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मिलिए इस अफसर बिटिया से, मां का सपना पूरा कर पिता के हत्‍यारे को सजा दिलाई

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एक झूठी मुठभेड़ में एक पुलिस वाले की जान चली जाती है उसके घर में एक छह माह बेटी और छह माह गर्भवती पत्‍नी होती है। लेकिन जान चले जाने के बाद मालूम चलता है कि उस मुठभेड़ में जान से हाथ धोने वाले उस पुलिस अफसर का सिविल परीक्षा में चयन हो गया था। लेकिन नियति के आगे किस का बस चलता है।

तब एक बेबस मां और इंसाफ की तलाश में दर दर की ठोकरे खा रही एक मां अपनी दोनो बेटियों को पिता की जगह आईएसए ऑफिसर बना हुआ देखना चाहती है। और ठीक 31 साल के बाद वो दोनों बेटियां आईएएस ऑफिसर बनती और अपने पिता की हत्‍या की सजा आरोपियों को दिलाती है।

ये काहानी आपको किसी फिल्‍म के स्क्रिप्‍ट से लग रही होगी लेकिन ये काहानी सच्‍ची घटना पर आधरित है। जी हां ये काहानी है फैजाबाद की जिला कलेक्‍टर किंजल सिंह की। जिन्‍होंने 31 साल की लम्‍बी जद्दोजेहद के बाद न सिर्फ अपनी मां का सपना पूरा किया और पिता को इंसाफ दिलाया। आज तेज तर्रार अफसर के रुप में जानी जाने वाली किंजल सिंह का सफर इतना आसान भी नहीं था।

आइए जानते है इनके बारे में।

31 साल के बाद मिला इंसाफ

31 साल के बाद मिला इंसाफ

खिलौने से खेलने की उम्र में ही में किंजल मां के साथ बलिया से दिल्ली तक का सफर पूरा करके सुप्रीम कोर्ट आती और पूरा दिन अदालत में बैठने के बाद रात में फिर उसी सफर पर निकल जाती। तब किसे पता था कि ये संघर्ष पूरे 31 साल तक चलने वाला है। यह जद्दोजहद 5 जून, 2013 को उस समय जाकर खत्म हुई जब लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया। अदालत ने कहाः 1982 को 12-13 मार्च की दरमियानी रात गोंडा के डीएसपी (किंजल के पिता) के.पी.सिंह की हत्या के आरोप में 18 पुलिसवालों को दोषी ठहराया जाता है। जिस वक्त फैसला आया, किंजल बहराइच की डीएम बन चुकी थीं।

हंसते थे लोग

हंसते थे लोग

पिता की हत्या के समय वे महज छह माह की थीं जबकि उनकी छोटी बहन प्रांजल का जन्म पिता की मौत के छह माह बाद हुआ। उनकी मां विभा सिंह इंसाफ के लिए अकेली लड़ती रहीं। डीएसपी सिंह आइएएस बनना चाहते थे और उनकी हत्या के कुछ दिन बाद आए परिणाम में पता चला कि उन्होंने आईएएस मुख्य परीक्षा पास कर ली थी। किंजल बताती हैं, "जब मां कहती थीं कि वे दोनो बेटियों को आईएएस अफसर बनाएंगी तो लोग उन पर हंसते थे।" बनारस में कोषालय कर्मचारी विभा सिंह की तनख्वाह का ज्यादातर हिस्सा मुकदमा लड़ने में चला जाता था।

मां की कैंसर से हो गई मौत

मां की कैंसर से हो गई मौत

इस बीच किंजल को दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में प्रवेश मिल गया! यहां ग्रेजुएशन के पहले ही सेमेस्टर के दौरान पता चला कि उनकी मां को कैंसर है और वह अंतिम स्टेज में है। कीमोथैरेपी के कई राउंड से गुजर कर विभा सिंह की हालत बेहद खराब हो गई थी लेकिन बेटियों को दुनिया में अकेला छोड़ देने के डर से वे अपने शरीर से लगातार लड़ रही थी।

किंजल बताती हैं, "एक दिन डॉक्टर ने मुझसे कहा, "क्या तुमने कभी अपनी मां से पूछा है कि वे किस तकलीफ से गुजर रही हैं?" जैसे ही मुझे इस बात का एहसास हुआ, मैंने तुरंत मां के पास जाकर उनसे कहा, मैं पापा को इंसाफ दिलवाऊंगी, "मैं और प्रांजल आईएएस अफसर बनेंगे और अपनी जिम्मेदारी निभा लेंगे. आप अपनी बीमारी से लड़ना बंद कर दो। कुछ ही देर बाद वे कोमा में चली गईं और कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई।"

2008 में दोनों बहनें बनी अफसर

2008 में दोनों बहनें बनी अफसर

किंजल को मां की मौत के दो दिन बाद ही दिल्ली लौटना पड़ा क्योंकि उनकी परीक्षा थी. उसी साल किंजल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी टॉप किया। इस बीच उन्होंने छोटी बहन को भी दिल्ली बुला लिया और मुखर्जी नगर में फ्लैट किराए पर लेकर दोनों बहनें आईएएस की तैयारी में लग गई। किंजल बताती हैं, "हम दोनों दुनिया में अकेले रह गए। हम नहीं चाहते थे कि किसी को भी पता चले कि हम दुनिया में अकेले हैं।" 2008 में दूसरे प्रयास में किंजल का चयन IAS के लिए हो गया, उसी साल प्रांजल पहले ही प्रयास में IRS के लिए चुन ली गईं।

डीएसपी थे पिता, झूठी साजिश के हुए थे शिकार

डीएसपी थे पिता, झूठी साजिश के हुए थे शिकार

झूठी कहानी पुलिस का दावा था कि केपी सिंह की हत्या गांव में छिपे डकैतों के साथ क्रॉस-फायरिंग में हुई थी। लेकिन उनकी पत्नी यानि किंजल की मां का कहना था कि उनके पति की हत्या पुलिस वालों ने ही की थी।

बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। जांच के बाद पता चला कि किंजल के पिता की हत्या उनके ही महकमे के एक जूनियर अधिकारी आरबी सरोज ने की थी। हद तो तब हो गई जब हत्याकांड को सच दिखाने के लिए पुलिसवालों ने 12 गांव वालों की भी हत्या कर दी। अब 30 साल तक चले मुकदमे के बाद सीबीआई की अदालत ने तीनों अभियुक्तो को फांसी की सजा सुनाई। इस मामले में 19 पुलिसवालों को अभियुक्त बनाया गया था जिसमें से 10 की मौत हो चुकी है।

English summary

Real-life Stories: Kinjal Singh Who Became An IAS Officer To Punish Her Dad's Killer!

Kinjal Singh is a fiery IAS officer of the nation who literally does not care about any political lobbies.
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