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सभी मंत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है गायत्री मंत्र, जानें इसका सरल अर्थ
सभी धर्म ग्रंथों में गायत्री मंत्र की महिमा बताई गयी है। इसे सभी मंत्रों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। शास्त्रों में गायत्री की महिमा का उल्लेख मिलता है। व्यक्ति के जीवन में गायत्री मंत्र का बहुत महत्व है। सनातन धर्म के मानने वाले लोग आमतौर पर अपने बच्चों को गायत्री मंत्र बचपन में ही सीखा देते हैं। इंसान उम्र के किसी भी पड़ाव पर पहुंच जाए, गायत्री मंत्र हमेशा मन शांत रखता है और हौसला देता है। गायत्री मंत्र का जप करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं, आज इस लेख के जरिये जानते हैं इसके अर्थ के बारे में।

गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

गायत्री मंत्र का शाब्दिक अर्थ
ॐ - परब्रह्मा का अभिवाच्य शब्द
भूः - भूलोक
भुवः - अंतरिक्ष लोक
स्वः - स्वर्गलोक
त - परमात्मा अथवा ब्रह्म
सवितुः - ईश्वर अथवा सृष्टि कर्ता
वरेण्यम - पूजनीय
भर्गः - अज्ञान तथा पाप निवारक
देवस्य - ज्ञान स्वरुप भगवान का
धीमहि - हम ध्यान करते है
धियो - बुद्धि प्रज्ञा
योः - जो
नः - हमें
प्रचोदयात् - प्रकाशित करें।

गायत्री मंत्र का सरल शब्दों में अर्थ
हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान को दूर करने वाला हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य के पथ पर ले जाए।