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नवरात्रों में प्याज और लहसुन नहीं खाने के पीछे है आयुवेर्दिक और वैज्ञानिक कारण
नवरात्रि में प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाने चाहिए इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है जो शायद आपको पता भी नहीं होगा। हालांकि हिन्दू मान्यतों के अनुसार यह एनर्जी और भगवान से जुड़ा हुआ है और इसे योग और आयुर्वेद के द्वारा बताया गया है।
प्याज और लहसुन नहीं खाने का कारण है क्यों कि यह तामसिक फूड (अस्वास्थ्यकर, आलसी बनाने वाला) है इससे इन 9 दिनों में हम भगवान से नहीं जुड़ पाते हैं और यह ग्रहों की स्थिति को भी बाधित करता है जिससे हमारी ग्रोथ और समृद्धि रुकती है।
योग कथा
एक बार देवता और असुरों ने समुद्र के खजाने को पाने के लिए समुद्र मंथन किया। उन्हें इस दौरान अमृत मिला जिससे कि व्यक्ति अमर हो जाता है। देवताओं ने अमृत खुद रखा और स्वरभानु को छोडकर किसी असुर को नहीं दिया।
एक असुर का अमर होना पूरी सृष्टि के लिए नुकसानकारी था। इसलिए विष्णु ने उसके दो दुकड़े कर दिये, उसका सिर राहू कहलाया और शरीर केतू। इस दौरान पृथ्वी पर उसके खून की कूछ बूंदें गिर गई। योग कथाओं के अनुसार प्याज और लहसुन उसी से पैदा हुये हैं।
इसलिए वैदिक सभ्यता में नवरात्रि के दौरान प्याज और लहसुन खाने से मना किया गया है। चूंकि नवरात्रि में हम अपने आपको माँ दुर्गा और भगवान से जोड़ना चाहते हैं, ऐसे में हम असुरों के गुणों वाले खादय पदार्थों का सेवन कैसे कर सकते हैं।
इस कहानी का क्या मतलब है?
यह योग कथा एक कविता की तरह पढ़नी चाहिए। हमें इस बात की सच्चाई के लिए और आगे समझना होगा। योग कथा में बताई गई तामसिक क्वालिटीज़ एक उपमा की तरह है। तामसिक का अर्थ है शरीर को निष्क्रिय करने वाला खाना। यानि ऐसा खाना तामसिक है जो हमारे शरीर और दिमाग को आलसी बनाता है।
योग इंस्टीट्यूट, होम योगीज होम के अनुसार "मेरे किसी शब्द पर विश्वास मत करो, पर खुद पर इस मान्यता को आजमा कर देखो"। भारी खाना खाने के बाद हमें ‘फूड कोमा' हो जाता है, इससे हमें नींद आती है। यह शारीरिक और मानसिक आलसीपन का लक्षण है।
नवरात्रि के 9 दिन शक्तिस्वरूपा माँ दुर्गा की पूजा करने का समय है। लेकिन इस बारे में सोचें कि आलसी शरीर और निद्रा से भरे दिमाग से हम उस शक्ति की आराधना कैसे कर पाएंगे।
केवल इस समय में ही क्यों?
नवरात्रि के 9 दिन का व्रत लंबे समय तक के लिए फायदेमंद है। नवरात्रि का समय साल में दो बार आने वाला वो है जब दिन रात बराबर होते हैं। इस समय पृथ्वी का तिहाई भाग सूरज के बीच से गुजरता है। जब हमारा पूरा ब्रह्मांड बदल रहा है तो अपने शरीर को बदलने का इससे अच्छा समय क्या होगा?
इसलिए, ये नौ रातें ऐसी हैं जब हमारा ब्रह्मांड बदलता है और चाँद बढ़ता है, यह वो समय है जब हम ब्रह्मांड की ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं। पूरे अन्तरिक्ष की स्थितियाँ आपके अनुकूल हैं, लेकिन आपको भी अपनी तरफ से कुछ मेहनत तो करनी होगी। इस समय भी अगर हम आलस से भरे होंगे तो यह किसी विरोधाभास से कम नहीं होगा।
बदलाव के लिए अच्छा समय
इसका मतलब है कि अगर आप अपने आपको बदलना चाहते तो इन नौ दिनों से अच्छा कोई समय नहीं। इसलिए प्याज और लहसुन जैसे तामसिक फूड से दूर रहे और आलस को भगाएँ।
खाने में बदलाव के साथ ही अपने आपको बदलना भी बेहद ज़रूरी है। प्याज और लहसुन छोडने के साथ ही अपने कर्म भी अच्छे करें ताकि बदलाव पूरा हो।