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Parenting Tips: रोजाना अपने बच्चे के मेंटल हेल्थ की ऐसे करें जांच
बड़ों की तरह बच्चे भी मेंटल हेल्थ से संबंधित समस्याओं का अनुभव करते हैं। ऐसे में किसी भी बच्चे के लिए फिजिकल हेल्थ जीतना ही मेंटल हेल्थ भी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में नियमित मेंटल हेल्थ चेकअप ये आकलन करने का अच्छा तरीका है कि बच्चा अपनी रोजमर्रा की जिंदगी और चुनौतियों के साथ कैसे जी रहा है, और महसूस कर रहा हैं। एक माता-पिता होने के नाते आप अपने बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य की रोज जांच कैसे कर सकते हैं। आइए जानते हैं।
किसी भी घर में माता-पिता और किसी बड़ें की भूमिका सकारात्मक वातावरण बनाने में मदद करता है। ऐसे में घर में बच्चों से खुली बातचीत करना जरूरी है। ताकि बच्चे अपने माता-पिता की प्रतिक्रियाओं को अनसुना किए बिना या बिना डरे अपनी फीलिंग्स, दोस्ती, अपनी मुश्किलें उनसे आसानी से शेयर कर सकते हैं। सभी बच्चों के लिए ये जरूरी होता है कि कम से कम घर का कोई एक बड़ा उनके साथ दोस्तो जैसा व्यवहार करें। साथ हो जिसके साथ वे अपनी भावनाओं और संघर्षों को साझा कर सकें और उनके साथ सुरक्षित भी महसूस कर सकें। ताकि वो अपनी बातें किसी को बताने से झिझके ना।
बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे
अगर आपका बच्चा किसी भी तरह के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लक्षण दिखाता है, तो आप उसके साथ बातचीत करना शुरू करें। ऐसे में आपको अगर किसी डॉक्टर की मदद लेने की जरूरत महसूस हो तो जरूर लें। बच्चों में इन मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की जांच जरूर करें। लेकिन अगर बच्चे में ये लक्षण दिखे तो आप सतर्क हो जाएं, क्योकि ये लक्षण बच्चों में तनाव या परेशानी को दर्शाता है।
अकेले बैठना
ऐसी स्थिति में बच्चे खुद को अन्य लोगों से अलग करके रखना शुरू कर देते हैं। अगर आप नोटिस करते हैं कि आपका बच्चा लगातार परिवार और दोस्तों से दूरी बना रहा है और अकेले रहना पसंद कर रहा है तो आप उनसे बात करने की कोशिश करें। उनके बीच विश्वास की भावना पैदा करके विश्वास स्थापित करें।
चिंता
अगर आपका बच्चा किसी भी तरह की परेशानी से जुझ रहा है और तनाव महसूस कर रहा है तो इसका मतलब वो अपनी फिलिंग्स से निपटने की कोशिश कर रहा है।
चिड़चिड़ापन
बच्चे में ज्यादा चिड़चिड़ापन या नियंत्रण से बाहर का व्यवहार इस बात की ओर संकेत करता है कि बच्चा किसी तनाव से गुजर रहा है। उस समय के दौरान, एक सीधी और शांत संचार शैली का यूज करें।
मूड स्विंग होना
बच्चे के व्यवहार में किसी भी तरह का परिवर्तन एक महत्वपूर्ण संकेत है। आप बच्चे के बातचीत में बड़ा बदलाव देख सकते हैं। वे या तो बहुत कम या बहुत ज्यादा बोलने लगते हैं। आप सोने की आदतों या खाने की आदतों में भी बदलाव देख सकते हैं।
शारीरिक बदलाव
अगर आपका बच्चा रात में सोते समय बिस्तर गीला कर रहा है, बार-बार पेट दर्द या सिरदर्द की शिकायत कर रहा है, अपना अंगूठा चूस रहा है, तो किसी पेशेवर की मदद जरूर लें।