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एंटीबायोटिक्स दवाइयां भी अब हो रही हैं बेअसर, इलाज में बढ़ जायेंगी मुश्किलें
आप जब भी बीमार पड़ते हैं या किसी तरह के इन्फेक्शन के शिकार होते हैं तो ऐसे में डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक दवाइयां ज़रूर देते हैं। ये दवाइयां किसी भी तरह के संक्रमण को तुरंत रोकने में मदद करती हैं।
इसकी मात्रा आपकी उम्र और रोग के हिसाब से निर्धारित होती है और जितना गंभीर रोग होगा उसके लिए उतना ही पावरफुल एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता है।
अलग
उम्र
के
लोगों
को
इसकी
अलग
मात्रा
बीमारियों
के
इलाज
के
लिए
प्रयोग
में
लाई
जा
रहीं
एंटीबायोटिक
दवाएं
अपना
असर
खोती
जा
रहीं
हैं।
अब ये बैक्टीरिया में बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता (एंटी माइक्रोऑर्गेनिज्म रेसिस्टेंस) से मुकाबला करने में सक्षम नहीं हैं। इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्लूएचओ) ने गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि वर्तमान में जो एंटीबायोटिक दवाएं क्लीनिकल ट्रायल में हैं, वे पहले से मौजूद दवाओं का संशोधित रूप भर हैं।
ये थोड़े समय के लिए ही कारगर हैं।’ ज्ञात हो कि एंटी बायोटिक्स के बार-बार सेवन से बीमारियों के बैक्टीरिया इतने ताकतवर हो जाते हैं कि उनपर इन एंटीबायोटिक दवाइयों का कोई असर ही नहीं होता है।
डब्ल्यूएचओ ने यह भी साफ किया है कि अभी तक फिलहाल कोई दूसरा विकल्प भी मौजूद नहीं है। यह हम सबके लिए बहुत बड़ा खतरा है। दवा प्रतिरोधक टीबी (तपेदिक) से ही हर साल विश्व में ढाई लाख लोगों की मौत हो जाती है। वहीं कुछ ओरल एंटीबायोटिक्स ही बन रहे हैं जो संक्रमण का इलाज कर सकते हैं।
इस स्वास्थ्य समस्या पर बोलते हुए डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेडरोस ए. गैब्रिसस ने कहा कि बैक्टीरिया में एंटी बायोटिक दवाओं के प्रति बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता दुनिया भर के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आपातकाल की स्थिति है।
इससे आधुनिक दवाओं का विकास भी प्रभावित होगा। टीबी सहित अन्य एंटीबायोटिक प्रतिरोधक संक्रमणों से निपटने के लिए शोध पर ज्यादा से ज्यादा खर्च किए जाने की आवश्यकता है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो हम दोबारा उस दौर में लौट जाएंगे जब छोटे से ऑपरेशन करना भी काफी मुश्किल भरा काम होता था।
डब्ल्यूएचओ ने अपनी सूची में टीबी सहित 12 बीमारियों को शामिल किया है जिन्होंने एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। इनमें निमोनिया और मूत्राशय से संबंधित बीमारियों के रोगाणु भी हैं। गौरतलब है कि 51 नई एंटीबायोटिक दवाओं में केवल आठ को डब्ल्यूएचओ ने विकसित उपचार की सूची में शामिल किया है।
डब्लूएचओ की ही अधिकारी सुजैन हिल ने कहा कि शोधकर्ताओं को जल्द ही अतिसंक्रमणकारी बीमारियों के लिए असरकारक दवाओं के निर्माण पर ध्यान दोना चाहिए क्योंकि हमारे पास इससे बचने का कोई दूसरा उपाय नहीं है।