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भारत के मंदिरों के बारे में तो खूब सुना होगा.. जानिए, पाकिस्‍तान के इन चमत्‍कारी मंदिरों के बारे में

By Ruchi Jha
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हिन्दुओं ने देश से लेकर विदेश तक भी कई शानदार मंदिर बनवाये हैं। इनमें से एक ऐसी जगह है पाकिस्तान। इन मंदिरों के शानदार वास्तुकला को किसी दूसरे देश में देखकर एक अलग आनंद मिलता है। हालांकि, ज़्यादातर हिन्दू भारत में ही रहते हैं, पर कई देशों जैसे नेपाल, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और अमेरिका में उनका विश्वास दृढ़ है।

इस मंदिर में शादी करनी है तो पहले आधार कार्ड दिखाओं...इस मंदिर में शादी करनी है तो पहले आधार कार्ड दिखाओं...

हालांकि पाकिस्‍तान में स्थित कई मंदिर अपनी चमत्‍कार के लिए जाने जाते हैं, आइए जानते हैं पाकिस्तान के प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों के बारे में।

एकमात्र हिंदू मंदिर जहां लोग आने से डरते हैंएकमात्र हिंदू मंदिर जहां लोग आने से डरते हैं

कटास राज मंदिर, पाकिस्तान

कटास राज मंदिर, पाकिस्तान

पाकिस्तान के पंजाब के चकवाल ज़िले में स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर महाभारत के दिनों से भी पहले से है और पांडवों ने वनवास के दौरान काफी समय यहाँ बिताया था। ऐसा माना जाता है की पांडव भाईयों ने जो महाभारत में नायक माने जाते हैं, यहाँ पर 14 साल के वनवास में से 4 साल गुज़ारे थे। यह मंदिर शिव की पत्नी सति के मरने के बाद अस्तित्व में आया। शिव काफी दिनों तक रोएं जिससे दो पावन तालाब का निर्माण हुआ- एक अजमेर के पुष्कर में स्थित है और दूसरा कटास राज मंदिर में।

रोहतास फोर्ट मंदिर, झेलम, जी टी रोड:

रोहतास फोर्ट मंदिर, झेलम, जी टी रोड:

इस फोर्ट का निर्माण पश्तून राजा शेर शाह सूरी के शाशन के दौरान 1541 से 1548 के बीच हुआ। इस फोर्ट के अंदर काफी कम मंदिर हैं।

हिन्दू मंदिर, मरी-इंडस, कलाबाग पंजाब के पास

हिन्दू मंदिर, मरी-इंडस, कलाबाग पंजाब के पास

इंडस नदी पर कई मंदिर छह से ग्यारह सेंचुरी तक बने। इस सेंचुरी में उपेक्षित रहने के कारण और विभाजन के बाद अनाथ रहने के कारण, यह मंदिर वास्तुकला के इतिहास में अप्राप्त कड़ी की तरह बन कर रह गए। प्राचीन भारत के उत्तर पश्चिमी प्रान्त में जो अब पाकिस्तान, स्वात और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों के उत्तर पश्चिमी इलाकों में आता है, कुछ ऐसी इमारतें हैं जिन्हें हम हिन्दू पौराणिक कथाओं से जोड़ सकते हैं।

हिंगलाज मंदिर या नानी मंदिर, हिंगोल नेशनल पार्क, बलूचिस्तान

हिंगलाज मंदिर या नानी मंदिर, हिंगोल नेशनल पार्क, बलूचिस्तान

भगवती सती का महत्वपूर्ण शक्ति पीठ, हिंगलाज मंदिर या नानी मंदिर हिंगोल नेशनल पार्क में स्थित है जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके में पड़ता है। इस मंदिर का निर्माण तब हुआ जब भगवान विष्णु ने सति के मृत शरीर को 52 टुकड़ों में बाँट दिया ताकि भगवान शिव शांत हो जाएँ और अपना तांडव बंद कर दें। यह टुकड़े भारत देश में चारों ओर फैल गए जबकि सति का सर हिंगुला या हिंगलाज में गिरा।

पौराणिक धर्मग्रन्थ के अनुसार भगवान शिव ने भी हिंगलाज में साधना की थी ताकि वह अपने ब्रह्महत्या के पाप को धुल सकें(उन्होंने रवां को मारा था जो एक ब्राह्मण था और भगवान शिव और भगवती परम भक्त था)।

हिन्दू मंदिर, उमेरकोट, सिंध

हिन्दू मंदिर, उमेरकोट, सिंध

शिव मंदिर उमेरकोट क्षेत्र में स्थित एक लोकप्रिय मंदिर है, जो राणा जहांगीर गोथ की जगह के पास पाकिस्तान के सिंध इलाके में है। रस्ते में हज़रत निमानो शाह दरगाह भी आता है। हर साल महाशिवरात्रि के दिन यहाँ पर तीन दिनों का भव्य आयोजन होता है जहाँ आस पास के क्षेत्र से कई श्रद्धालु आते हैं।

ऐसा माना जाता है कि हज़ारों साल पहले एक आदमी अपनी गायों को वहां से चारा खिलाया करता था। वहां पर भारी मात्रा में घास होती थी इसलिए वह आदमी अपनी गायों को वहां चारा खिलाने ले आया करता था। पर एक दिन उसने देखा कि गाय कहीं और जाकर एक लिंगम पर दूध दे देती थी, जो ज़मींन से काफी ऊपर नहीं था। उस आदमी ने कुछ दिनों तक इस चीज़ को देखा और सोचा कि गाय लिंगम को दूध क्यों दे रही है। जब लोगों ने वहां आकर देखा तो उन्हें शिव लिंगम मिला और वहां पर शिव मंदिर बनवाया गया।

हिन्दू मंदिर, सिआलकोट, पंजाब

हिन्दू मंदिर, सिआलकोट, पंजाब

यह ऊंचा शवाला तेजा सिंह खाकिं अख्तर के धारोवाल मोहल्ले में इक़बाल रोड के हाजी नज़ीर अहमद मार्किट में 1000 फीट पर स्थित है और वहां जाने के लिए आपको सीढ़ियां लेनी पड़ेंगी।

यह हिन्दू प्रजातीय आबादी का प्रतीक है जो विभाजन से पहले पूजा किया करते थे, दिवाली, दशहरा और होली अपने परिवार वालों के साथ मनाया करते थे।

अब बच्चे इसकी दहलीज पर खेलते हैं और विभाजन के बाद यहाँ पर कोई भी मरम्मत का काम नहीं हुआ।

कालका केव मंदिर, अरोर, रोहरी सिंध के पास

कालका केव मंदिर, अरोर, रोहरी सिंध के पास

कालका देवी मंदिर एक पहाड़ी गुफा के अंदर स्थित है जहाँ पर यह माना जाता है कि भगवती साक्षात प्रकट हुईं थीं। इस मंदिर में कई सुरंग हैं जो इसे बलूचिस्तान के हिंगलाज मंदिर से जोड़ता है।

इस क्षेत्र को जिन पहाड़ों ने घेरा हुआ है वह आजकल कंपनियों की मेहरबानी पर हैं जो पैसों के लिए पत्थरों को तोड़ने में लगी हैं। मंदिर के रखवाले की सुनें तो मंदिर में आने वाले 60 प्रतिशत से ज़्यादा लोग हिन्दू न होकर मुसलमान या दूसरे सम्प्रदाय के हैं।

साधु बेला मंदिर, सिंध

साधु बेला मंदिर, सिंध

पाकिस्तान और भारत के विभाजन के बाद कई हिन्दू पाकिस्तान में बसे रह गए। कुछ हिन्दू भारत और दूसरे शहरों की तरफ पलायन कर गए पर फिर भी कुछ पाकिस्तान में ही रह गए। सिंध के कुछ क्षेत्र जैसे सुक्कुर और रोहरी सिटी धार्मिक जगहों से भरा पड़ा है। अगर हम हिंदूवाद और मंदिरों की बात करें तो एक मंदिर काफी मशहूर है जो साधु महाद्वीप या साध बेलो के नाम से जाना जाता है। उर्दू में इसे साधु बल्ला के नाम से जानते हैं। इसे 1823 में स्वामी ब्रखंडी महाराज ने बनवाया था। यह इंडस नदी के सुक्कुर में स्थित है।

साध बेलो एक मंदिर नहीं है पर इसमें 9 से भी ज़्यादा भगवानों के मंदिर हैं और हिन्दू धर्म के लोग साध बेलो में पूजा करनी की इच्छा रखते हैं और वह मृत लोगों की अस्थियां यहाँ फेंकते हैं क्यूंकि वह ऐसा मानते हैं कि ऐसा करने से उन्हें अपने भगवान से आशीर्वाद मिलेगा।

हिन्दू मंदिर, थार

हिन्दू मंदिर, थार

स्थानीय कहानियों पर विश्वास करें तो इस मंदिर को एक धनि भारतीय व्यापारी ने बनवाया था और यह 23वें जैन पैगम्बर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है। पर देश में काफी कम जैन लोगों के बच जाने से यह मंदिर खंडहर सा ही बन कर रह गया है। गोरी गांव में स्थित यह जैन मंदिर करीबन 16वीं शताब्दी में बना था।

 हिन्दू मंदिर, चिन्योट, पंजाब

हिन्दू मंदिर, चिन्योट, पंजाब

चिन्योट पंजाब के चेनाब नदी के बाएं किनारे पर स्थित है जो पाकिस्तान के सबसे पुराने शहरों में से एक है। इस हिन्दू मंदिर को महाराजा गुलाब सिंह ने बनवाया था। यह चिन्योट शहर के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। इस अद्भुत मंदिर को दूसरे एंग्लो- सिख लड़ाई के दौरान बनवाया गया

English summary

Ancient Hindu temples in Pakistan

Hindus have made majestic temples around the world even in Pakistan. The marvelous architecture of these heritage temples is amazing to see on a different land all together.
Story first published: Monday, September 18, 2017, 11:25 [IST]
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