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आईआईटी स्टूडेंट्स ने बनाया 'पी डिवाइस', बिना डर के महिलाएं कर पाएंगी पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल
शहरों और हाईवे पर बने सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति किसी से नहीं छिपी है। कई बार इन पब्लिक टॉयलेट में न तो पानी की व्यवस्था होती है न ही हैंडवॉश के लिए कोई लिक्विड या साबुन। सफाई के अभाव में सार्वजानिक शौचालयों के दस कदम दूरी से ही गंदी बदबू आनी शुरु हो जाती है। कई स्टडी में ये बात सामने आ चुकी है कि समुचित तरीके से सफाई नहीं होने के वजह से गंदे शौचालयों का उपयोग करना किसी स्वास्थ्य के खतरे से कम नहीं है। यही वजह है कि ट्रैवल करते समय इमरजेंसी में महिलाएं पब्लिक टॉयलेट यूज करना अवॉइड ही करती है।
महिलाओं को शौचालयों से होने वाले इंफेक्शन से बचाने के लिए ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दिल्ली Indian Institute of Technology, (आईआईटी -डी) Delhi (IIT-D) के दो स्टूडेंट्स ने एक ऐसे डिवाइस का अविष्कार किया है जो कि महिलाओं को सार्वजानिक स्थलों में सुरक्षित तरीके से पेशाब करने में मदद करेंगा। सैनफी नाम से बनाया गया ये उपकरण, इसे एक बार यूज करने के बाद फेंक सकते हैं। ये न सिर्फ बहुत सस्ता है बल्कि ईकोफ्रैंडली भी है। आइए जानते है इस उपकरण के बारे में।
आईआईटी-डी के टेक्सटाइल इंजिनियरिंग के थर्ड ईयर स्टूडेंट्स हैरी शेरावत और अर्चित अग्रवाल ने इस उपकरण का अविष्कार किया है। उन्होंने बताया कि वो हमेशा इस चीज को नोटिस करते थे कि उनके साथ पढ़ने वाली सारी फीमेल फ्रैंड और क्लासमेट को गंदे टॉयलेट की वजह से परेशानी झेलनी पड़ती थी। कई बार तो ट्रेवलिंग के दौरान वो गंदे सार्वजानिक शोचालयों का उपयोग करने से बचती थी, चाहे उन्हें कितनी देर टॉयलेट झेलना न पड़ जाएं।
देशभर के पब्लिक टॉयलेट पर किया सर्वे
दोनों स्टूडेंट्स ने बताया कि इस उपकरण के अविष्कार से पहले उन्होंने देश के कई सार्वजानिक शोचालायों का जायजा किया। इसके बाद वो इस नतीजे पर पहुंचे कि उनमें से ज्यादात्तर टॉयलेट बहुत ही गंदे और सुविधाओ के अभाव से दुगर्ति का शिकार हो रहे थे। इसके अलावा वो इस नतीजे पर भी पहुंचे कि ज्यादात्तर महिलाएं गंदे सार्वजानिक शोचालयों के इस्तेमाल की वजह से यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) यानी मूत्र मार्ग संक्रमण से गुजरना पड़ता है।
छह महीनें की मेहनत के बाद
इस रिसर्च के बाद छह महीनें पहले ही दोनों स्टूडेंट इस 'सैनफी' ब्रांड के इस उपकरण को बनाने में जुट गए। अपनी महिला साथियों के अनुभवों और ड्राइंग की मदद से उपकरण के डिजाइन बनाना शुरु किया। क्योंकि इन दोनों स्टूडेंट्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस उपकरण का डिजाइन था। वो एक ऐसा डिवाइस बनाना चाहते थे जिससे महिलाएं आसानी से इस्तेमाल कर सकें। इसके लिए उन्होंने अर्गोनॉमिक्स विभाग के प्रोफेसर से भी मदद मांगी। जिनकी मदद से दोनों स्टूडेंट्स ने एक डिजाइन बनाने में कामयाब हो सकें। इसके बाद जब ये डिवाइस बनकर तैयार हो गया तो उन्होंने अपनी फीमेल फ्रैंड्स से इसका इस्तेमाल करके इसके बारे में फीडबैक देने को कहा ताकि वो उनकी सुविधा के अनुसार इसमें बदलाव ला सकें।
बायोग्रेडिबल और सस्ता उपकरण
सेनफी की खास बात ये है कि यह टॉयलेट सीटों के साथ शरीर के संपर्क में आने से बचाता है। इसे पर्स में डालकर आप आराम से कहीं भी ले जा सकते हैं। सबसे बड़ी बात की इसके इस्तेमाल के बाद आप आसानी से इसका निस्तारण कर सकते हैं।
महिलाओं के कम्फर्ट के अनुसार बनाया डिवाइस
दोनों ही स्टूडेंट ने इस उपकरण के कई फायदों के बारे में बताते हुए कहा कि ये डिवाइस देखने में बिल्कुल कार्डबोर्ड की तरह दिखता हैं। इस उपकरण के डिजाइन को इस तरह बनाया गया है कि यूरिन के छड़काव को रोकने के लिए बेहतर पकड़ के लिए अंगूठे की गिप्र से बनाया गया है और इसका आकार ऐसा है कि मासिक धर्म के दौरान भी इसका उपयोग करना सुविधाजनक होता है। सैनफे को बनाने में बायोडिग्रेडेबल पेपर का उपयोग किया गया है।
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सिर्फ 10 रुपए में फार्मेसी में उपलब्ध
दोनों ही स्टूडेंट्स ने बताया कि इस उपकरण की कीमत मात्र 10 रुपये है और एम्स की फार्मेसियों में ये उपलब्ध है, इसके अलावा अपोलो अस्पताल में भी अब इनकी बिक्री शुरु हो चुकी है। इसके अलावा अब वो इस उपकरण के पेटेंट का इंतजार कर रहे हैं। जिसके लिए दोनों ने मई 2018 में ही आवेदन कर दिया था।