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मांगलिक दोष, जानें कैसे ये आपके विवाहित जीवन को कर सकता है प्रभावित..

By Pooja Joshi
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मांगलिक दोष एक सामान्य दोष है जो कुंडली में पाया जाता है, जिसे ज्योतिष में बुरा माना जाता है। मार्स को संस्कृत में मंगल कहा जाता है और जब मंगल जातक की कुंडली के पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में होता है तो ज्योतिषीय स्थिति रचित होती है। इसे मंगल दोष के नाम से जाना जाता है और जिन जातकों की कुंडली में ये दोष होता है वे मांगलिक कहलाते है।

मंगल सम्मान, अहंकार, आत्म सम्मान और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है ऐसे में वे जातक जिनकी कुंडली में मंगल दोष है उनका स्वभाव आलोचनीय हो सकता है जो कि रिश्तों को बाधित कर सकता है, लेकिन ये भी माना जाता है कि मांगलिक में अग्नि तत्व यानि अत्यधिक उर्जा होती है अगर वे इसका सही इस्तेमाल करे तो।

कुंडली में मंगल दोष का आपके वैवाहिक जीवन, मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक मसलों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। अगर मांगलिक का जन्म मंगलवार को होता है तो इसका प्रभाव अमान्य रहता है। विवाह के संबंध में इसका पूर्ण प्रभाव खत्म करने के लिए, दो मांगलिकों का एक-दूसरे से विवाह उपयुक्त तरीका माना जा सकता है।

मंगल दोष के प्रभाव

मंगल दोष के प्रभाव

सबसे पहले जन्मकुंडली में मंगल ग्रह के प्लेसमेंट को समझना मंगल दोष के प्रभाव के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है। 6 में से 12 भाव जब मंगल की उपस्थिति के साथ संयुक्त होते है तो इसका मांगलिक प्रभाव बुरा होता है।

मंगल दोष लग्न में या पहले भाव में

मंगल दोष लग्न में या पहले भाव में

जिन जातकों की कुंडली में मंगल लग्न में है या पहले भाव में हो वे कभी-कभी उत्तेजित, आक्रामक और कठोर होते है। पहले भाव में मंगल की चौथी दृष्टि जातक की जिंदगी से खुशियों की कमी का कारण हो सकती है, मंगल की सातवीं दृष्टि चिंताजनक और नुकसानदेह हो सकती है क्यूंकि इससे प्रियजनों के बीच मतभेद हो सकते है। मंगल की आठवीं दृष्टि जातक के जीवनसाथी के जीवन के जोखिम का संभावित संकेत है।

मंगल दोष दूसरे भाव में

मंगल दोष दूसरे भाव में

कुंडली में दूसरा भाव समृद्धि और परिवार का सूचक है। ऐसे में दूषित मंगल जातक के अपने परिवार के साथ रिश्ते को प्रभावित करता है। ये प्रियजन के साथ अलगाव, निरंतर झगड़ों और कपल्स के बीच अशांति का कारण हो सकता है। मंगल के दूसरे भाव से कुंडली के पांचवें, आठवें और नौवें भाव पर दृष्टि ड़ालने से जातक के बच्चों पर बुरा प्रभाव ड़ालता है।

चौथे भाव में मंगल दोष

चौथे भाव में मंगल दोष

मंगल चौथे भाव से कुंडली के सातवें, दसवें और ग्यारवें पर दृष्टि डालता है। अगर मंगल इस भाव में है तो ये स्थिर समृद्धि और वितीय आवक प्रदान करता है लेकिन ये असमझौतापरक स्वभाव उत्पन्न कर वैवाहिक जीवन में मुश्किलें भी उत्पन्न करता है। हालांकि ये जातक के रिश्तेदारों पर संकट नहीं ड़ालता।

सातवें भाव में मंगल दोष

सातवें भाव में मंगल दोष

ये भाव विवाह और साझेदारी का है, सातवें भाव में मंगल दोष विवाह में नुकसान का कारण हो सकता है। इस स्थिति में जातक को खराब सेहत वाला जीवनसाथी और महिलाओं को आक्रामक स्वभाव वाला जीवनसाथी मिल सकता है।

आठवें भाव में मंगल दोष

आठवें भाव में मंगल दोष

ये शोक और जिंदगी की बुरी स्थितियों का सूचक है। इस भाव में मंगल दोष मैरिड कपल के लिए निराशाजनक जिंदगी उत्पन्न कर सकता है। इसके अलावा ये फाइनेंशियल मसलों, साथी की खराब सेहत सहित अन्य बुरे हालातों का कारण हो सकता है।

मंगल दोष बारहवें भाव में

मंगल दोष बारहवें भाव में

खुशी, यात्रा, पैसा और शांति के इस भाव में मंगल दोष के कारण प्रेमीजनों के बीच देखभाल और आपसी समझ की कमी हो सकती है। जातक अनैतिक सेक्सुअल प्रेक्टिस में लिप्त हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप साथी के दिल को ठेस पहुंच सकती है और जातक जैनेटल डिजीज यानि यौन बीमारियों से प्रभावित हो सकता है।

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English summary

Manglik Dosha Effects on Marriage

Dosha in the kundli can have a negative effect on your married life, mental health and might even lead to financial issues.
Story first published: Wednesday, September 13, 2017, 15:27 [IST]
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