से दूरी बनाने के साथ साथ हर तरह के गलत काम से भी खुद को दूर रखना होता है। रोजे के दौरान व्यक्ति ना तो किसी की बुराई कर सकता है, किसी को नुकसान पहुंचा सकता है, ना किसी के बारे में बुरा सोच सकता है और ना ही किसी पर गलत नजर डाल सकता है। इस पाक महीने में शख्स हर तरह के गलत ऐब से दूर रहता है।
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नमाज होता है बेहद जरूरी
रमजान के दौरान रोजेदार कायदे से पांच वक्त की नमाज अदा करता है। बिना नमाज के रोजे रखना फाका कहलाता है। रोजे रखने वाले व्यक्ति की इबादत तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक वो ऊपर वाले के दर पर जाकर हाजिरी नहीं देता है और खुद को हर तरह की बुराइयों से दूर नहीं रखता है।
जन्नत जाने का रास्ता है रोजा
पैगंबर मोहम्मद जन्नत में दाखिल होने के लिए आठ दरवाजों का जिक्र कर चुके हैं और उनके मुताबिक इनमें से एक दरवाजा सिर्फ रोजा रखने वालों के लिए खोला जायेगा। इस दरवाजे से दाखिल होकर रोजेदार जन्नत में पहुंच सकता है।
हर साल 29 या फिर 30 दिन के रोजे रखे जाते हैं और फिर रात को चांद दिखने के बाद अगले दिन ईद का पर्व मनाया जाता है।