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विश्वकर्मा पूजा: स्वर्ग लोक से लेकर सोने की लंका बनाने वाले भगवान विश्वकर्मा की पूजा आज
हर साल कन्या संक्रांति पर विश्वकर्मा पूजा की जाती है। माना जाता है कि इसी दिन विश्वकर्मा भगवान का जन्म हुआ था और इसलिए इस दिन को विश्वकर्मा जयंती भी कहा जाता है। इस साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को की जाएगी। ये दिन भगवान विश्वकर्मा को ही समर्पित है जिन्हें इस दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। इस दिन पूरे विधि विधान से उनकी पूजा की जाती है।
इस दिन लोग निर्माण कार्य से जुड़ी चीजों, उद्योग, फैक्ट्री और मशीनों की पूजा करते हैं, जिनसे उनका रोजगार जुड़ा होता है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस दिन विश्वकर्मा भगवान की पूजा से व्यक्ति को जीवन में तरक्की मिलती है और रोजगार तथा कारोबार में लाभ मिलता है। विश्वकर्मा पूजा के उपलक्ष्य में ज्यादातर फैक्ट्री-कारखाने बंद रखे जाते हैं और सभी बुनकर, शिल्पकार, औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े लोग पूजा करते हैं।
देवी देवताओं की नगरी बसाई थी भगवान विश्वकर्मा ने
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान विश्वकर्मा ही थे जिन्होंने सभी राजधानियों का निर्माण किया था। ऐसा माना जाता है कि रावण की सोने की लंका, देवताओं का स्वर्ग लोक, द्वारिका और हस्तिनापुर के रचना कार्य के पीछे भगवान विश्वकर्मा ही थे।
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विश्वकर्मा पूजा का महत्व
ये पूजा खासतौर से कला, शिल्प और व्यापर से जुड़े लोगों के लिए होती है। देवी देवताओं के समय के इंजीनियर माने गए भगवान विश्वकर्मा की पूजा से लोगों के काम-धंधे और व्यापर में वृद्धि होती है। जीवन में सुख समृद्धि के लिए लोगों को इस दिन जरूर पूजा करनी चाहिए, अवश्य लाभ मिलेगा।
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त
कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा की जाती है जो काफी शुभ स्थिति है। संक्रांति का पुण्य काल सुबह 07.02 से है। इस समय पूजा का शुभारम्भ किया जा सकता है।
सुबह 9 बजे से 10.30 तक यमगंड रहेगा। दोपहर 12 से 1.30 बजे तक गुलिक काल और फिर शाम 3 से 4.30 बजे तक राहुकाल रहेगा। इन समय को छोड़कर आप दिन में कभी भी पूजा शुरू कर सकते हैं।
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विश्वकर्मा पूजा की विधि
विश्वकर्मा जयंती के दिन भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को मंदिर में विराजित करें। आप सच्चे मन से भगवान की पूजा अर्चना करें। शादीशुदा व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ इस पूजा को करें। इनकी पूजा के लिए दीप, धूप, फूल, सुपारी, गंध, फल, मिठाई, दही, रक्षा सूत्र, भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा आदि की व्यवस्था करें। आप हाथ में पुष्प तथा चावल लेकर विश्वकर्मा भगवान का ध्यान करें और उनसे अपनी पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें।
अपने सभी औजारों और मशीनों पर तिलक और अक्षत लगाएं। फैक्ट्री, ऑफिस या दुकान जहां भी आप पूजा करें, वहां मौजूद सभी लोगों के साथ आरती करके भगवान को भोग लगाएं। फिर सभी को प्रसाद बांटें।