For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

हिंदू परंपराओं के पीछे छुपा हुआ है ये विज्ञान

By Super
|

हिंदू संस्कृति किसी अंधविश्वास पर नहीं बल्कि विज्ञान की ठोस धरातल पर बनी है, जिस पर लाखों लोग विश्वास करते हैं और आगे भी करते रहेंगे। इस संस्कृति में सांस लेने, खाने, बैठने और खड़े होने जैसी सामान्य बातों समेत जीवन का हर पहलू एक आध्यात्मिक प्रक्रिया के तौर पर विकसित हुआ।

भगवान शिव से जानें जीवन जीने का तरीका

इंसान की परम प्रकृति को यहां बड़े व्यापक तरीके से खोजा गया है। हालांकि दुर्भाग्य की बात यह है कि हमारी संस्कृति से संबंधित काफी कुछ खो चुका है। वास्तव में हम उसे सुरक्षित ही नहीं रख पाए, लेकिन फिर भी यह एक जीती जागती संस्कृति है। इसी संस्कृति कि उन परंपराओं को जानेगें और उनके पीछे के वैज्ञानिक कारणों को जिसे आम लोग नहीं जानते हैं, आज उस पर से पर्दा उठाएंगे। जरुर पढे़ यह लेख...

1 नदी में सिक्के फेंकना :

1 नदी में सिक्के फेंकना :

हम लोग यह हमेशा से ही सुनते आ रहें हैं, कि बहती नदी में सिक्के डालने से हमे सौभाग्य प्राप्त होगा। लेकिन इसका एक वैज्ञानिक कारण है, पहले जब सिक्के बनाये जाते थे तो वे तांबे के होते थे जो कि हमारे शरीर के लिए एक बहुत उपयोगी धातु मनी जाती है। लेकिन आज के समय में यह सिक्के तांबे के नहीं स्टेनलेस स्टील के बनते हैं, जिसे पानी में डालने से पानी में कोई फरक नहीं पड़ता है। इसके उलट तांबे के सिक्के पानी में जाने से पानी पीने लायक बनता था।

2 नमस्कार करना

2 नमस्कार करना

नमस्कार करने के पीछे केवल सांस्कृतिक पहलू ही नहीं है, एक पूरा विज्ञान है। अगर आप साधना कर रहे हैं, तो जब भी आप अपनी हथेलियों को साथ लाते हैं, तो एक ऊर्जा पैदा होती है। जीवन-ऊर्जा के स्तर पर आप कुछ दे रहे होते हैं। आप खुद को एक अर्पण या भेंट के तौर पर दूसरे व्यक्ति को समर्पित कर रहे हैं। देने की इस प्रक्रिया में आप दूसरे प्राणी को भी जीवंत कर देंगे और वही जीवंतता फिर आपके साथ सहयोग करेगी।

3. बिछिया पहनना

3. बिछिया पहनना

पांवो में अंतिम आभूषण के रूप में बिछिया पहनी जाती है। दोनों पांवों की बीच की तीन उंगलियो में बिछिया पहनने का रिवाज है। सोने का टीका और चांदी की बिछिया का भाव ये होता है कि आत्म कारक सूर्य और मन कारण चंद्रमा दोनों की कृपा जीवनभर बनी रहे।

4 माथे पर तिलक लगाना

4 माथे पर तिलक लगाना

माना जाता है कि मनुष्य के मस्तक के मध्य में विष्णु भगवान का निवास होता है, और तिलक ठीक इसी स्थान पर लगाया जाता है। मनोविज्ञान की दृष्टि से भी तिलक लगाना उपयोगी माना गया है। माथा चेहरे का केंद्रीय भाग होता है, जहां सबकी नजर अटकती है। उसके मध्य में तिलक लगाकर, विशेषकर स्त्रियों में, देखने वाले की दृष्टि को बांधे रखने का प्रयत्न किया जाता है।

5 मंदिर में घंटी क्यों होती है

5 मंदिर में घंटी क्यों होती है

इसके पीछे यह मान्यता है कि जिन स्थानों पर घंटी की आवाज नियमित तौर पर आती रहती है वहां का वातावरण हमेशा सुखद और पवित्र बना रहता है और नकारात्मक या बुरी शक्तियां पूरी तरह निष्क्रिय रहती हैं। यही वजह है कि सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है।

6 हम नवरात्र क्यों मनाते हैं:

6 हम नवरात्र क्यों मनाते हैं:

आज हमारी लाइफस्‍टाइल इतनी खराब हो गई है कि हमें अपने शरीर को शुद्ध करने का मौका ही नहीं मिलता। अगर हम नवरात्र में सारा दिन भूखा रह कर केवल फल आदि का सेवन करें तो हमारे पेट के सारे रोग दूर हो जाएंगे। नवरात्र हमें पूरा मौका देता है कि हम मौसम के अनुसार खुद के शरीर को ढाल लें।

7. तुलसी के पेड़ की क्यों पूजा होती है

7. तुलसी के पेड़ की क्यों पूजा होती है

तुलसी में विद्यमान रसायन वस्तुतः उतने ही गुणकारी हैं, जितना वर्णन शास्रों में किया गया है। यह कीटनाशक है, कीटप्रतिकारक तथा खतरनाक जीवाणुनाशक है। विशेषकर एनांफिलिस जाति के मच्छरों के विरुद्ध इसका कीटनाशी प्रभाव उल्लेखनीय है।

8. क्यों करते है पीपल के वृक्ष की पूजा

8. क्यों करते है पीपल के वृक्ष की पूजा

पीपल की उपयोगिता और महत्ता वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों कारणों से है। यह वृक्ष अन्य वृक्षों की तुलना में वातावरण में ऑक्सीजन की अधिक-से-अधिक मात्रा में अभिवृद्धि करता है। यह प्रदूषित वायु को स्वच्छ करता है और आस-पास के वातावरण में सात्विकता की वृद्धि भी करता है। इसके संसर्ग में आते ही तन-मन स्वतः हर्षित और पुलकित हो जाता है। यही कारण है कि इस वृक्ष के नीचे ध्यान एवं मंत्र जप का विशेष महत्व है।

9 भोजन के अंत में मिठाई

9 भोजन के अंत में मिठाई

हमारे पूर्वजों का मानना था कि मसालेदार भोजन के बाद मिठाई खानी चाहिए। यह इसलिए भी होता है क्यों कि जब हम कुछ मसालेदार भोजन खाते हैं, तो हमारे शरीर एसिड बने लगता है जिससे हमारा खाना पचता है और यह एसिड ज्यादा ना बने इसके लिए आखिर में मिठाई खाई जाती है जो पाचन प्रक्रिया शांत करती है।

10. पुरुष सर पे चोटी क्यों रखते हैं

10. पुरुष सर पे चोटी क्यों रखते हैं

असल में जिस स्थान पर शिखा यानि कि चोंटी रखने की परंपरा है, वहा पर सिर के बीचों-बीच सुषुम्ना नाड़ी का स्थान होता है। तथा शरीर विज्ञान यह सिद्ध कर चुका है कि सुषुम्रा नाड़ी इंसान के हर तरह के विकास में बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चोटी सुषुम्रा नाड़ी को हानिकारक प्रभावों से तो बचाती ही है, साथ में ब्रह्माण्ड से आने वाले सकारात्मक तथा आध्यात्मिक विचारों को केच यानि कि ग्रहण भी करती है।

 11. हाथों में मेहंदी लगाना

11. हाथों में मेहंदी लगाना

मेंहदी एक हर्ब के रूप में देखी जाती है, जिसे लगाने से दिमाग शांत रहता है और मन प्रसन्‍न रहता है। इसलिये शादी के एक दिन दुल्‍हने मेंहदी लगाती हैं, जिससे उन्‍हें शादी का तनाव ना हो पाए।

 12. दीवाली से पहले घर की साफ़ सफाई

12. दीवाली से पहले घर की साफ़ सफाई

दीवाली के पहले की एक परम्परा होती है, घर की साफ़ सफाई। घर में जितना भी पुराना सामान होता है, वह या तो बाँट दिया जाता है या फेंक दिया जाता है। वर्षा ऋतु की उमस और सीलन घर की दीवारों और कपड़ों में भी घुस जाती है। उन्हें बाहर निकालकर पुनः व्यवस्थित कर लेना स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत आवश्यक है।

13 ज़मीन पर बैठ कर भोजन करना

13 ज़मीन पर बैठ कर भोजन करना

जमीन पर बैठकर खाना खाते समय हम एक विशेष योगासन की अवस्था में बैठते हैं, जिसे सुखासन कहा जाता है। सुखासन से पूरे शरीर में रक्त-संचार समान रूप से होने लगता है। जिससे शरीर अधिक ऊर्जावान हो जाता है। इस आसन से मानसिक तनाव कम होता है और मन में सकारात्मक विचारों का प्रभाव बढ़ता है। इससे हमारी छाती और पैर मजबूत बनते हैं।

 14 उत्तर दिशा की ओर सिर करके क्यों नहीं सोना चाहिए

14 उत्तर दिशा की ओर सिर करके क्यों नहीं सोना चाहिए

विज्ञान की दृष्टिकोण से देखा जाए तो पृथ्वी के दोनों ध्रुवों उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में चुम्बकीय प्रवाह विद्यमान है। दक्षिण में पैर रखकर सोने से व्यक्ति की शारीरिक ऊर्जा का क्षय हो जाता है और वह जब सुबह उठता है तो थकान महसूस करता है, जबकि दक्षिण में सिर रखकर सोने से ऐसा कुछ नहीं होता। उत्तर दिशा की ओर धनात्मक प्रवाह रहता है और दक्षिण दिशा की ओर ऋणात्मक प्रवाह रहता है। हमारा सिर का स्थान धनात्मक प्रवाह वाला और पैर का स्थान ऋणात्मक प्रवाह वाला है। यह दिशा बताने वाले चुम्बक के समान है कि धनात्मक प्रवाह वाले आपस में मिल नहीं सकते।

15 सूर्य नमस्कार करना

15 सूर्य नमस्कार करना

सूर्य नमस्कार का संबंध योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा से भी जुड़ा हुआ है। सूर्य की ऊष्मा एवं प्रकाश से स्वास्थ्य में अभूतपूर्व लाभ होता है और बुद्धि की वृद्धि होती है। सूर्य के प्रकाश एवं सूर्य की उपासना से कुष्ठ, नेत्र आदि रोग दूर होते हैं। सूर्य अशुभ होने पर उक्त राशि वाले को अग्निरोग, ज्वय बुद्धि, जलन, क्षय, अतिसार आदि रोगों से ग्रस्त होने की संभावना बढ़ती है।

16. बच्चों का कान छेदन

16. बच्चों का कान छेदन

विज्ञान कहता है कि कर्णभेद से मस्तिष्क में रक्त का संचार समुचित प्रकार से होता है। इससे बौद्घिक योग्यता बढ़ती है। इसलिए इसे उपनयन संस्कार से पहले किया जाता था ताकि गुरुकुल जाने से पहले बच्चे की मेधा शक्ति बढ़ जाए और बच्चा बेहतर ज्ञान अर्जित कर पाए। इससे चेहरे पर कान्ति भी आती है और रूप निखरता है।

सिंदूर लगाना

सिंदूर लगाना

सिंदूर हल्दी, नींबू और पारा के मिश्रण से तैयार किया जाता है। सिंदूर महिला के रक्तचाप को नियंत्रित करने के अलावा उनकी सेक्सुअल ड्राइव को भी बढाता है। इसे उस जगह पर लगाया जाता है , जहां पर पिट्यूटरी ग्रंथि होती है, जहां पर सारे हार्मोन डेवलप होते हैं। इसके अलावा सिंदूर तनाव से भी महिलाओं को दूर रखता है।

18. चरण स्पर्श का वैज्ञानिक महत्व

18. चरण स्पर्श का वैज्ञानिक महत्व

हम उसके चरणों को स्‍पर्श करते हैं, जो हमने उम्र में काफी बड़ा होता है। ऐसा करने से वह हमें अपने दिल से आर्शिवाद देते हैं, जो कि हमारे पास उनके पैर से होता हुआ हमारे हाथों दृारा पहुंचता है। यह एक पॉजिटिव एनर्जी होती है, जो हमारे शरीर में अच्‍छी तरह से फैल जाती है।

19. व्रत क्यों रखा जाता है

19. व्रत क्यों रखा जाता है

यदि शरीर में जहरीले तत्व बने रहेंगे तो कोई न कोई विकार, कोई न कोई उपद्रव होते ही रहेंगे। जब उपवास रखते हैं तो शरीर के विभिन्न अंगों को कुछ विश्राम मिल जाता है। यह ऐसा समय है जब हमारे सभी अंग तनावमुक्त रहते हैं। आराम पा लेते हैं। इन्हें सहज होने में मदद मिल जाती है।

20. मूर्तियों की पूजा क्यों की जाती है

20. मूर्तियों की पूजा क्यों की जाती है

समस्त विश्व में प्राचीन स्थानों की खुदाई में शिवलिंग व गणेश आदि की प्रतिमाओं का मिलना, जो तीन हजार से पांच हजार वर्ष पुरानी है, मूर्तिपूजा की प्राचीनता व सनातन धर्म की व्यापकता को ही सिध्द करते हैं। शोधकर्ता यह मानते हैं कि मूर्ति की पूजा करने का अपना ही महत्व है। यह आपको मानसिक शांति देता है साथ ही आपके आत्म विश्वास को भी बढ़ता है।

21. महिलाएं क्यों पहनती हैं चूड़ियाँ

21. महिलाएं क्यों पहनती हैं चूड़ियाँ

शारीरिक रूप से महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक नाजुक होती हैं। चूड़ियां पहनने से स्त्रियों को शारीरिक रूप से शक्ति प्राप्त होती है। पुराने समय में स्त्रियां सोने या चांदी की चूड़ियां ही पहनती थी। सोना और चांदी लगातार शरीर के संपर्क में रहता है, जिससे इन धातुओं के गुण शरीर को मिलते रहते हैं। हाथों की हड्डियों को मजबूत बनाने में सोने-चांदी की चूड़ियां श्रेष्ठ काम करती हैं। आयुर्वेद के अनुसार भी सोने-चांदी की भस्म शरीर को बल प्रदान करती है। सोने-चांदी के घर्षण से शरीर को इनके शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जिससे महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

English summary

Shocking science behind Hindu traditions

Traditions in Hinduism were considered mainly as superstitions, but with the advent of science. These traditions are based on some scientific knowledge.
Desktop Bottom Promotion