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बच्चों में एलर्जी और अपेंडिसाइटिस के बीच क्या है संबंध
अपेंडिसाइटिस एक गंभीर बीमारी है जिसमें अपेंडिक्स सूज जाता है और उसमें पस पड़ जाती है और बहुत दर्द होता है। ये बहुत गंभीर बीमारी होती है। यहां तक कि पेट दर्द का ये प्रमुख कारण होता है। एक स्टडी में बताया गया कि जिन बच्चों को बचपन में एलर्जी हुई हो तो उनमें अपेंडिसाइटिस का खतरा कम रहता है।
ये बहुत भ्रामक सुनाई देता है। अपेंडिसाइटिस और एलर्जी के बीच में क्या संबंध है ? स्वीडन की लुंद यूनिवर्सिटी द्वारा एक स्टडी की गई जिसमें अपेंडिसाइटिस और एलर्जी के बीच संबंध के बारे में पता लगाया गया।
अपेंडिसाइटिस से कई लोग पीडित हैं और इस समय कई बच्चे और युवा गंभीर अपेंडिसाइटिस से ग्रस्त हैं। एक तिहाई से भी ज्यादा बच्चे गंभीर अपेंडिसाइटिस से पीडित हैं ओर इसकी वजह से उन्हें कई दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता है और सर्जरी करवानी पड़ती है।
एक स्टडी में शोधकर्ताओं ने पाया कि अपेंडिसाइटिस ना सिर्फ बच्चों और युवाओं में फैलती है और ये ना सिर्फ पेट दर्द का प्रमुख कारण है बल्कि पूरी दुनिया में इसकी वजह से सबसे ज्यादा आपातकालीन पेट की सर्जरी करनी पड़ती हैं।
स्टडी में क्या आया सामने
इस स्टडी में लगे शोधकर्ताओं ने साल 2007 से 2017 तक लुंद के स्केन यूनिवर्सिटी अस्पताल में अपेंडिसाइटिस के सभी मामलों पर गौर फरमाया। जिन बच्चों को 15 साल से भी कम उम्र में सर्जरी करवानी पड़ती उन पर भी ध्यान दिया गया। इस स्टडी में 605 मामलों को शामिल किया गया था।
उन्होंने आईजीई मेडिकेटिड एलर्जी से ग्रस्त 102 बच्चें और बाकी 503 बच्चों को दो अलग ग्रुप में बांट दिया। इन दो समूहों में से आईजीई मेडिकेटिड एलर्जी के सिर्फ 19.6 प्रतिशत बच्चों को गंभीर अपेंडिसाइटिस था जबकि 46.9 प्रतिशत बच्चों को कोई एलर्जी नहीं थी।
इसलिए इस स्टडी में इतने साल लग गए। इसमें पाया गया कि जिन बच्चों को एलर्जी जैसे कि किसी प्रदूषक से एलर्जी या फिर किसी जानवर के फर से एलर्जी हुई थी उनमें अपेंडिसाइटिस के गंभीर होने का खतरा तीन गुना कम था।
लेकिन अब तक ये बात पूरी तरह प्रमाणित नहीं हो पाई है। हालांकि, ऐसी कुछ थ्योरियां हैं जिनसे लोग ये मान सकते हैं कि जिन बच्चों को प्रदूषक या जानवर के फर से एलर्जी हुई हो उनमें सामान्य बच्चों की तुलना में अपेंडिसाइटिस का खतरा कम रहता है।
एक थ्योरी की मानें तो गंभीर अपेंडिसाइडिस सबसे ज्यादा बॉडी के इम्युनोलॉजिकल प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। इस थ्योरी का मतलब है कि जिस बच्चे को एलर्जी रह चुकी है उसकी इम्युनोलॉजिकल प्रतिक्रिया सामान्य बच्चों से काफी अलग होती है।
इस तरह जिन बच्चों को प्रदूषक या जानवर के फर से एलर्जी रह चुकी है उनमें अपेंडिसाइटिस का खतरा कम रहता है। हालांकि, अब तक इस थ्योरी की जांच नहीं की गई है और इसके वैज्ञानिक और चिकित्सकीय कारण की भी जांच की जानी जरूरी है।
इस स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता मार्टिन सोलो का कहना है कि स्टडी के परिणाम ये कहते हैं कि गंभीर अपेंडिसाइटिस वाले मामलों में इम्युनोलॉजिकल विकास सामान्य मामलों से अलग होता है। इससे कई और तरह की उम्मीदें भी जग सकती हैं जैसे कि ब्लड टैस्ट।
इस तरह ये स्टडी प्रदूषक और जानवर के फर से होने वाली एलर्जी और गंभीर अपेंडिसाइटिस के बीच संबंध के बारे में बताती है और अभी भी शोधकर्ता इसके ऊपर रिसर्च कर रहे हैं।