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कभी पुलिस पर पत्थर फेंकने की वजह से आई थी चर्चा में, आज है J&K महिला फुटबॉल टीम की कैप्टन
कश्मीर के भटके हुए युवाओं के भविष्य को नई दिशा देने के लिए सरकार खेल कार्यक्रम से उन्हें जोड़ रही है। कश्मीर में 90 क्रिकेट और फुटबॉल के ट्रेनिंग कैम्प संचालित किए जा रहे है। बाकी के खेलों के लिए सरकार इंडोर स्टेडियम तक बना रही है। इन्हीं प्रोग्राम के तहत जम्मू कश्मीर की पहली फुटबॉल महिला कोच अफशां आशिक छोटे छोटे बच्चों को फुटबॉल सिखाने का काम कर रही है।
अफशां आशिक, ये नाम जम्मू कश्मीर की खूबसूरत वादियों में रहने वाली हर आम सी लड़की के लिए किसी यूथ आइकन से कम नहीं है। जम्मू-कश्मीर महिला फुटबाल टीम की गोलकीपर और कप्तान। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये वो ही अफशां है जो करीब एक साल पहले श्रीनगर की गलियों में पुलिस पर पत्थर फेंकने वाली लड़कियों के गुट की अगुवाई करने की वजह से सुर्खियों में छा गई थी। कुछ समय पहले पूरे देश में एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें मुंह ढ़के हुए एक लड़की (अफशां आशिक) पुलिस पर पत्थर फेंकते हुए नजर आई थी।
जी हां, ये वो लड़की है जो आज जम्मू कश्मीर महिला फुटबॉल टीम की बतौर कैप्टन बनकर स्थानीय लड़कियों को खेल से जोड़ने और दहशत से बाहर निकलने के लिए प्रेरित कर रही है। आइए जानते है कि कैसे अफशां आशिक एक पत्थर बाज से जम्मू कश्मीर फुटबॉल टीम की कप्तान बनी।
बचपन से ही खेलकूद में दिलचस्पी
अफशां भी आम लड़कियों की तरह एक कश्मीरी लड़की है। अफशां को बचपन से ही खेलकूद में दिलचस्पी थी। लेकिन अचानक एक वायरल फोटो ने अफशा की जिंदगी बदल दी। इस एक फोटो ने आमजन के साथ स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियों की पुलिस के प्रति नाराजगी और आक्रोश को सामने लाकर दे दिया था।
कोचिंग देती है फुटबॉल की
जम्मू कश्मीर महिला फुटबॉल टीम की कैप्टन होने के साथ ही अफशां जम्मू कश्मीर की पहली महिला फुटबॉल कोच भी है। वो अपने आसपास के बच्चों को फुटबॉल को कोचिंग भी देती है। 70 बच्चों की कोचिंग लेने आने वालों में से 30 लड़के भी है। पत्थरबाजी की वजह से सुर्खियों में आने वाली अफशां के लिए अब पढ़ाई और फुटबॉल ही लक्ष्य है।
मिसबिहेव की वजह से
अफशां ने एक बार एक इवेंट के दौरान उस घटना का जिक्र करते हुए बताया था कि रोजाना कि तरह हमारा लड़कियों का ग्रुप फुटबॉल मैच की प्रैक्टिस करने के लिए ग्राउंड की तरफ जा रहा था। अचानक से कुछ उपद्रवियों के झुंड ने सुरक्षा बल पर पथराव करना शुरु कर दिया। हम वहां खड़े होकर मामला शांत होने का इंतजार कर रहे थे। मेरे साथ खड़ी लड़कियां डर गई थी। मैं उन्हें शांत करवा रही थी। पुलिस को लगा कि हम भी पत्थरबाजी में शामिल थे। अचानक से एक पुलिस वाला हमारी तरफ आया और उसने एक लड़की को बुलाया और उसे कसकर तमाचा जड़ दिया। जिससे मैं आग बबूला हो गई और हमने विरोध में पत्थराव करना शुरु कर दिया।
देश के लिए खेलना चाहती है फुटबॉल
दरअसल जम्मू कश्मीर सरकार भटके हुए युवाओं के लिए कई तरह के विशेष कार्यक्रम चला रही है जिसमें उन्हें खेल कार्यक्रमों से जोड़कर उनके भविष्य को नई राह दे रही है। इस कार्यक्रम से जुड़कर अफशां आशिक अपने और दूसरे बच्चों के सपने साकार करने में लगी हुई है। अफशां अब पत्थरबाजी और पत्थरबाजी की जगह राज्य की खिलाड़ियों के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में भी चर्चा करती है। अफशां भारतीय महिला फुटबॉल मैच खेलना चाहती है।