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कोविड के कारण अब खसरा एक वर्ल्डवाइड खतरा बना, सीडीसी और डब्ल्यूएचओ ने चेताया
विश्व
स्वास्थ्य
संगठन
(WHO)
और
यूएस
सेंटर
फॉर
डिजीज
कंट्रोल
एंड
प्रिवेंशन
(CDC)
ने
चेतावनी
दी
है
कि
कोरोना
वायरस
महामारी
शुरू
होने
के
बाद
से
खसरे
के
वैक्सिनेशन
में
काफी
गिरावट
आई
है।
जिसकी
वजह
से
पिछले
साल
लगभग
40
मिलियन
बच्चों
को
टीके
की
खुराक
नहीं
मिल
पाई।
डब्ल्यूएचओ
और
सीडीसी
ने
एक
ज्वाइंट
रिपोर्ट
में
कहा,
"अब
दुनिया
भर
के
कई
एरिया
में
खसरे
के
फैलने
का
इमनेंट
खतरा
है
क्योंकि
कोविड-19
के
कारण
वैक्सिनेशन
कवरेज
में
लगातार
गिरावट
आई
है
और
बीमारी
की
निगरानी
कमजोर
हुई
है।
डब्ल्यूएचओ
और
सीडीसी
ने
कहा
कि
दुनिया
के
सबसे
इनफेक्शन
डिजीज
में
से
लाखों
बच्चे
अब
खसरे
के
प्रति
सेंसटिव
हैं।
2021
में,
अधिकारियों
ने
कहा
कि
दुनिया
भर
में
लगभग
9
मिलियन
खसरे
के
संक्रमण
और
128,000
मौतें
हुईं।
साइंटिस्टों
का
अनुमान
है
कि
एपिडेमिक
से
बचाव
के
लिए
कम
से
कम
95%
आबादी
को
अम्यून
करने
की
जरूरत
है।
डब्ल्यूएचओ
और
सीडीसी
ने
बताया
कि
केवल
लगभग
81
फीसदी
बच्चों
को
खसरे
के
टीके
की
पहली
खुराक
मिलती
है
जबकि
71
प्रतिशत
को
दूसरी
खुराक
मिलती
है,
जो
2008
के
बाद
से
पहली
खसरे
की
खुराक
की
सबसे
कम
वर्ल्डवाइड
कवरेज
दर
को
मार्क
करता
है।
सीडीसी
के
निदेशक
डॉ.
रोशेल
वालेंस्की
ने
एक
बयान
में
कहा,
प्रतिरक्षित
और
खसरे
के
लिए
अतिसंवेदनशील
होने
से
पता
चलता
है
कि
कोविड-19
महामारी
के
दौरान
टीकाकरण
प्रणाली
को
कितना
नुकसान
हुआ
है।
बता दें कि खसरा ज्यादातर सीधे संपर्क या हवा में फैलता है। बुखार, मांसपेशियों में दर्द और चेहरे और ऊपरी गर्दन पर त्वचा पर दाने जैसे लक्षण होते हैं। अधिकांश खसरे से संबंधित मौतें मस्तिष्क की सूजन और डिहाईड्रेशन सहित कॉम्प्लिकेशन्स के कारण होती हैं। WHO का कहना है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों और 30 साल से अधिक उम्र के वयस्कों में गंभीर जटिलताएं सबसे गंभीर हैं। खसरे से होने वाली 95 फीसदी से अधिक मौतें विकासशील देशों में होती हैं, ज्यादातर अफ्रीका और एशिया में। खसरे का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन इसके खिलाफ दो-खुराक वाला टीका गंभीर बीमारी और मृत्यु को रोकने में लगभग 97 फीसदी प्रभावी है। यूनाइटेड नेशन ने कहा कि 25 मिलियन बच्चे डिप्थीरिया सहित बीमारियों के खिलाफ डेली वैक्सिनेशन से चूक गए हैं।