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कामसूत्र का आध्यात्मिक पहलू
सेक्स शुरू से ही विभिन्न धर्मों के बीच विवाद का विषय रहा है| दुनिया के अधिकतर धर्म इस बात का उपदेश देते हैं कि संभोग और वासना ऐसे लोगों के लिए एक पागलपन है जिन्हे आध्यात्मकता की तलाश है| दूसरी तरफ कुछ धर्म समूह हैं इसे एक शानदार एहसास मानते हैं| यदि हम भारतीय सन्दर्भ में सेक्स की बात करें तो जो चीज अबसे पहले हमारे दिमाग में आती है वह है कामसूत्र|
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कुछ लोग इसे मात्र एक पोर्नोग्राफी की किताब मानते हैं जिसमे की सेक्स की पोजिशंस के बारें में बताया गया है| लेकिन कामसूत्र एक पोर्न पुस्तक नहीं हैं| इसका सही मतलब व्याख्याओं से परे है।
सेक्स पृथ्वी पर उत्पत्ति और सृजन की एक पवित्र कला है| यह स्त्री और पुरुष का एक अद्भुत संगम है| कामसूत्र प्यार करने की कला, रति क्रीड़ा, और जीवन के आनंद को समझने के लिए एक सभ्य सिद्धांत प्रस्तुत करता है| ये 64 काम कलाएं एक अच्छी पत्नी का सिर्फ मार्गदर्शन नहीं है बल्कि यें महिला को कुशल, सुन्दर, निपुण और बुद्धिमान होने का एक रास्ता दिखाती हैं।
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पशुओं में सेक्स ऊर्जा बायोलॉजिकल क्रिएटिविटी पर निर्भर करती हैं जब कि मनुष्यों में यह ऊर्जा बायोलॉजिकल, इमोशनल, फिजिकल हर प्रकार से क्रिएटिव हो सकती है| इसलिए आकर्षण, उत्तेजना, जागृति, जुनून, इच्छा, उत्साह जो भी हम महसूस करते हैं वह यौन ऊर्जा के कारण होता है| कामसूत्र हमें सिखाता है कि इस ऊर्जा का ध्यान से और ख़ुशी से कैसे अच्छे से अच्छे तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है|
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यह
माना
जाता
है
कि
कामसूत्र
की
रचना
वेदों
के
आधार
पर
हुई
है|
कामसूत्र
के
पहले
सूत्र
में
भगवान
शिव
के
वाहन
नंदी
का
जिक्र
किया
गया
है
और
आगे
पहली
और
छठी
शताब्दी
में
ऋषि
वात्स्यायन
द्वारा
दिए
गए
काम
सूत्र
सिद्धांतों
को
संरक्षित
किया
गया
है|
यह
एक
दिलचस्प
बात
है
कि
कामसूत्र
मानव
जीवन
पर
लिखे
गए
तीन
प्रमुख
प्राचीन
में
ग्रंथों
से
एक
है|
पहले
दो
ग्रंथों
में
से
पहला
है
धर्म
शास्त्र
जिसमें
नैतिकता
और
जीवन
के
रास्ते
के
बारें
में
बताया
गया
है
और
दूसरा
अर्थ
शास्त्र
है
जिसमें
धन
सम्पदा,
समृद्धि
के
बारें
में
बताया
गया
है|
काम
को
जीवन
का
तीसरा
लक्ष्य
बताया
गया
है|
अपने
दिमाग
और
आत्मा
को
एक
जगह
केंद्रित
कर
अपनी
पाँचों
इन्द्रियों
(सुनना,महसूस
करना,
देखना,
स्वाद,
और
सुगंध)
सभी
का
एकसाथ
आनंद
लेना
ही
'काम'
है|
(कामसूत्र,
1883)
सेक्स
आलिंगन
शरीर
और
आत्मा
का
मिलन
है|
इसलिए
यह
इच्छा
पवित्र
और
शुद्ध
है|
कामसूत्र
बताता
है
कि
पूर्ण
आनंद
के
साथ
आध्यात्मकता
को
कैसे
प्राप्त
किया
जा
सकता
है|
जब
जरुरत
की
बजाय
विनोद
और
सुख
ज्यादा
होता
है
तो
सेक्स
क्रिया
परमानन्द
प्रदान
करती
है|
इसलिए
यदि
कोई
अपनी
यौन
इच्छा
को
दबाता
है
तो
यह
बहुत
सी
मानसिक
बेचैनियों
को
जन्म
देता
है
और
जीवन
से
असन्तुष्टता
का
अहसास
होता
है|
आध्यात्मिक गुरु दीपक चोपड़ा बताते हैं कि सेक्स से सम्बंधित सभी समस्याओं जैसे न्युरोसिस, डेवियन्सी, सेक्सुअल मिस-बिहेव, हिंसा, गाली-गलोच आदि को अवरोध, प्रतिरोध, दबाव का कारण मानना चाहिए ना कि सिर्फ सेक्स इच्छा को इसके लिए जिम्मेदार मानना चाहिए| यदि हमें बिना किसी बाहरी रूकावट के अपनी इच्छाओं, चाहतों और भावनाओं को खोजने और इनकी पूर्ति की इजाजत दी जाए तो ये चरम पर नहीं पहुंचेंगी| अधिकतमता, हर रूप में, अवरोध, प्रतिरोध, दबाव की प्रतिक्रिया है| आक्रामकता और हिंसा, डर और नपुसंगता की परछाई है|
यदि हम गहराई में जाएंगे तो पाएंगे कि हर सेक्स पोजीशन अपने आप में एक पावरफुल आध्यात्मिक व्यक्ख्या प्रस्तुत करती है| इसलिए सेक्स की परिभाषा जो हम समझते हैं उससे कहीं अलग है| आपको आनंद की एक अलग परिभाषा समझनी होगी और इसे अनुभव करना होगा| इससे आपको वास्तव में सच्ची आध्यात्मिकता का अनुभव होगा|