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मिजोरम में मिले 150 से ज्यादा 'स्क्रब टाइफस के केस, जाने इसके लक्षण और बचाव
मिजोरम के सरछिप जिले के थेन्जॉल कस्बे में 150 से ज्यादा लोग 'स्क्रब टाइफस' बीमारी से पीड़ित पाए गए हैं। स्क्रब टाइफस' को 'बुश टाइफस' भी कहा जाता है, जो ऑरेंटिया सुसुगामुशी नाम के कीटाणु की वजह से होती है। इसके सामान्य लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द और कभी-कभी शरीर पर चकत्ते होना है।
स्क्रब टाइफस एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो जानलेवा है। इसके लक्षण चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं, यदि समय रहते हुए इस रोग का इलाज न किया जाए तो 35 से 40% मामलों में मृत्यु की आशंका रहती है।
कैसे फैलता है स्क्रब टाइफस
यह बुखार कई जाति के "रिकेट्सिया" द्वारा उत्पन्न रोगों का समूह है और मूल रूप से यह कीटों द्वारा फैलता है। कीड़ों में "रिकेट्सिया" नाम के सूक्ष्म जीव होते हैं, जिन्हें जीवाणु और विषाणु के बीच रखा जा सकता है। आकार में ये हाफ म्यू (1/2,000 मिमी) से भी कम होते हैं। समान्यत: ये जूं इत्यादि कीड़ों की आहारनली में रहते हैं। ये जीवाणु आसपास पाए जाने वाली पिस्सुओं में पाएं जाते हैं।
मल्टी-ऑर्गन डिसऑर्डर भी
स्क्रब टाइफस नाम की यह बीमारी पिस्सुओं के काटने से होती है और डेंगू की ही तरह इस बीमारी में भी प्लेटलेट्स की संख्या घट जाती है। बता दें पिस्सू के काटने से इसके लारवा में मौजूद जीवाणु रिक्टशिया सुसुगामुशी व्यक्ति के खून में फैल जाता है, जिसके चलते लिवर, फेफड़े और दिमाग में संक्रमण फैलने लगता है। जिसके बाद यह मल्टी-ऑर्गन डिसऑर्डर तक पहुंच जाता है।
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स्क्रब टाइफस फीवर का प्रभाव
संक्रमित होने के पांच से लेकर 12 दिनों तक के अंदर रोग के लक्षण सामने आने लगते हैं। शुरूआत में सिरदर्द, भूख न लगना, तबियत का भारीपन अनुभव होने के बाद अचानक सर्दी लगकर तेज बुखार चढ़ता है और बहुत ज्यादा कमजोरी हो जाती है।
कई लोग जी मिचलाने की शिकायत भी करते हैं। बुखार सात से लेकर 12 दिन तक रहता है। बुखार बिगड़ने की स्थिती में कमजोरी बढ़ती है। बेहोशी और हृदय सम्बन्धी समस्याएं सामने आती है।
- बुखार के चौथे से लेकर छठे दिन तक के भीतर शरीर पर दाने निकल आते हैं।
- गहरे लाल रंग के ये दाने दो से लेकर पाँच मिलिमीटर तक के होते है और सारे शरीर पर निकलते हैं।
- यह बुखार 40 से 60 वर्ष की आयुवर्ग को लिए प्राणघातक साबित हो सकता है।
यहां होता है ज्यादा खतरा
पहाड़ी इलाके, जंगल और खेतों के आस-पास ये पिस्सू ज्यादा पाए जाते हैं, लेकिन शहरों में भी बारिश के मौसम में जंगली पौधे या घने घास के पास इस पिस्सू के काटने का खतरा घिरा हुआ रहता है।
स्क्रब टायफस की रोकथाम के उपाय-
उन जगहों पर जाने से बचें, जहां पिस्सू बड़ी संख्या में मौजूद रहते हैं।
ऐसे स्थानों पर जाना ही पड़े तो खुद को कवर करके रखें।
खुली त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए माइट रिपेलेंट क्रीम लगा लें।
जो लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते या काम करते हैं, उन्हें डॉक्सीसाइक्लिन की एक साप्ताहिक खुराक दी जा सकती है।
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ये है इलाज
इस बीमारी के लक्षण दिखने पर या पिस्सू द्वारा काटने के निशान को देखकर रोग की पहचान होती है। ब्लड टेस्ट के जरिए सीबीसी काउंट व लिवर फंक्शनिंग टेस्ट करते हैं। एलाइजा टेस्ट व इम्युनोफ्लोरेसेंस टेस्ट से सक्रब टाइॅफस एंटीबॉडीट का पता लगाया जा सकता हैं। इसके लिए 7 से 14 दिनों तक दवाओं का कोर्स चलता है। इस दौरान ऑयली फूड को अवॉइड करना चाहिए और लिक्विड डाइट लें। जिन लोगों की उम्र 40 से 60 के बीच है अगर उनके आसपास ये बीमारी फैली हुई तो उन्हें तुरंत जाकर डॉक्टर स मिलना चाहिए।