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जानिये क्यूं मनाई जाती है वसंत पंचमी?
उत्तर भारत में वसंत पंचमी एक मुख्य त्यौहार है। इस त्यौहार को माघ के महीने में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाता है। इस त्यौहार को मां सरस्वती का त्यौहार माना जाता है। वैसे कई इलाकों में इस दिन भगवान विष्णु और राधा जी भी पूजा की जाती है।
यह त्यौहार सर्दियों के अंत का प्रतीक होता है और राजा वसंत के आगमन के साथ ही पूरे क्षेत्र में वसंत माहौल हो जाता है। माना जाता है कि इस दिन से ही गर्मी के फल पेड़ों पर लगने के लिए बौर आ जाता है, सरसों के फूल खिल जाते हैं। चारों और माहौल में ताजगी आ जाती है। इस दिन सभी लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं।
क्यूं की जाती है गणेश-लक्ष्मी की पूजा एक साथ?
उत्तर भारत में इस दिन को छात्रों के लिए बहुत खास माना जाता है। इस दिन सभी पढ़ने वाले बच्चे, नहाने के बाद पीले रंग के कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं और पतंग उड़ाकर आनंद उठाते हैं।
सौदंर्य का उत्सव: ऐसा माना जाता है कि वसंत का त्यौहार, कामदेव, उनकी पत्नी रति और उनके दोस्त वसंत के सम्मान में मनाया जाता है। यह त्यौहार श्रृंगार रस्म से जुड़ा होता है।
देवी सरस्वती का जन्म: माना जाता है कि इसी दिन विद्या की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। भगवान ब्रह्मा, सृष्टि का निर्माण करने के बाद इतना खुश हो गए कि वह अपनी ही आंखों से दुनिया को देखना चाहते थे। जब उन्होने सारी दुनिया को देखा, तो उन्हे बड़ा दुख हुआ कि इतनी सुंदर दुनिया में इतना सन्नाटा। उन्होने इसके लिए सोचना शुरू किया और कमंडल में पानी लेकर घुमाया, तो पेड़ से परी उतरी। उस परी के हाथ में एक वीणा था, ब्रह्मा जी ने परी से कहा कि वह कुछ बजाकर दिखाएं, ताकि सारी दुनिया में आवाज आ जाएं। और इस तरह संगीत का भी जन्म हुआ। उस परी को ही मां सरस्वती के नाम से जाना जाता है। कई जगह सरस्वती जी को वीना वादिनी भी कहते हैं।
वसंत की शुरूआत: वसंत एक मौसम भी होता है जो इसी दिन से शुरू होता है। इसी दिन से भयानक सर्दी पड़ना कम हो जाती है। यह मौसम होली होने तक चलता है।