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तेज चिल्लाने और लगातार भाषण देने से नवजोत सिंह सिद्धू को आवाज जाने का खतरा, आप भी रखें ख्याल
पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के 17 दिन में 70 रैलियां में लगातार भाषण देने की वजह से उनके वोकल कॉर्ड को नुकसान पहुंचा है। जिसकी वजह से उनकी आवाज खोने की कगार पर पहुंच गए।
डॉक्टरों के मुताबिक, सिद्धू को लिरिंगजाइटिस (वोकल कॉर्ड को काफी नुकसान होना) बीमारी हुई है। उन्हें तीन से पांच दिन तक पूरा आराम करने की सलाह दी गई है। दरअसल लगातार चिल्लाने से और तेज आवाज में चिल्लाकर बोलने से आवाज बदलने लगती है और वोकल कॉर्ड में रक्तस्त्राव और सूजन की वजह से आवाज जाने का डर रहता है।
वैसे भी सिद्धू अपने शेरों शायरी के अंदाज और जोशीले भाषणों के वजह से चर्चा में रहते हैं। आइए जानते है कि किन कारणों के वजह से वोकल कॉर्ड को नुकसान पहुंचता है और कैसे आवाज जाने की समस्या से बचा जा सकता है।
लेरिन्जाइटिस कहते है इसे
डॉक्टरों के मुताबिक, जब शरीर उत्साह से भरा हो और दिमाग लगातार तेज बोलने के लिए प्रेरित कर रहा हो लेकिन गला आपका साथ न दे तो इसे लेरिन्जाइटिस की बीमारी कहते हैं। लगातार बोलने और चिल्लाने के वजि से वोकल कॉडर्स में सूजन आ जाती है या संक्रमण हो जाता है। इस स्थिति को लेरिन्जाइटिस कहा जाता है।
तेज चिल्लाने से हो सकती है मुसीबत
अक्सर तेज चिल्लाने से वोकल कॉर्ड में रक्तस्त्राव होने लगती है। ब्लीडिंग होने पर वोकल कॉर्ड में गांठ या मांस का थक्का बन जाता है, जिसकी वजह से आवाज बदलने लगती है। आपको जानकर हैरानी होगी आवाज के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ और मिमिक्री करने से भी वोकल कॉर्ड को नुकसान पहुंचता है।
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आवाज बदलने से
बदली हुई आवाज यानी मिमिक्री को दिनचर्या में शामिल करने से वोकल नॉड्यूल बनने की संभावना अधिक रहती है। बोलने के तार में गांठ या मांस का थक्का बनने लगता है जिसकी वजह से आवाज अपने वास्तविक प्रारूप से बदलकर और भी पतली हो जाती है।
दुघर्टना होने पर
अक्सर देखा गया है कि कई घटनाओं में किसी इंसान की आवाज चली जाती है, इस स्थिति को वोकल कॉर्ड ट्रॉमा के नाम से जाना जाता है। ऐसी स्थिति में एरिटोनायड डिस्लोकेशन हो जाता है यानी वोकल कॉर्ड और स्वर तंत्रिका के आसपास की कोशिकाओं पर बुरा असर पड़ता है।
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ब्लड प्रेशर बढ़ने से भी
कई गंभीर परिस्थितियों में एडिमा जिसे सूजन के नाम से जाना जाता है। ऐसा होने पर भी आवाज बिगड़ सकती है। चोट अधिक हो या ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाए तो वोकल कॉर्ड पैरालिसिस का भी खतरा रहता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए खुद पर नियंत्रण बहुत जरूरी है।
गले के इफेंक्शन होने पर न चिलाएं
गले में इंफेक्शन, टीबी, चेस्ट इंफेक्शन, फंगल इंफेक्शन और वोकल कॉर्ड (सुर के तार) में ट्यूमर होने पर डॉक्टरी सलाह जरूरी होती है। तेज चिल्लाने से बचना चाहिए क्योंकि ब्लीडिंग होने पर परेशानी हमेशा के लिए बढ़ सकती है। गले में बार-बार खराश हो रही है तो भी डॉक्टरों की सलाह लेनी चाहिए क्योंकि बार-बार खराश होने से वोकल कॉर्ड में तनाव आने से नुकसान होता है।
इन लोगों को रहना चाहिए सर्तक
कुछ लोगों का पेशा होता है कि उन्हें जोर जोर से चिल्लाकर बात करनी होती है जैसे टीचर, सिंगर, राजनेता, मोटिवेशनल स्पीकर, इसके अलावा जिन लोगों को सामान्य तौर पर भी तेज बोलने की आदत है, उन्हें थोड़ा सतर्क रहना चाहिए। क्योंकि बहुत ज्यादा बोलने से वोकल कॉर्ड की कोशिकाओं को नुकसान होता है और आवाज खराब होने का खतरा अधिक रहता है।
इन बातों का रखें ध्यान
- भीड़भाड़ वाली जगहों पर बात करने से बचना चाहिए। ऐसा अक्सर देखा जाता है कि बहुत अधिक शोर-शराबे वाली जगह पर लोग तेज बोलते हैं।
- तेज बोलने की वजह से वोकल कॉर्ड बहुत तेजी से फंक्शन करता है और सही समय पर वोकल कॉर्ड तक ऑक्सीजन न पहुंचने से नुकसान होता है। इसलिए धीरे-धीरे बात करें और आराम से बात करें।
- बात करते वक्त जबड़े को बहुत आगे-पीछे नहीं खींचे क्योंकि इससे भी व्यक्ति अपनी वास्तविक आवाज को खो सकता है और बनावटी आवाज को बोलने के लिए मजबूर हो जाता है।
- बनावटी आवाज या मिमिक्री करने से बचें क्योंकि इससे वोकल कॉर्ड पर असर पड़ता है और आवाज खोने का डर रहता है।
स्पीच थैरेपी से आ सकती है आवाज
अगर किन्हीं कारणों से वोकल कॉर्ड को नुकसान पहुंचा है और आपको बोलने में दिक्कत आ रही है तो ऐसे मामलों में पीड़ित को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के साथ स्पीच थेरेपी दी जाती है, जिससे उसकी आवाज वापस आ सकती है। अचानक किसी की आवाज चली गई है तो दो हफ्ते से छह महीने की थेरेपी में उसकी गई हुई आवाज को वापस लाया जा सकता है।