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महिला के HIV से पूरी तरह ठीक होने का पहला मामला, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से हुआ ये चमत्कार
HIV एक लाइलाज बीमारी हैं। हालांकि, कई सालों से एक्सपर्ट इस बीमारी का इलाज ढूंढ रहे हैं। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक से HIV के तीसरे मरीज और पहली महिला का सफल इलाज करके इतिहास रच दिया हैं। डेनवर को शोधकर्ताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बारे में जानकारी दी। न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार, वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट तकनीक के जरिए ये चमत्कार कर दिखाया हैं।
स्टेमसेल ट्रांसप्लांट से किया इलाज
शोधकर्ताओं ने बताया कि स्टेमसेल ट्रांसप्लांट के एक जरिए इस महिला का इलाज हुआ। स्टेमसेल एक ऐसे व्यक्ति ने दान किए थे, जिसके अंदर एचआईवी वायरस के खिलाफ कुदरती प्रतिरोध क्षमता थी। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने पहली बार अम्बिलिकल कॉर्ड यानी गर्भनाल के खून का इस्तेमाल महिला के ल्युकेमिया का इलाज करने के लिए किया। फिलहाल महिला 14 महीने से स्वस्थ है, और उसे किसी भी दवा की जरूरत नहीं पड़ी है।
इससे पहले दो पुरुष मरीज हो चुके हैं ठीक
इससे पहले दो ऐसे मामले हुए हैं जब एचआईवी मरीज ठीक हो गए। उनमें से एक मामला श्वेत पुरुष का था जबकि, दूसरा एक दक्षिण अमेरिकी मूल के पुरुष का। इन दोनों का भी स्टेमसेल ट्रांसप्लांट हुआ था लेकिन वे स्टेमसेल वयस्क लोगों से लिए गए थे। अंतरराष्ट्रीय एड्स सोसाइटी की अध्यक्ष शैरन लेविन ने कहा, अब इलाज की तीसरी रिपोर्ट आ रही है और पहली बार किसी महिला का उपचार कर उसे ठीक किया गया है।
महिला का चार साल चला था इलाज
महिला को 2013 में HIV का पता चला था। चार साल बाद, उसे ल्यूकेमिया का भी पता चला। इस ब्लड कैंसर का इलाज हैप्लो-कॉर्ड ट्रांसप्लांट के जरिए किया जिसमें आंशिक रुप से मेल खाने वाले डोनर से कॉर्ड ब्लड लिया। इस दौरान महिला के करीबी रिश्तेदार ने भी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उसे ब्लड डोनेट किया। साल 2017 में आखिरी बार महिला का ट्रांसप्लांट किया गया और पिछले 4 सालों में वो ल्यूकेमिया से पूरी तरह ठीक हो चुकी है। ट्रांसप्लांट के 3 साल बाद डॉक्टरों ने उसके एचआईवी का इलाज भी बंद कर दिया और वो अब वो पूरी तरह इस वायरस की चपेट से मुक्त हैं।