Just In
- 31 min ago IPL 2024: कौन हैं क्रिकेटर केशव महाराज की स्टाइलिश वाइफ लेरिशा, इंडिया से हैं स्पेशल कनेक्शन
- 2 hrs ago 'हीट वेव' से बचाने के लिए चुनाव आयोग ने जारी की एडवाइजरी, सेफ रहने के लिए हाइड्रेड रहें और ये काम न करें
- 4 hrs ago तपती गर्मी में भी नहीं सूखेगा तुलसी का पौधा, बस अपनाएं ये छोटे-छोटे टिप्स
- 5 hrs ago Crispy Chicken Strips : इफ्तार के लिए इस तरह बनाएं टेस्टी-टेस्टी क्रिस्पी चिकन स्ट्रिप्स, पढ़ें पूरी रेसिपी
Don't Miss
- News 'मुख्तार अंसारी को हर कीमत पर बचाना चाहते थे मुलायम सिंह, मुझे रिजाइन देने के लिए..', पूर्व DSP का बड़ा खुलासा
- Movies जेल से बाहर आने के बाद Munawar Faruqui ने कर ली शादी? चोरी-छिपे अपने खास दोस्तों को दी वलीमे की पार्टी!
- Technology Samsung Galaxy M55 5G की भारत में होने जा रही एंट्री, लॉन्च से पहले कीमत लीक, यहां जानें सबकुछ
- Travel एडवेंचर के शौकिनों के लिए खुशखबरी, 5 महीने बाद शुरू होगी तीस्ता रिवर राफ्टिंग, Details
- Finance PPF vs VPF में कौनसी स्कीम है जबरदस्त, इनवेस्टमेंट के लिए कौन सा विकल्प हो सकता है बेहतर
- Education एनआईओएस कक्षा 10वीं, 12वीं हॉल टिकट 2024 हुए जारी, जानें कैसे करें डाउनलोड
- Automobiles Tesla को टक्कर देने के लिए Xiaomi ने लॉन्च की पहली इलेक्ट्रिक कार, सिंगल चार्ज में मिलेगी 810KM की रेंज
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
कॉन्टेक्ट लेंस से भी हो सकता है फोटोफोबियाः डॉ सुधीर श्रीवास्तव
लखनऊ , फोटोफोबिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें तेज रोशनी से आंखों को हानि पहुंचती है। यह माईग्रेन का एक लक्षण भी है, कई बार माईग्रेन का पता लगाने के लिए फोटोफोबिया की जांच भी करानी चाहिए। इसके अलावा तीव्र आईरिटिस या युविटिस, आंखों का जलना, कॉर्निया में अल्सर व घर्षण, काॅन्टेक्ट लेंस के अत्याधिक उपयोग या गलत फिट किये हुए लेंस लगाना, आंखों की बीमारी, चोट, संक्रमण, दिमागी बुखार, माइग्रेन आदि इस बीमारी के कुछ कारण है। कुछ लोग इस बीमारी के कारण विकलांग तक हो जाते है।
सन आई अस्पताल के डॉ. सुधीर श्रीवास्तव के अनुसार, बीमारी के शुरूआती मामलों में मरीज़ तेज रोशनी में भैंगेपन का शिकार होते है। बीमारी के गंभीर होने पर किसी प्रकार की तेज़ रोशनी में जाने पर मरीज अपनी आंखों में दर्द महसूस करता है। प्रकाश अगर नीले रंग का हो तो यह आंखो को और भी ज्यादा परेशान कर सकता है। इसके अलावा तीव्र आईरिटिस या युविटिस, आंखों का जलना, काॅर्निया में अल्सर व घर्षण, काॅन्टेक्ट लेंस के अत्याधिक उपयोग या गलत फिट किये हुए लेंस लगाना, संक्रमण, नेत्र प्रशिक्षण के दौरान फैलाव, दिमागी बुखार, माइग्रेन, आंखों की बीमारी- सूखापन, एपिसक्लिरेटिस, ग्लूकोमा, आदि इस बीमारी के कुछ कारण है। लेकिन आमतौर पर यह पाया गया है कि 80 प्रतिशत लोग जो माइग्रेन से पीडि़त है, उनमें फोटोफोबिया की संभावना अधिक हो जाती है। कम्प्यूटर यूजर्स के लिए आंखों की देखभाल के टिप्स
इसके उपचार पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. सुधीर कहते है कि काले चश्में के प्रयोग के साथ रोशनी से होने वाले कष्ट को कम करके आंखों के दर्द से बचा जा सकता है। सबसे पहले, बीमारी के मुख्य कारण का उपचार महत्वपूर्ण है। अगर आप ड्राई आई का शिकार है तो पहले इस रोग के लक्षण का इलाज कराएं। दूसरा, अचानक से रौशनी में मत आएं। कोशिश करें अपने वातावरण में प्रकाश की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाएं, पर्याप्त नींद ले और किसी भी तरह का डिप्रेशन या चिंता का इलाज आवश्य करें अन्यथा यह बामारी को और बदतर बना देगा। इसलिए इस बीमारी में डॉ0 की सलाह विशेष रूप से आवश्यक है ताकि बामारी के कारणों को दूर किया जा सके।
कुछ कदम उठा के प्रकाश संवेदनशीलता से बचा जा सकता है। डॉ. सुधीर उन तरीकों का विवरण करते है, जिनसे प्रकाश संवेदनशीलता से बचा जा सकता है। ‘‘हमें मरीज़ को उन चीजों से सावधान रखना चाहिए जो की माइग्रेन का कारण बन सकती है। कन्जक्टिवाइटिस से बचने के लिए आंखों को छूने से बचें, तथा अपने आंखों के मेकअप की सामग्री को लोगों से शेयर न करें। संक्रमित लोगों के संपर्क से बचें। बैक्टीरियल मैनिजाइटिस से बचने के लिए अपनी शरीर की प्रतिरक्षण क्षमता को बढ़ाएं। दिन में कई बार हाथ धो कर, इन्सेफलाइटिस वैक्सिनेशन से भी बचा सकता है।
अधिक
जानकारी
हेतु
संपर्क
करें।
विशाल
मिश्र
कैवल्य
क्म्युनिकेशन
8756000222