Just In
- 2 hrs ago प्रेगनेंसी के First Trimester में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? कैसी होनी चाहिए हेल्दी डाइट
- 3 hrs ago OMG! भारत के इस गांव में प्रेगनेंट होने आती हैं विदेशी महिलाएं, आखिर यहां के मर्दों में क्या हैं खास बात
- 6 hrs ago Curd Benefits For Skin: रोजाना चेहरे पर दही मलने से पिग्मेंटेशन और मुंहासे की हो जाएगी छुट्टी, खिल उठेगा चेहरा
- 8 hrs ago IPL 2024: कौन हैं क्रिकेटर केशव महाराज की स्टाइलिश वाइफ लेरिशा, इंडिया से हैं स्पेशल कनेक्शन
Don't Miss
- News JDU नेता की बेटी को LJP का टिकट, कौन है शांभवी चौधरी जिसे समस्तीपुर से लॉन्च करेंगे चिराग पासवान?
- Movies पत्नी को तलाक देकर करण जौहर के घर में किराए पर गर्लफ्रेंड के साथ लिव इन में रह रहा है ये एक्टर! मचा बवाल
- Travel अप्रैल की गर्मी में सैर करें कश्मीर की ठंडी वादियों में, IRCTC का 'कश्मीर-धरती पर स्वर्ग' पैकेज
- Finance Haryana News: हरियाणा में रबी फसलों की खरीद की सभी तैयारियां पूरी, 1 अप्रैल से 417 केंद्रों पर होगी खरीद
- Education Job Alert: बैंक ऑफ इंडिया ने निकाली 143 ऑफिसर पदों पर भर्ती 2024, देखें चयन प्रक्रिया
- Technology अप्रैल में OnePlus, Samsung, Motorola समेत इन ब्रांड्स के Smartphones होंगे लॉन्च, जानिए कीमत व स्पेक्स
- Automobiles Tesla को टक्कर देने के लिए Xiaomi ने लॉन्च की पहली इलेक्ट्रिक कार, सिंगल चार्ज में मिलेगी 810KM की रेंज
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
Anxiety से पीड़ित व्यक्ति अपने दोस्तों को बताना चाहता है ये 9 बातें
इसे पर्सनली ना लें। क्रोध और निराशा का उद्देश्य आपको परेशान करना नहीं बल्कि खुद के लिए है। चिंता का कोई विशेष समय नहीं है। यह कभी भी हो सकती है और इसका पहले से आभास नहीं होता है।
सब गडबड हो गया, अब क्या होगा, कुछ समझ नहीं आ रहा, क्या करें, हर बार मेरे ही साथ ऐसा क्यों होता है? ज्यादातर लोगों के मन में कभी न कभी ऐसी बातें चल रही होती हैं। जीवन की कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं, जब मजबूत दिल वाला इंसान भी चिंतित और भयभीत हो जाता है।
मुश्किल हालात में थोडी देर के लिए ऐसा होना स्वाभाविक है, लेकिन जब किसी व्यक्ति को हमेशा चिंता या डर में जीने की आदत पड़ जाए तो आगे चलकर यही मनोदशा एंग्जायटी डिसॉर्डर जैसी गंभीर समस्या में बदल सकती है।
जब ऐसी नकारात्मक भावनाओं पर व्यक्ति का कोई नियंत्रण न हो और तमाम कोशिशों के बावजूद छह महीने से ज्यादा लंबे समय तक इसके लक्षण दिखाई दें तो यह समस्या एंग्जायटी डिसॉर्डर का रूप धारण कर सकती है।
हमने इस रोग से पीड़ित कई लोगों से बात की है और उनसे जानने की कोशिश की है कि उनके दोस्त इस विकार के बारे में क्या जानना चाहते हैं।
1)
इसे पर्सनली ना लें। क्रोध और निराशा का उद्देश्य आपको परेशान करना नहीं बल्कि खुद के लिए है।
2)
चिंता का कोई विशेष समय नहीं है। यह कभी भी हो सकती है और इसका पहले से आभास नहीं होता है।
3)
वे योजना और कंट्रोल करने की कोशिश करेंगे। क्योंकि तैयार रहना चिंता को कम करने का एकमात्र तरीका है।
4)
चिंता सिर्फ एक मानसिक बीमारी नहीं है, यह शारीरिक भी हो सकती है। पेट में ऐंठन, सिरदर्द, और चक्कर आना कुछ शारीरिक लक्षण हैं।
5)
प्लीज फाॅर्स ना करें। इसकी कोई दवा नहीं है। इसे अपने आप सही होने दें। स्थिति बिगड़ने पर जैसा चल रहा है, चलने दें।
6)
कृपया पहला कदम बढ़ाएं। विकार से पीड़ित ज्यादातर लोग दोस्तों या परिवार तक नहीं पहुंच सकते क्योंकि वे स्वयं को बड़ा बोझ समझते हैं।
7)
अक्सर एक व्यक्ति की चिंता दूसरे से भिन्न होती है। इसलिए उस व्यक्ति से बात करें और उसके साथ संघर्ष करें और व्यक्तिगत स्तर पर चिंता से निपटने के तरीके सीखें। कुछ लोगों को बस स्थान की आवश्यकता होती है।
8)
कृपया न्याय न करें। कृपया अनुकूली हो। अगर ऐसा नहीं है, तो किसी की तुलना में अलग-अलग दिखाई देने वाले किसी व्यक्ति पर निर्णय न दें। आप नहीं जानते कि वे वास्तव में किस स्थिति से गुजर रहे हैं।
9)
वे यह नहीं कहते कि वे आपके प्यार और समर्थन की सराहना करते हैं। टेक्स्ट मैसेज, लेट नाईट कन्वर्सेशन आदि के बारे में भी।