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क्या भगवान का अस्तित्व है? एक अंतिम सवाल
क्या ईश्वर इस दुनिया में है? हम अक्सर इस सवाल पर विचार करते है, कई बार इसे सच मानते है, कई बार इसे झूठ मानते है और कई बार सिर्फ एक भ्रम मान लेते है। लेकिन ऐसा क्या है जो हम इस बारे में बार-बार सोचते है, इस विषय पर सोचने के लिए दिमाग मजबूर हो जाता है। आखिर हम कभी भी ईश्वर की शक्ति को क्यूं नहीं समझ पाते है।
सबसे बड़ा मंत्र गायत्री मंत्र
अगर
सच
में
ईश्वर
इस
संसार
में
है
तो
दुनिया
के
करोड़ों
लोग
इतने
कष्ट
में
क्यूं
है?,
अगर
सच
में
संसार
को
चलाने
वाला
कोई
मास्टर
है
तो
हमें
दुख
क्यों
होता
है?,
हर
कोई
खुश
क्यों
नहीं
रहता
है?
ईश्वर
है
तो
वह
अपने
बच्चों
को
कष्ट
क्यूं
देता
है?,
उसके
द्वारा
बनाई
गई
हर
चीज
को
इतना
कष्ट
क्यूं
है?,
कोई
अपने
बच्चों
को
इतने
कष्ट
में
देखकर
चुप
क्यूं
है?,
जब
दुनिया
में
कहीं
भी
अपराध
होता
है,
कोई
घटना
घटती
है,
कोई
अन्याय
होता
है
तो
ईश्वर
कहां
होते
है?
ऐसे हजारों सवाल, लाखों लोगों के मन में आते है और किसी के भी पास भी इन सवालों का जबाव नहीं होता है। ईश्वर किसी को भी सीधा स्वर्ग से धरती पर नहीं भेजते, जो हमारे मन को दिलासा दें, हमारे सवालों का जबाव दें, इन रहस्यों को सुलझाएं। वह लोगों के दिमाग को विकसित करता है, उनमें समझ को जगाता है और उन्हे समझ प्रदान करता है ताकि वह सही-गलत का फर्क कर सकें, ताकि वह नीति-कुनीति को समझ सकें, जीवनरूपी रहस्य को समझ सकें, ईश्वर को समझ सकें हालांकि बहुत कम लोग ही इस गूण ज्ञान को हासिल कर पाते है। हर व्यक्ति की रचना इसी धरती के पंच तत्वों से मिलकर होती है और इसी में वह विलीन हो जाता है। संसार में हर दिन नया काम होना, जन्म होना, मृत्यु होना आदि कोई खुद से घटित होने वाली घटना नहीं है लेकिन सर्वव्यापी शक्ति होती है जो बिना परिवर्तन के भी बस परिवर्तित कर देती है।
विस्तृत रूप में देखा जाएं, तो ईश्वर सर्वोच्च, परम और निरपेक्ष है। वह हर संभव रूप में पूर्ण है और अपरिभाषित है। हर धर्म, जाति और समुदाय ने उसे अलग-अलग नाम दे दिए लेकिन वो सिर्फ एक ही शक्ति है। हम अपने तरीके से अर्पण और श्रृद्धा व्यक्त करने के लिए ईश्वर बोलते है, आराधना करते है, प्रार्थना करते है। किसी भी मानव को प्राकृतिक शक्ति पर कोई नियंत्रण नहीं होता है। आस्तिक मानते है कि ईश्वर है तभी दुनिया में सब कुछ है और वह चल रही है। नास्तिक मानते है कि ईश्वर जैसा कुछ नहीं है, ये मन का भ्रम है। मानने वाले महसूस करते है और न मानने वाले नकार देते है। फिर भी कोई आपको बाध्य नहीं करता है कि आप मानें या न मानें।
क्या ईश्वर है? ये जटिल सवाल था और हमेशा रहेगा। न ही इसका कोई जबाव था और न ही होगा। इसे खोजा भी नहीं जा सकता है। किसी भी सार्वभौमिक तथ्य की सत्यता का परीक्षण करना बहुत मुश्किल होता है, शायद उसे किया ही नहीं जा सकता है। विश्वास रखें, आस्था रखें, प्रार्थना करें और ध्यान करें। सर्वशक्तिमान शक्ति भला करेगी।