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हाइपोग्लाइसीमिया या चमकी बुखार? किस वजह से बिहार में हो रही है बच्चों की मौत, जाने कारण और बचाव
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में चमकी बुखार या हाइपोग्लाइसीमिया से हालात भयावह हैं। बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बुखार की वजह से मरने वाले बच्चों का आंकड़ा 108 हो चुका है। आइए जानते है कि अचानक से बुखार इतनी तेजी से क्यों फैल रहा है। इतने बच्चों की मौत के बाद भी अभी तक खुलासा नहीं हो पा रहा है कि मरने वाले बच्चें की मौत चमकी बुखार से हो रही है या जहरीली लीची या हाइपोग्लाइसीमिया के कारण। विशेषज्ञों की माने तो चमकी बुखार के कारण ही हाइपोग्लाइसीमिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
ये दोनों (चमकी बुखार और हाइपोग्लाइसीमिया) ही बीमारियां इतनी गंभीर है कि बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर कर देते है, जिसकी वजह से बच्चें इससे मुकाबला नहीं कर पाते है।। एक से 15 साल तक के बच्चों को आसानी से अपना शिकार बना लेती है।
चमकी बुखार और हाइपोग्लाइसीमिया में अंतर?
चमकी बुखार वास्तव में एक्यूट एनसेफलाइटिस सिंड्रोम acute encephalitis syndrome) या AES है। इसे दिमागी बुखार भी कहा जाता है। ये बुखार अभी तक विशेषज्ञों के लिए रहस्य का कारण बना हुआ है क्योंकि इस बुखार के होने की अभी तक सही-सही वजह सामने नहीं आई है। चमकी बुखार में वास्तव में बच्चों के खून में सुगर और सोडियम की कमी हो जाती है। सही समय पर उचित इलाज नहीं मिलने की वजह से मौत हो सकती है।
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कई रिपोर्ट की मानें तो चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम '(एईएस) बिहार में 4-12 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की मुख्य वजह है। डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी की वजह से प्रभावित बच्चों की रक्तधाराओं में ग्लूकोज में कमी आने लगती है जिसे हाइपोग्लाइसीमिया के नाम से जाना जाता है।
क्या हैं चमकी बुखार के लक्षण?
चमकी नाम की बीमारी में शुरुआत में तेज बुखार आता है। इसके बाद बच्चों के शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है। इसके बाद तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है। इस बीमारी में ब्लड शुगर लो हो जाता है। बच्चे तेज बुखार की वजह से बेहोश हो जाते हैं और उन्हें दौरे भी पड़ने लगते हैं। जबड़े और दांत कड़े हो जाते हैं. बुखार के साथ ही घबराहट भी शुरू होती है और कई बार कोमा में जाने की स्थिति भी बन जाती है। अगर बुखार के पीड़ित को सही वक्त पर इलाज नहीं मिलता है तो उसकी मौत होने की सम्भावाना बढ़ जाती है।
क्या हैं चमकी बुखार के लक्षण?
चमकी नाम की बीमारी में शुरुआत में तेज बुखार आता है। इसके बाद बच्चों के शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है। इसके बाद तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है। इस बीमारी में ब्लड शुगर लो हो जाता है। बच्चे तेज बुखार की वजह से बेहोश हो जाते हैं और उन्हें दौरे भी पड़ने लगते हैं। जबड़े और दांत कड़े हो जाते हैं. बुखार के साथ ही घबराहट भी शुरू होती है और कई बार कोमा में जाने की स्थिति भी बन जाती है। अगर बुखार के पीड़ित को सही वक्त पर इलाज नहीं मिलता है तो उसकी मौत होने की सम्भावाना बढ़ जाती है।
अगर चमकी बुखार हो जाए तो क्या करें?
- बच्चों को पानी पिलाते रहे, इससे उन्हें हाइड्रेट रहने और बीमारियों से बचने में मदद मिलेगी।
- तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें।
- पंखे से हवा करें या माथे पर गीले कपड़े की पट्टी लगायें ताकि बुखार कम हो सके।
- बच्चे के शरीर से कपड़े हटा लें एवं उसकी गर्दन सीधी रखें।
बच्चों को बुखार आने पर कोई भी एंटीबॉयोटिक देने से पहले डॉक्टर की सलाह जरुर लें।
- अगर बच्चे के मुंह से लार या झाग निकल रहा है तो उसे साफ कपड़े से पोछें, जिससे सांस लेने में दिक्कत न हो।
- बच्चों को लगातार ओआरएस का घोल पिलाते रहें. तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंख को पट्टी से ढंक दें।
- बेहोशी व दौरे आने की अवस्था में मरीज को हवादार जगह पर लिटाएं।
- चमकी बुखार की स्थिति में मरीज को बाएं या दाएं करवट पर लिटाकर डॉक्टर के पास ले जाएं। यानी सीधा न सुलाएं।
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हाइपोग्लाइसीमिया है गंभीर लक्षण
शरीर में पानी की कमी होने पर बच्चे जल्दी हाइपोग्लाइसीमिया के चपेट में आ जाते हैं। सही खानापान न होने से उनके शरीर का शुगर लेवल तेजी से नीचे गिरने लगता है। ऐसे में उनके शरीर में सोडियम की कमी भी होती है। बेहोशी का एक बड़ा कारण हाइपोग्लाइसीमिया भी होता है। बच्चों को पता ही नहीं होता कि उनका ग्लोकोज लेवल कम हो रहा है और वे अचानक से गिर पड़ते हैं।
बीमारी से बचाने के लिए रखें ये बातें ध्यान में
- फल और खाना खाने से पहले उसकी जांच जरूर कर लें कि कही वह खराब न हो।
- बच्चे को कभी भी किसी भी हाल में किसी का जूठा खाना न दें।
- तेज धूप, गर्मी में बच्चों को बाहर न निकलने दें।
- जब भी बच्चा बाहर जाए वह पूरी तरह से कपड़ों में हो।
- बाहर जाने से पहले खाना खा कर निकलें और शरीर में पानी की कमी न होने दें।
- बच्चों को सूअर और गाय के पास जाने से रोकें।
- खाने से पहले और खाने के बाद हाथ ज़रूर धुलवाएं।
- बच्चों की साफ सफाई पर खूब ध्यान दें। उनके नाखून नहीं बढ़ने दें।
- बच्चों को पोषण पूरा हो यह ध्यान दें। हरी सब्जी, फल और दूध-दही खूब खिलाएं।
- जब भी पानी पीने को कुछ मीठा भी खिलाएं अगर बच्चा ज्यादा समय बाहर रहता हो तो।
- खाली पेट लीची खाने से बचें और जब भी लीची खांए उसे अच्छी तरह धो लें। ताकि उस पर लगा केमिकल्स हट जाए।