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जानिए मासिक शिवरात्रि पर शिवजी की पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि के शुभ दिन पर सभी भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए व्रत और पूजन करते हैं। महाशिवरात्रि व्रत का शिवपुराण में विशेष महत्व है। इस पुराण के अनुसार इस दिन व्रत करने से भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त होते हैं। परन्तु इसके अतिरिक्त भी साल में 12 शिवरात्रि आती है उनका भी विशेष महत्व है।
हिंदू पंचांग के अनुसार मासिक शिवरात्रि प्रत्येक महीने की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस बार ये पावन दिन 13 मई यानि रविवार को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिवलिंग रूप में प्रकट होते हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान भोलेनाथ का निराकार स्वरूप प्रतीक लिंग का पूजन सर्वप्रथम ब्रह्मा और भगवान विष्णु के द्वारा हुआ था। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के बाद यह दिन शिव की पूजा अर्चना हेतु बेदह खास होता है।
एक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए। उनके क्रोध की ज्वाला से समस्त संसार जलकर भस्म होने वाला था किन्तु माता पार्वती ने महादेव का क्रोध शांत कर उन्हें प्रसन्न किया इसलिए हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भोलेनाथ ही उपासना की जाती है और इस दिन को मासिक शिवरात्रि कहा जाता है।
माना जाता है कि महाशिवरात्रि के बाद अगर प्रत्येक माह शिवरात्रि पर भी मोक्ष प्राप्ति के चार संकल्पों भगवान शिव की पूजा, रुद्रमंत्र का जप, शिवमंदिर में उपवास तथा काशी में देहत्याग का नियम से पालन किया जाए तो मोक्ष अवश्य ही प्राप्त होता है। इस पावन अवसर पर शिवलिंग की विधि पूर्वक पूजा और अभिषेक करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है।
कहा जाता है कि इस दिन लक्ष्मी जी, सरस्वती जी और सीता-सावित्री आदि ने भी शिवरात्रि पर शिव जी को प्रसन्न करने हेतु उनकी पूजा और उपवास किया था।
शिवरात्रि पर रात्रि जागरण
माना जाता है कि आध्यात्मिक साधना के लिए उपवास करना अति आवश्यक है। इस दिन रात्रि को जागरण कर शिवपुराण का पाठ सुनना हर एक उपवास रखने वाले का धर्म माना गया है। इस अवसर पर रात्रि जागरण करने वाले भक्तों को शिव नाम, पंचाक्षर मंत्र अथवा शिव स्रोत का आश्रय लेकर अपने जागरण को सफल करना चाहिए।
उपवास के साथ रात्रि जागरण के महत्व पर संतों का कहना है कि पांचों इंद्रियों द्वारा आत्मा पर जो विकार छा गया है उसके प्रति जाग्रत हो जाना ही जागरण है। यही नहीं रात्रि प्रिय महादेव से भेंट करने का सबसे उपयुक्त समय भी यही होता है। इसी कारण भक्त उपवास के साथ रात्रि में जागकर भोलेनाथ की पूजा करते है।
शिवपुराण की कथा में इन छः वस्तुओं का महत्व
बेलपत्र से शिवलिंग पर पानी छिड़कने का अर्थ है कि महादेव की क्रोध की ज्वाला को शान्त करने के लिए उन्हें ठंडे जल से स्नान कराया जाता है।
शिवलिंग पर चन्दन का टीका लगाना शुभ जाग्रत करने का प्रतीक है। फल, फूल चढ़ाना इसका अर्थ है भगवान का धन्यवाद करना।
धूप जलाना, इसका अर्थ है सारे कष्ट और दुःख दूर रहे।
दिया जलाना इसका अर्थ है कि भगवान अज्ञानता के अंधेरे को मिटा कर हमें शिक्षा की रौशनी प्रदान करें जिससे हम अपने जीवन में उन्नति कर सकें।
पान का पत्ता, इसका अर्थ है कि आपने हमें जो दिया जितना दिया हम उसमें संतुष्ट है और आपके आभारी हैं।
मासिक शिवरात्रि पर पूजा का महत्व
शास्त्रों में शिवरात्रि के पूजन को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। कहते हैं महाशिवरात्रि के बाद शिव जी को प्रसन्न करने के लिए हर मासिक शिवरात्रि पर विधिपूर्वक व्रत और पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि इस दिन महादेव की आराधना करने से मनुष्य के जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं। साथ ही उसे आर्थिक परेशनियों से भी छुटकारा मिलता है। अगर आप पुराने कर्ज़ों से परेशान हैं तो इस दिन भोलेनाथ की उपासना कर आप अपनी समस्या से निजात पा सकते हैं। इसके अलावा भोलेनाथ की कृपा से कोई भी कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण हो जाता है।