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क्या दिन में भी सोना ज़रूरी है? जानिये कब और कितने घंटे सोना चाहिए
कुछ लोगों का मानना है कि पूरे 24 घंटों में सिर्फ एक ही बार रात में लम्बी नींद लेनी चाहिए और फिर दोबारा नहीं सोना चाहिए। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि सोने का कौन सा पैटर्न सही है।
कई लोग दोपहर में कुछ देर कि झपकी लेना बहुत पसंद करते हैं और उनका मानना है कि इससे वे बिल्कुल फ्रेश हो जाते हैं और एनर्जी से भरा हुआ महसूस करते हैं।
वहीँ कुछ लोगों का मानना है कि पूरे 24 घंटों में सिर्फ एक ही बार रात में लम्बी नींद लेनी चाहिए और फिर दोबारा नहीं सोना चाहिए। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि सोने का कौन सा पैटर्न सही है।
क्या
आप
गलत
तरीके
से
सो
रहे
हैं?
:
दुनिया
के
अलग
अलग
देशों
में
सोने
का
तरीका
काफी
अलग
है
जैसे
की
कई
देशों
में
लोग
दिन
में
दो
बार
सोना
ज्यादा
पसंद
करते
हैं
वहीँ
कुछ
देशों
में
रात
में
6
घंटे
और
दिन
में
2
घंटा
सोना
अच्छा
माना
जाता
है।
कई
पुरानी
सभ्यताओं
में
ऐसा
उल्लेख
है
कि
वे
रात
और
दिन
दोनों
में
चार-चार
घंटे
सोया
करते
थे।
हाल ही में हुए कुछ शोधों में इस बात की पुष्टि हुई है कि दो बार सोने से इंसान की ज्ञान संबंधी क्षमताओं में बढ़ोतरी होती है साथ ही इससे फोकस करने की क्षमता भी बढती है। अगर आप का दिन भर का शेड्यूल काफी तनाव भरा रहता है तो दोपहर में एक घंटे की नींद आपके तनाव को काफी कम कर देती है जिससे दिन के बाकि समय में आप और सजगता के साथ काम करते हैं।
वर्तमान
युग
में
लोग
ठीक
से
ना
सो
पाने
की
बीमारियों
से
पीड़ित
रहते
हैं
और
सोने
के
लिए
दवाइयों
का
इस्तेमाल
करते
हैं।
ऐसे
लोगों
को
अपनी
नींद
पर
विशेष
ध्यान
देना
चाहिए
और
सबसे
पहले
नींद
का
रूटीन
निर्धारित
करना
चाहिए
उसके
बाद
रोजाना
कई
दिनों
तक
उस
टाइम
पर
सोने
से
यह
उनकी
आदत
में
शामिल
हो
जायेगा।
दोपहर
में
लंच
के
बाद
नींद
आना
:
कई
वैज्ञानिकों
का
मानना
है
कि
नींद
का
जो
चक्र
आज
की
जनरेशन
फॉलो
करती
है
वो
इलेक्ट्रिसिटी
के
खोज
के
कारण
ऐसी
है।
जब
बिजली
की
खोज
नहीं
हुई
थी
उस
समय
हमारे
पूर्वज
सूरज
की
रोशनी
के
हिसाब
से
ही
सोने
और
जागने
का
टाइम
फिक्स
करते
थे।
इसीलिए
उस
समय
लोग
शाम
को
8:30
बजे
तक
सो
जाते
थे
और
सुबह
भोर
में
3
बजे
के
आस
पास
उठकर
पूजा
पाठ
करने
लगते
थे।
सूर्योदय
से
पहले
ही
उठ
जाना
उस
समय
काफी
प्रचलन
में
था।
आज के समय में हम प्रकश के लिए सिर्फ सूरज पर निर्भर नहीं हैं बल्कि इलेक्ट्रिसिटी के कारण 24 घंटे प्रकाश मौजूद है। इसलिए लोग अब अपनी सहूलियत के हिसाब से सोते हैं। दोपहर में लंच के बाद नींद आना एक आम बात है और उस समय थोड़ी देर आराम करना भी चाहिए। उससे खाना भी ठीक तरीके से पच जाता है और कुछ ही देर में आप फिर से उर्जा से भर जाते हैं।
दिन में दो बार सोना : कई अध्ययनों में इस बात की पुष्टि हुई की दो बार सोने से हमारा बॉडी क्लॉक सही तरीके से काम करता है और इससे हमें कई तरह के फायदे मिलते हैं। हालांकि वैज्ञानिको का ये भी कहना है कि अगर आप शुरुवात से ही सिर्फ रात में सोते रहे हैं तो अब अपना स्लीपिंग पैटर्न ना बदलें। बस रात में ही भरपूर 8 घंटे की नींद लें क्योंकि नींद का चक्र बिगड़ने से आपका पूरा रूटीन खराब हो जाता है साथ ही इसका बुरा असर आपके पाचन तंत्र पर भी पड़ता है।
प्रेगनेंसी और डिलीवरी के कारण महिलाओं का स्लीपिंग रूटीन पूरी तरह बिगड़ जाता है इसी वजह से वे डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं। इसलिए जिस स्लीपिंग रूटीन को आप अभी फॉलो कर रहे हैं उसे ही फॉलो करें उसमें छेडछाड न करें। अगर संभव हो तो दिन में भी एक डेढ़ घंटे की नींद ले और रात में कम से कम 8 घंटे की भरपूर नींद ज़रूर लें।