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बच्चों की स्किन का ख्याल रखना नहीं है मुश्किल, इन टिप्स को करें फॉलो
ये सब जानते हैं कि नए जन्मे शिशु की त्वचा प्राकृतिक रूप से बहुत मुलायम और नर्म होती है। आमतौर पर उन्हें त्वचा संबंधी समस्याएं कम होती हैं लेकिन अगर उनकी त्वचा का सही तरह से ख्याल ना रखा जाए तो उन्हें रैशेज और अन्य त्वचा रोग हो सकते हैं। सवाल है कि उनके त्वचा की प्राकृतिक सहजता बनी रहे, इसके लिए क्या किया जा सकता है?
शिशु को त्वचा रोग खुजली जैसी समस्या हो सकती है। हैरानी की बात यह है कि सभी तरह के उपायों को आजमाने के बावजूद यदि शिशु की त्वचा एक बार बीमारी की चपेट में आ जाए, तो वह आसानी से ठीक नहीं होती। उन्हें रैशेज तक हो सकते हैं। लेकिन घबराने की बात नहीं है। आप इसके लिए कुछ उपायों को घर में ही आजमा सकते हैं और जरूरत पड़ने पर दवाओं की मदद भी ले सकते हैं। यहां हम आपको शिशु के त्वचा का ख्याल रखने से संबंधित कुछ टिप्स दे रहे हैं।
डायपर रैशेज
हर माता-पिता को यह चिंता होती है कि उनके शिशु को डायपर रैशेज हो सकते हैं। डायपर की वजह से छोटे बच्चों को शुरूआती महीनों में ही रैशेज हो जाते हैं। खराब बात ये है कि वे इतने छोटे होते हैं कि रैशेज से होने वाले दर्द को आसानी से बर्दाश्त नहीं कर पाते। लेकिन जैसा कि पहले ही बताया गया है कि कुछ उपायों को आजमाकर आप इस समस्या से बचे रह सकते हैं। आपके लिए जब भी संभव हो शिशु को डायपर ना पहनाएं। हर पांच-पांच घंटे में डायपर बदलते रहें। इसके अलावा बच्चे के अंदरूनी हिस्से को साफ रखें। जितना हिस्सा डायपर से कवर रहता है, वहां क्रीम लगाएं। समय-समय पर साफ और गुनगुने पानी से अंग विशेष की सफाई करते रहें। इस तरह आपका बच्चा डायपर रैशेज से बचा रह सकता है।
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चुभती-जलती गर्मी से दूर रखें
चुभती-जलती गर्मी की वजह से भी आपके छोटे बच्चे की मुलायम त्वचा पर दाने हो सकते हैं। अगर आपको किसी कारणवश तेज धूप और गर्म मौसम से बच्चे के साथ बाहर निकलना पड़े तो कुछ एहतियात बरतें। घर से बाहर निकलने से पहले बच्चे को गुनगुने पानी से नहलाएं। पूरे शरीर में पाउडर लगाएं। शरीर के जिन हिस्सों में ज्यादा पसीना आता है, वहां विशेषकर पाउडर का इस्तेमाल करें। बगल, गर्दन और बच्चों के विशेष अंग में पाउडर लगाएं। इन सब सावधानियों के बावजूद बच्चे को अच्छी तरह किसी सूती और मुलायम कपड़े में लपेटें।
सूरज की तेज रोशनी से दूर रखें
सूरज की तेज रोशनी बच्चों की मुलायम त्वचा के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होती है। इन दिनों बच्चों को आसानी से सनर्बन हो सकता है। सनबर्न ना हो, इसके लिए पहले से ही उनकी त्वचा का ख्याल रखना चाहिए। ध्यान रखें कि जब भी सूरज की तेज धूप में बच्चे को लेकर घर से बाहर निकलें, उन्हें अच्छी तरह कवर करें। सूरज की किरणें सीधी उनकी त्वचा पर ना आए। जन्म के बाद शुरूआती कुछ माह तक बच्चे को सूरज की रोशनी से दूर रखना जरूरी होता है। जैसे-जैसे शिशु की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे आप उसे सनस्क्रीन लगाकर घर से बाहर निकाल सकते हैं। यूवी किरणों से बचाने वाली क्रीम का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
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क्रैडल कैप
बच्चों के सिर पर क्रैडल कैप होना भी सामान्य समस्या है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए शिशु के सिर पर बेबी ऑयल का इस्तेमाल करें। रात के समय शिशु के सिर पर बेबी ऑयल लगाएं और हल्के हाथों से मसाज करें। सुबह उठकर बेबी शैम्पू से उसका सिर धो दें। आप चाहें तो धीरे-धीरे ब्रश की मदद से उसके सिर से क्रस्ट को निकाल सकते हैं। ऐसा आप रोजाना करें। आप नोटिस करेंगे कि क्रैडल कैप की समस्या कम हो रही है।
इन सबके अलावा छोटे बच्चे को कील-मुंहासे भी हो सकते हैं। इसे एक्ने न्यूनाटोरम या न्यूनेटेल बेबी एक्ने कहा जाता है। यह मेटेरनल हार्मोन की वजह से होता है। आपको पता होना चाहिए कि यह वही हार्मोन हो जिसकी वजह से किशोरवास्था में कील-मुंहासों की समस्या होती है। इन दोनों में सिर्फ इतना सा फर्क होता है कि यह कुछ ही हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाता है। इसे किसी तरह के ट्रीटमेंट या उपचार की जरूरत नहीं होती है।