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क्या आप रात को सोते वक्त अपने दांत पीसते हैं?
दांत पीसना या ब्रूसिज्म खर्राटों की ही तरह है। आमतौर पर यह सोते हुए होती है, और ज्यादातर मौकों पर आप इससे अनजान रहते हैं। लेकिन, आपकी यह आदत आपके साथी की नींद खराब कर सकीत है। और शायद वही आपको सबसे पहले आपकी इस आदत के बारे में बताये।
अगर
आप
सोचते
हैं
कि
ब्रूकिज्म
एक
दौर
है,
जो
कुछ
समय
बाद
अपने
आप
रुक
जाएगा,
तो
आप
गलत
हैं।
खर्राटों
की
ही
तरह
आपको
इससे
बाहर
आने
के
लिए
मदद
की
जरूरत
होगी।
दांत
पीसना
दांतों
की
समस्या
का
उत्प्रेरक
ही
है।
दांत
पीसने
से
लेकर
पिसाई
करने
तक
हम
जानेंगे
कि
आखिर
कौन
सी
आदतें
आपके
दांतों
को
खराब
कर
सकती
हैं।
बच्चों में ब्रूकिज्म : बच्चे दो बार अपने दांत पीसते हैं- पहली बार वे छोटे होते हैं और दूसरी बार जब उनके दांत निकलने लगते हैं। लेकिन, बच्चों में इस आदत के स्थायी प्रभाव नहीं होते, केवल सिरदर्द, जबड़ों में दर्द और दांत बाहर निकलने के। चमकते सफेद दांतों के लिए क्या करें और क्या न करें
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं उनके स्थायी दांत निकल आते हैं। कुछ बच्चों में दांत पीसने की यह आदत लगातार चलती रहती है। हालांकि इसके कारणों के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन माना जाता है कि ऊपर और नीचे के दांतों में असामान्य दांतों के साथ यह समस्या होती है। इसके लिए एलर्जी, एंडोक्रिन डिस्ऑर्डर और तनाव को भी कारण माना जा सकता है।
ब्रूकिज्म
के
लक्षण
दांतों
से
पिसाई,
झंझरी,
पीसना
इस
बीमारी
के
स्थायी
लक्षण
हैं।
ये
सब
तेज
आवाज
करते
हैं।
अगर
आप
अपने
दांतों
को
पीसते
हैं,
तो
सुबह
उठते
समय
आपको
तेज
सिरदर्द
और
जबड़ों
में
सूजन
की
शिकायत
हो
सकती
है।
कारण
दांतों
को
पीसने
को
चिकित्सीय
भाषा
में
ब्रूकिज्म
कहा
जाता
है।
और
इसके
कारणों
को
लेकर
बहस
होती
रहती
है।
तनाव
इसका
अहम
कारण
है।
लेकिन,
भंग
दांत
या
दांत
न
होना
भी
इसके
पीछे
की
वजह
माना
जा
सकता
है।
इलाज
दंत
चिकित्सक
आपको
टीथ-गार्ड
दे
सकता
है।
कुछ
दुर्लभ
मामलों
में
आपको
रूट
कैनाल
कराने
की
जरूरत
भी
पड़
सकती
है।
इसके
साथ
ही
क्राउन,
ब्रिज,
और
दांत
इम्प्लांट
करना
या
पूरी
तरह
से
नया
भी
लगवाना
पड़
सकता
है।
इसलिए,
अगर
आपका
साथी
आपसे
कहे
कि
आप
नियमित
रूप
से
दांतों
खटखटाते
हैं
या
दांत
पीसते
हैं,
तो
उसकी
बातों
को
अनसुना
न
करें।
इस
बीमारी
के
इलाज
के
लिए
फौरन
अपने
दंत
चिकित्सक
से
संपर्क
करें।
क्या
न
करें
सबसे
पहले
तनाव
से
दूर
रहें।
इसके
साथ
ही
ध्यान
और
व्यायाम
करें।
इसके
बाद
अपना
लाइफस्टाइल
बदलें,
जिसमें
कॉफी,
कैफीन
और
अल्कोहल
का
सेवन
न
करना।
च्युइंगम
अथवा
भोजन
के
अलावा
अन्य
चीज
चबाने
से
बचें।
इसके
साथ
ही
अपने
खानपान
संबंधी
आदतों
में
भी
सकारात्मक
बदलाव
करें।