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डायबिटीज़ से परेशान हैं तो जरुर करें ये 5 योगासन
प्राचीन काल से ही योग कई बीमारियों को ठीक करने के काम आता रहा है। आज भारत में तेजी के साथ फैल रही डायबिटीज़ की बीमारी भी योग दृारा ठीक की जा सकती है।
मेडिकल साइन्स ने भी इस बात की पुष्टी की है कि कुछ खास आसनों के प्रभाव से पैनक्रियाज के बीटा सेल्स तक रक्तप्रभाव बढ जाता है, कोशिकाओं को आक्सीजन ज्यादा मात्रा में मिलता है और मॄतप्राय बीटा-सेल्स मे नयी उर्जा आती है ताकि वहां से जयादा इन्सुलीन स्त्रावित हो सके।
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योग के आसनों से इन्सुलीन कि संवेदनशीलता बढ जाती है। योग को हमेशा ओम बोल कर ही शुरु करें। ध्यान एवं मत्रों के साथ पोजिटिव सोच से किया गया योगासन ज्यादा लाभकारी होगा। योग हमेशा पर्याप्त समय तक और सही ढंग से करना जरुरी है।
आज हम आपको कुछ ऐसे ही योगासन बताने जा रहे हैं, जिनको डायबिटीज़ के पेंशन्ट करें तो उन्हें जरुर लाभ होगा।
कपालभाति
अगर मधुमेह रोगी कपालभाति को नियमित रूप से करता है तो उसे काफी लाभ होता है। इसको करने के लिये जमीन पर सीधे बैठ जाए और नाक से सांस को तेजी से बाहर की ओर छोड़ें। यह करते समय पेट को भी अंदर की ओर संकुचित करें। फिर तुरंत ही नाक से सांस को अंदर खींचे और पेट को बाहर निकालें। इस क्रिया को रोजाना 50 से 500 बार करें।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
इसे करने के लिये जमीन पर आराम से बैठ जाएं। दाहिने हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छेद को बंद कर लें और नाक के बाएं छेद से 4 तक की गिनती में सांस को भरे और फिर बायीं नाक को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें। तत्पश्चात दाएं नाक से अंगूठे को हटा दें और दाएं नाक से सांस को बाहर निकालें। अब दाएं नाक से ही सांस को 4 की गिनती तक भरे और दायीं नाक को बंद करके बायीं नाक खोलकर सांस को 8 की गिनती में बाहर निकालें। इस प्राणायाम को 5 से 15 मिनट तक कर सकते है।
मंडूक आसन
पेट के लिए अत्यंत ही लाभयादयक इस आसन से अग्नयाशय सक्रिय होता है जिसके कारण डायबिटीज के रोगियों को इससे लाभ मिलता है। यह आसन उदर और हृदय के लिए भी अत्यंत लाभदायक माना गया है।
अर्ध-मत्स्येन्द्रासन
इस आसन को करने के लिये दोनों पैरों को लंबे करके चटाई पर बैठ जाइये। बायें पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी गुदाद्वार के नीचे जमाएं। पैर के तलवे को दाहिनी जंघा के साथ लगा दें। अब दाहिने पैर को घुटने से मोड़ कर खड़ा कर दें और बायें पैर की जंघा से ऊपर ले जाते हुए जंघा के पीछे जमीन के ऊपर रख दें। अब बायें हाथ को दाहिने पैर के घुटने से पार करने अर्थात घुटने के बगल में दबाते हुए बायें हाथ से दाहिये पैर का अंगूठा पकडे़। सिर को दाहिनी ओर मोडे़ जिसमें दाहिने पैर के घुटने के ऊपर बायें कंधे का दबाव ठभ्क से पडे़। अब दाहिना हाथ पीठ के पीछे से घुमा कर बायें पैर की जांघ का निम्न भाग पकड़े। सिर दाहिनी ओर इतना घुमाएं कि ठोड़ी और बांयां कन्धा एक सीधी रेखा में आ जाए। छाती बिल्कुल तनी हुई होनी चाहिये। 30 सेकेंड तक इसी पोजिशन में रहने के बाद रिलैक्स हो जाएं।
सर्वांगासन
यह आसन मूल रूप से थायराइड ग्रंथि के संचालन को सही करने के लिए जाना जाता है। ये ग्रंथियां पूरे शरीर के सही संचालन के लिए ज़िम्मेदार होती हैं जिसमें पाचनतंत्र, नर्वस सिस्टम, उत्पादन सिस्टम, चयापाचय संचालन और श्वांस तंत्र शामिल हैं।